लोक प्रशासन के क्रमिक विकास के क्रम में प्रशासन के स्वरूप के संकट का काल आया : डॉ. गोविंद कुमार इनखिया

लोक प्रशासन के क्रमिक विकास के क्रम में प्रशासन के स्वरूप के संकट का काल आया : डॉ. गोविंद कुमार इनखिया

वाराणसी सिटी। राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी द्वारा व्याख्यानमाला श्रृंखला के अन्तर्गत रवुवर को पूर्वाह्न 10 बजे से विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका विषय Contemporary Shift in Public Administration रहा। विशेष व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में राजनीति विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ. गोविंद कुमार इनखिया ने अपना व्याख्यान दिया। डॉ. गोविंद ने अपने उद्बोधन में लोक प्रशासन के उद्भव के पीछे की पृष्ठभूमि एवं घटनाओं का उल्लेख करते हुए बताया कि अमेरिका में लूट प्रथा के परिणाम स्वरूप अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार जैसा मुद्दा प्रभावी हो गया था साथ ही बेरोजगारी के कारण जनता के बीच व्याप्त असंतोष को देखते हुए लोक सेवा में भर्ती प्रणाली में बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत महसूस हुई, जिसके परिप्रेक्ष्य में वुडरो विल्सन ने 1887 में अपने लेख के माध्यम से लोक प्रशासन जैसे विषय को लाया और राजनीति को प्रशासन से अलग करने की बात की।

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि लोक प्रशासन के क्रमिक विकास के क्रम में प्रशासन के स्वरूप के संकट का काल आया, पहचान की समस्या हुई और बाद के दिनों में फ्रेंक मेरिनी ने अपने लेखन के माध्यम से New Public Administration को बताया जिसमें मूल्यों एवं प्रासंगिकता पर बल दिया। 1988 के मिन्नोब्रुक सम्मेलन के बाद समकालीन विश्व में जब लोक प्रशासन को एक नए वातावरण में देखा गया, जिसमें लोक कल्याणकारी राज्य की भूमिका को कमतर किया गया और नव उदारवाद जैसी धारणा विकसित हुई।

उन्होंने बताया कि 21वीं सदी में अमेरिका सहित दुनिया के अन्य देशों में प्राकृतिक आपदा आयी,  उसके बाद लोक प्रशासन के क्षेत्र में विकास के साथ - साथ आपदा प्रबंधन पर बल दिया जाने लगा। साथ ही सुशासन जैसी एक नई पद्धति विकसित हुई जिसमें विधि के शासन, समावेशी विकास, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व जैसे विषयों पर दृष्टि डाली गई।

स्वागत एवं परिचय राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ0 सूर्यभान प्रसाद ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 रेशम लाल ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ0 विजय कुमार, डॉ0 रवि प्रकाश सिंह, डॉ0 पीयूष मणि त्रिपाठी, डॉ0 जयदेव पाण्डेय  सहित  स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी सम्मिलित हुए।

 डॉ0 (सूर्यभान प्रसाद), विभागाध्यक्ष।