Basant Panchami Special: बसंत पंचमी में मां सरस्वती की ऐसे पूजा अर्चना से होगी बुद्धि और विद्या की प्राप्ति

बसंत पंचमी का त्यौहार 5 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा आराधना से होता है कल्याण। आज के ही दिन मां सरस्वती को क्यों पूजा जाता है बता रहे है एस्ट्रोलॉजर विमल जैन....

Basant Panchami Special: बसंत पंचमी में मां सरस्वती की ऐसे पूजा अर्चना से होगी बुद्धि और विद्या की प्राप्ति

फीचर्स डेस्क। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती देवी की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। एस्ट्रोलॉजर विमल जैन ने बताया कि इस वर्ष 5 फरवरी शनिवार को बसंत पंचमी का त्यौहार हर्ष उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि बसंत पंचमी के रूप में मनाई जाती है, इसे श्री पंचमी भी कहा जाता है। आज के दिन भगवान श्री गणेश जी , विष्णु जी और मां भगवती सरस्वती की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करके मनोरथ की पूर्ति की जाती है। विद्यार्थी वर्ग मां सरस्वती जी की पूजा अर्चना हर्ष उल्लास और उमंग के साथ करते हैं।

पौराणिक कथा

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मानव रचना के समय पृथ्वीलोक मौन था । धरती पर किसी भी प्रकार की कोई ध्वनि नहीं थी। यह शांति देखकर त्रिदेव हैरान होकर एक दूसरे को देखने लगे क्योंकि वे श्रष्टि की इस रचना से संतुष्ट नहीं थे । उन्हें लग रहा था कि इसमें किसी चीज की कमी रह गई है। इसी के चलते पृथ्वी लोक पर मौन व्याप्त है। तभी ब्रह्मा जी ने शिव जी और विष्णु जी से आज्ञा ली और अपने कमंडल से जल अंजलि में भरकर कुछ उच्चारण करते हुए पृथ्वी पर छिड़क दिया। ऐसा करते ही उस जगह कंपन शुरू हो गया और उस स्थान से एक शक्ति का पादुर्भाव हुआ। वहां एक शक्ति रुपी माता के हाथ में वीणा , दूसरा हाथ तथास्तु मुद्रा में था। इतना ही नहीं उनके अन्य हाथों में पुस्तक और माला थी । माता को देख त्रिदेवो ने देवी को प्रणाम किया और उनसे वीणा बजाने की प्रार्थना की। त्रिदेवो की प्रार्थना पर माता ने वीणा बजाना शुरू कर दिया । जिससे तीनों लोकों में वीणा का मधुर नाद होने लगा । इससे पृथ्वीलोक के सभी जीव जंतु और जन भाव विभोर हो गए। ऐसा होने से लोगों में चंचलता आ गई। उस समय  त्रिदेव ने मां को शारदा, सरस्वती, संगीत की देवी का नाम दिया। मां सरस्वती के यह नाम त्रिदेव द्वारा दिए गए हैं। उन्हें मां शारदे ,मां वीणापाणी, वीणावादिनी ,मां बागेश्वरी ,मां भगवती और मां वाद्य देवी आदि नामों से जाना जाता है।

पूजा विधि

इस दिन व्रत उपवास करके मां सरस्वती को विभिन्न प्रकार के पुष्पों से सुसज्जित और पीले रंग के पोशाक और आभूषणों से श्रृंगार करके पूजा अर्चना की जाती है । साथ ही पीले रंग के नैवेद्य, ऋतु फल और मेवे सहित केसरिया पीले रंग के मीठे चावल भी अर्पित किए जाते हैं। भगवती सरस्वती की अनुकंपा प्राप्ति के लिए उनकी महिमा में सरस्वती जी के विविध श्रोत का पठन और मंत्र आदि का जप करना चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन रति काम महोत्सव भी मनाने की परंपरा है। विमल जैन के अनुसार प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने इष्ट देवी देवताओं की पूजा अर्चना के पश्चात मां सरस्वती बसंत पंचमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। आज विद्वानों और विद्यार्थियों के लिए खास दिन है। उन्हें व्रत रखकर मां सरस्वती जी की पूजा पूरी श्रद्धा भाव से करनी चाहिए इससे उनके ज्ञान में वृद्धि होती है। आज के दिन समस्त धार्मिक और मांगलिक कार्य भी संपन्न होते हैं। नए प्रतिष्ठान और व्यापार के प्रारंभ हेतु भी आज का दिन सर्वोत्तम माना गया है। बसंत पंचमी से मौसम में परिवर्तन के साथ ही बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है।

मां सरस्वती आपके जीवन में सौभाग्य लाए ऐसी कामना है।

इनपुट सोर्स: एस्ट्रोलॉजर विमल जैन