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लघु कथा : चक्रव्यूह
अपने नीरा को खाए एक सप्ताह हो गए। किसी तरह नमक पानी पीकर ऊर्जस्वित होती है। शायद दोड़ धूप की चादर ने उसकी भूख को ढक लिया है। अभी पति...
लघु कथा : अंतिम संस्कार
कहने को तो आज हमारा देश स्वतंत्र है, हमें खुल कर जीने का अधिकार है, स्वाभिमान से रहने का अधिकार है लेकिन शिवांगिनी के लिए ये सारी...