Tag: realistic poem
मानव मन
स्वयं उगाता निज अभ्यारण्य, आजीवन करता फिर विचरण, नेत्र बंद कर ,पथ निर्धारण। चित्र विचित्र कितना मानव मन।
Ankita Saxena Jan 18, 2022
स्वयं उगाता निज अभ्यारण्य, आजीवन करता फिर विचरण, नेत्र बंद कर ,पथ निर्धारण। चित्र विचित्र कितना मानव मन।