Mahashivratri 2023: भगवान शिव और माता पार्वती से सीखें सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ये पांच बातें

Mahashivratri 2023: भगवान शिव और माता पार्वती से सीखें सुखी वैवाहिक जीवन के लिए ये पांच बातें

फीचर्स डेस्क। आज 18 फरवरी को देश में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि आज के ही दिन यानी महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर भगवान शंकर और पार्वती ने विवाह कर के अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत किया था। ऐसे में हर साल महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन जो महिलाएं उपवास रख भगवान शिव से सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं उनकी मनोकामना भगवान शिव जरूर पूरा करते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियां भी मनवांछित वर के लिए भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती(Lord Bholenath and Mother Parvati) की पूजा करती हैं। इस दिन को सुखी दांपत्य जीवन की इच्छा रखने वालों के लिए खास माना जाता है। बाबा भोले नाथ को वैरागी कहा जाता है, फिर भी उनके वैवाहिक जीवन को आदर्श माना जाता है। ऐसे में सुखी दांपत्य जीवन के लिए हर शादीशुदा जोड़े को माता पार्वती और भगवान शिव के वैवाहिक जीवन से कुछ बातों को सीख कर अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

अर्धनारीश्वर

भगवान शिव का एक नाम अर्धनारीश्वर है। अर्धनारीश्वर का अर्थ है, आधा पुरुष और आधी स्त्री। भगवान शिव ने भी एक बार अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया था। उनके आधे रूप में माता पार्वती समाहित थीं। सुखी वैवाहिक जीवन का मूलमंत्र भी यही है कि भले ही पति पत्नी का शरीर अलग हो लेकिन वह एक ही होते हैं। इसलिए पति-पत्नी समान अधिकार, सम्मान पाने के पात्र हैं।

आत्मा से प्यार

माता पार्वती और भगवान शिव का संबंध प्यार की सही परिभाषा को दर्शाता है। मां पार्वती खूबसूरत, कोमल सी एक राजकुमारी थीं लेकिन उन्होंने पति के रूप में भोलेनाथ को चुना। भोलेनाथ भस्मधारी, गले में सर्प माला पहनने वाले वैरागी थे। मां पार्वती ने भोलेनाथ का स्वरूप नहीं बल्कि उनका स्वभाव और अंतर्मन देखा। भोलेनाथ निर्मल मन, नाम की तरह की भोले हैं। माता पार्वती ने गृहस्थ जीवन के लिए पैसों, पति के रंग रूप नहीं बल्कि प्रेम को अहमियत दी।

रिश्ते में ईमानदारी

वैवाहिक जीवन में ईमानदारी और विश्वास जरूरी होता है। माता पार्वती और भोलेनाथ एक दूसरे का सम्मान करते हैं और रिश्ते में ईमानदार रहते हैं। इसका एक उदाहरण है कि जब मां गौरी अपने पिता के घर पहुंची तो वहां शिवजी का काफी अपमान हुआ। माता पति का अपमान सहन न कर सकीं और वहीं यज्ञ में सती हो गईं। इस पर भगवान भोलेनाथ रौद्र रूप में आ गए और दुनिया का विनाश करने के लिए तांडव करने लगे।

आदर्श परिवार

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति-पत्नी को एक आदर्श परिवार की तरह रहना होता है। इसके लिए पति और पत्नी को दूसरे की पसंद नापसंद अलग होने पर भी एक दूसरे को सम्मान पूर्वक अपनाना चाहिए। भगवान शिव गले में सांप की माला पहनते हैं। हालांकि उनके दोनों पुत्रों के वाहन सर्प के शत्रु माने जाते हैं। कार्तिकेय जी का वाहन मोर और गणेश जी का वाहन चूहे को सांप का शत्रु मानते हैं। लेकिन परिवार में इस कारण बैर नहीं रहा। माता गौरी का वाहन शेर और भोलेनाथ के प्रिय नंदी भी एक साथ मिलजुल कर रहते हैं।

जिम्मेदारी

परिवार की जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करने से जीवन सुखी बनता है। भोले बाबा तपस्या में लीन रहते हैं तो माता पार्वती उनकी अनुपस्थिति में परिवार, पुत्रों और सभी देवी-देवताओं समेत सृष्टी की देखभाल करती हैं। हर पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ मिलकर या एक दूसरे की अनुपस्थिति में आदर्श सुखी जीवन के लिए परिवार की जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।