Navratri Special: इस नवरात्रि कीजिए करणी माता के दर्शन,जहां मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद

इस नवरात्री फोकस हर लाइफ आप के लिए घर बैठे देश के कोने-कोने से देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन का मौका लेकर आया है। इसी क्रम में आज हम राजस्थान के बीकानेर शहर में करणी माता के मंदिर के बारे में जानेगे। ये हज़ारों साल पुराना मंदिर है और यहाँ लगभग 25 हजार चूहे है जिनका जूठा प्रसाद भक्तों को मिलता है और कोई भी नहीं होता बीमार। आइए जानते है इस मंदिर के रहस्यमय इतिहास के बारे में….

Navratri Special: इस नवरात्रि कीजिए करणी माता के दर्शन,जहां मिलता है चूहों का जूठा प्रसाद

फीचर्स डेस्क। माता रानी के भक्तों का सबसे बड़ा त्यौहार नवरात्रि आने को है। अभी से भक्तों ने माता रानी के स्वागत के लिए भूमिका भी तैयार कर ली होगी। मां जिसके द्वारे से कभी कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता। क्योंकि मां के लिए तो उसके सभी भक्त उसकी संतान है। माता रानी अपने भक्तों की आंखों में देख ही नहीं सकती आंसू। माता रानी के रूप अनेक है। हर रूप में माता की छवि मन मोह लेती है। ऐसी ही मनमोहक छवि लिए माता का एक स्वरूप है करणी मां का। करणी माता के द्वार से कभी कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता। हजारों रहस्यों को समेटे ये मंदिर है अपने आप में अद्भुत। तो आइए जानते है इस मंदिर के बारे में कि क्यों है ये मंदिर इतना अनूठा।

मंदिर का इतिहास

करणी माता का मंदिर जिसे चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है, राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर ये मंदिर देशनोक में स्थित है। करणी माता का जन्म चारण कुल में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि अभी जहां मंदिर है वहां साढ़े छः सौ साल पहले एक गुफा हुआ करती थी। और इस गुफा में करणी मां अपने इष्ट देवता की पूजा करती थी। आज भी ये गुफा मंदिर परिसर में है। माता के ज्योतिर्लीन होने पर उनकी मूर्ति यहीं गुफा पे स्थापित कर दी गई। करणी माता के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर की स्थापना हुई है।

मंदिर की विशेषता

ऐसा क्या विशेष है जो देशनोक के करणी मां के मंदिर को और मंदिरों से अलग बनाता है। एक तो यहां की वास्तुकला देखने योग्य है। संगमरमर पर की गई नक्काशी सभी का ध्यान आकर्षित करती है। चांदी का दरवाजा,सोने के छत्र,चूहों के भोग के लिए दी गई चांदी की परात, दो बड़े बड़े कढ़ाहे जिन्हे सावन, भादवा कहते है। ये सभी अपनी अनूठी कला के लिए विख्यात है। इस मंदिर का जो सबसे ज्यादा और बड़ा आकर्षण का केंद्र है वो है मंदिर के अंदर 25 हजार चूहों का होना। और इससे ज्यादा आश्चर्य की ये बात है कि मंदिर के द्वार के बाहर एक चूहा भी नहीं होता।

चूहों का मंदिर में महत्व

करणी माता के मंदिर में चूहों का बहुत महत्व है। मंदिर में इतने सारे चूहे है कि यहाँ आप पैर उठा कर नहीं चल सकते। आपको पैर घसीट कर चलना पड़ता है। क्योंकि आपके पैर के नीचे अगर कोई चूहा आ जाता है तो ऐसा कहा जाता है कि आपको पाप लगेगा। ये चूहे करणी माता की संतान कहे जाते है। यहां पर पहले चूहों को भोग लगाया जाता है फिर मां के भक्तों को ये ही प्रसाद बांटा जाता है। और हैरत की बात ये है कि कोई भी भक्त बीमार नहीं पड़ता चूहों का जूठा भोग खाने के बाद। एक समय जब पूरे देश में प्लेग फैला था तब यहां इतने चूहे होने के बाद भी यहां प्लेग का एक भी मरीज नहीं था। चूहों को यहां काबा कहा जाता है। अगर इतने काले चूहों में से आपको सफेद काबा दिख गया तो समझ लीजिए आप जो मन्नत लेकर इस मंदिर में आए है वो जरूर पूर्ण होगी। सुबह के समय जब यहां मंगला आरती होती है और शाम के समय जब आरती होती है तब यहां चूहों की भीड़ देखने लायक होती है। यहां चूहों की इतनी भीड़ होने के बाद भी बिलकुल भी बदबू नहीं आती। है ना ये सब बाते अचंभित करने वाली।

पहुंचना है आसान

देशनाेक के करणी माता मंदिर में पहुंचना बहुत आसान है। अगर आप बीकानेर पहुंच गई है तो वहां से आप टैक्सी, जीप या बस द्वारा भी करणी माता के मंदिर पहुंच सकती है। बीकानेर के नाल हवाई अड्डे से मंदिर 40 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में आएगा जरूर । बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ अनूठा भी है ये मंदिर।

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