Biography : कौन हैं गीता पाण्डेय ? 3 साल की बेटी गोद में लेकर शुरू की रेलवे में नौकरी, जीवन को कर दिया समाज के लिए समर्पित

Biography : कौन हैं गीता पाण्डेय ? 3 साल की बेटी गोद में लेकर शुरू की रेलवे में नौकरी, जीवन को कर दिया समाज के लिए समर्पित

फीचर्स डेस्क। महाराष्ट्र के तहसील मुतीजापुर आकोला जिले में 13 सितंबर 1963 में जन्मी गीता पाण्डेय अपने जीवन में भगवान से बढ़ कर कुछ नहीं मानती हैं। अपने जीवन में सफलता और उपलब्धि का सारा श्रेय माँ दुर्गा को देती हैं। इनका कहना है कि मेरे माता-पिता ने मुझे इस संसार में लाएँ लेकिन माँ दुर्गा ने मुझे रास्ता दिखाया और आज मैं जहां पर खड़ी हूँ वह सब माँ दुर्गा की ही कृपा है। गीता पाण्डेय कौन हैं यह तो हमने बता ही दिया। लेकिन इसके साथ ही गीता पाण्डेय के बारे में अब भी कई ऐसी बातें हैं जो हमे जानना चाहिए। जैसे गीता पाण्डेय की बायोग्राफी (Biography of Geeta Pandey), गीता पाण्डेय का शिक्षा (Geeta Pandey education), गीता पाण्डेय का करियर (Career of Geeta Pandey), गीता पाण्डेय की लाइफ स्टोरी (Life Story of Geeta Pandey), गीता पाण्डेय का समाज सेवा का सफर (social work of Geeta Pandey), क्या है गीता पाण्डेय का शौक : What is Geeta Pandey hobby आदि। तो चलिए जानते हैं गीता पाण्डेय के बारे में...

गीता पाण्डेय की बायोग्राफी Biography of Geeta Pandey

गीता पाण्डेय का जन्म 19 जनवरी 1963 को महाराष्ट्र के अकोला जिले में हुआ था। वर्तमान में हरदा में रह रहीं हैं। गीता पाण्डेय के पिता का नाम स्वर्गीय रामकिसन दुबे और माता का नाम स्वर्गीय सुबद्रा बाई था। गीता पाण्डेय हरदा में रेलवे कर्मचारी हैं। इसके अलावा संरक्षक, वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ की जबलपुर जोन की महिला विंग। राष्ट्रीय संयोजक, नर्मदांचल हरित पर्यावरण सोशल ग्रुप ब्रांड एंबेसडर जिला, महिला एवं बाल विभाग द्वारा जिला हरदा की लाडो अभियान। मध्य प्रदेश मीडिया प्रभारी अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा। ब्रांड एंबेसडर जिला हरदा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार अपराध नियंत्रण के मध्य प्रदेश की सचिव स्वच्छ भारत अभियान की। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिल्ली, राष्ट्रीय हुमन राइट। सलाहकार फोरम नई दिल्ली रेलवे उपभोवकता संरक्षण।  राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश जिला हरदा भी हैं।

गीता पाण्डेय का शिक्षा : Geeta Pandey education

गीता पाण्डेय ने प्राथमिक शिक्षा महाराष्ट्र के अकोला जिले से पूरी किया। इसके बाद ग्रेजुएशन पूरा नहीं कर पाई।

गीता पाण्डेय का करियर : Career of Geeta Pandey

गीता पाण्डेय पति की आकस्मिक मृतु के बाद 1995 में अपने पति की जगह पर रेलवे में नौकरी शुरू किया। आज रेलवे यूनियन की संरक्षक भी हैं।

गीता पाण्डेय की लाइफ स्टोरी Life Story of Geeta Pandey

गीता पाण्डेय की शादी जिला यवतमाल तहसील दरवा मुतीजापुर महाराष्ट्र में स्वर्गीय कैलाश नाथ पाण्डेय से 1985 में हुई थी। गीता को एक बेटा और 2 बेटी हैं। बेटा का नाम ऋषि पाण्डेय और बेटी पूजा पाण्डेय और नेहा पाण्डेय जिनका जन्म 23 जुलाई 1994 में दारवा में हुआ था। 

गीता पाण्डेय का अवार्ड सफर : Award journey of Geeta Pandey

  1. गीता पाण्डेय को कृषि मंत्री कमल पटेल के हाथों से सम्मानित किया गया।
  2. घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा का जागरूकता अभियान करके सभी के घर तिरंगा लगाने का अभियान चलाएं उसमें सर्टिफिकेट प्राप्त किया।
  3. 2016 में सेवा को समर्पित अवार्ड मिला। लाडो अभियान के ब्रांड एंबेसडर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में सराहनीय काम करने में सम्मानित किया गया।
  4. साल 2018 में गीता पाण्डेय को आदिवासी क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने और शिक्षा के लिए हरदा में लाकर एडमिशन दिलाने के लिए दिल्ली में सम्मानित किया गया।
  5. साल 2018 को चंडीगढ़ में गीता पाण्डेय को जय हिंद अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
  6. गीता पाण्डेय को राष्ट्रीय नारी शक्ति अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
  7. श्रीमती गीता पांडे को लखनऊ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई प्रथम प्रधानमंत्री से सम्मानित किया जा चुका है।
  8. गीता पांडे को 1 मार्च को दिल्ली में नारी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।
  9. गीता पांडे सर्टिफिकेट सहित नारी रत्ना गौरव मध्य प्रदेश अवार्ड 3000 हजार अवार्ड से सम्मानित हुई हैं।
  10. कृषि मंत्री कमल पटेल के द्वारा गागी एक्सीलेंस अवार्ड से 5 मार्च को 2023 सराहनीय कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया।
  11. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जिला हरदा राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू जी बचपन से लेकर राष्ट्रपति बनने तक 5 आकृति उकेरी छटवी आकृति विश्व महिला दिवस लोगो रहा। इसे हावडै वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए गीता पाण्डेय ने भेजा है वर्ल्ड रिकॉर्ड के आवेदन की मंजूरी मिल गई है। इसमे भी इनको प्रमाण पत्र मिलेगा यह रिकॉर्ड अपने आप में अनूठा है खिलता कमल जन अभियान सामाजिक संस्था द्वारा राष्ट्रपति के जन्म को दर्शाया गया। दूसरे में विद्यार्थी जीवन तीसरे में प्रोफेसर के जीवन की मानवीय आकृति उकेरी चौथी में राज्यपाल बनकर सलूट करते हुए पांचवें में राष्ट्रपति बनने के बाद हाथ जोड़ते हुए आकृति मानव श्रृंखला में उकेरी छवि आकृति विश्व महिला दिवस के लोगों की रही।

  गीता पाण्डेय का शौक : What is Geeta Pandey hobby

गीता पाण्डेय अनाथ लड़कियों, गरीब लड़कियों और महिलाओं की मदद करती हैं। आदिवासी क्षेत्रो में बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना भी इनके शौक का एक हिस्सा है।

गीता पाण्डेय का समाज सेवा में भी भागीदारी 

बता दें की गीता पाण्डेय ने लोगों की मदद के लिए हमेशा एक्टिव रहीं हैं। आदिवासी इलाके में लोगो की आर्थिक मदद और एजुकेशन देती रहीं हैं।  साल 2015 भीषण रेल हादसे में गीता ने दिन रात लगी रहीं लोगो की मदद के लिए इसके लिए इनको सरकार की तरफ से सम्मानित भी किया गया। इसके साथ ही साफ-सफाई के लिए भी लोगों को जागरूक करती रहती हैं।

विश्व शिक्षा शिखर सम्मेलन और पुरस्कार के लिए आमंत्रण  

गीता पाण्डेय को विश्व शिक्षा शिखर सम्मेलन और पुरस्कार 2023 में शामिल होने का निमंत्रण मिला है। यह कार्यक्रम 9 अप्रैल, 2023 को होने वाला है, यह इनके सामाजिक कार्य के क्षेत्र में आपका योगदान देने के लिए सम्मानित किया जा रहा है। दरअसल, COVID-19 लॉकडाउन के दौरान राष्ट्र के प्रति इनके अटूट प्रतिबद्धता पर किसी का ध्यान नहीं गया है, और यही कारण है कि अंतर्राष्ट्रीय इंटर्नशिप विश्वविद्यालय के मानद डॉक्टरेट बोर्ड ने गीता पाण्डेय को सामाजिक कार्य में डॉक्टरेट की मानद उपाधि के रूप में चुना है। यह एक बड़ी उपलब्धि है और अपने आसपास के लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए आपके समर्पण का प्रमाण है।

हम विश्व शिक्षा शिखर सम्मेलन और पुरस्कार 2023 में आपकी उपस्थिति के लिए तत्पर हैं, और हम आप सभी को उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।

गीता पाण्डेय क्या कहती हैं

गीता पाण्डेय का कहना है कि जीवन में जब तक परिवार और खास तौर पर एक औरत के लिए उसका पति सम्पूर्ण परिवार की तरह होता है। मेरे पति का देहांत होने पर मुझे अनुकंपा से रेलवे का पत्र आया। मैं चाहती तो ससुराल में रहकर अपना और अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकती थी। लेकिन ससुराल वालों का कुछ कारणो से मुझे ये नौकरी करनी पड़ी। अपने बच्चों को अग्रेजी माध्यम से पढ़ाने और उनको एक अच्छा जीवन देने के लिए साल 1995 में हरदा में मैंने अपने 3 बच्चों को लेकर कदम रखा। जिसमे सिर्फ 4 महीने की छोटी बेटी नेहा थी जिसे कुछ ही महीने पहले अपनी ज़िंदगी शुरू की थी। ऐसे में मैंने बच्चों को नौकरी करते हुए पालन-पोषण के साथ-साथ उनको एक अच्छी शिक्षा दिलाया और समाज में अच्छे से रहने का तौर-तरीको से अवगत कराया। गीता के अनुसार इन्होने इन सब के साथ-साथ अपने साथ कार्यरत कर्मचारियों की समस्याओं का भी निवारण करती रही। ऐसे में सभी कर्मचारियों का हमेशा पूर्ण सहयोग मिलता रहा और समय समय पर उच्च पदभार भी मिलता रहा।