दहलीज

दहलीज

फीचर्स डेस्क। "नहीं नहीं ,मैं ऐसा नहीं कर सकती!!"सुहानी की आंखों से आंसू बहे जा रहे थे। सुहानी मेरे कंधे पर सर रखकर रोए जा रही थी। बिल्कुल टूटी हुई, बाल बिखरे हुए, बहुत परेशान थी सुहानी। उन्मुक्त विचारों वाली सुहानी को पढ़ाई के साथ-साथ दोस्तों के साथ घूमना फिरना बहुत पसंद था। मां की तो, बात सुनती ही नहीं थी। बड़े प्यार से मां के गले में बाहें डाल कर बोलती। "क्या मां,तुम भी !!!! कौन सी सदी की बातें करती हो मैं पढ़ी-लिखी अपनी सोच रखने वाली लड़की हूं। मेरी चिंता करनी छोड़ दो ।"

कई बार मुझे ऐसे लगता है शायद मैंने ही सुहानी पर ज्यादा पाबंदियां लगा दी हैं ।पर एक बडी होती लड़की की मां के मन की चिंता वह क्या समझें। सुहानी के पिता यानि शैलेंद्र भी अक्सर ऑफिस के काम से बाहर रहते थे। जब आतें तो बस सुहानी से घंटों बातें करते ।पढ़ाई ,राजनीति, साईंस और न जाने क्या क्या!!

 वह सुहानी को एक सफल सी.ए. देखना चाहते थे । सुहानी हर क्षेत्र में  नृत्य ,संगीत, पढ़ाई ,वाद विवाद, राजनीति में रुचि रखती थी। कुल मिलाकर सुहानी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। सुहानी भी अपने पिता के सपने  को पूरा करने के लिए खूब मेहनत कर रही थी । रंग रूप में सामान्य,पर दिमाग से बहुत तेज तर्रार ,सुहानी अपनी तार्किक क्षमता से सब को पस्त कर देती।

आज मेडिकल वार्ड में सुहानी का हाथ पकड़े मैं सोचने पर विवश थी,कि आज सुहानी की इस परिस्थिति का जिम्मेदार कौन है!! विवाह से पूर्व मां बनना लड़की के लिए बहुत सी परे‌शानियां लाता है। सुहानी बहुत कमजोर थी और एनीमिक थी। डॉ.चाह कर भी सुहानी के अबॉर्शन के फैसले को मान नहीं सकती थी। अब फैसला सुहानी और आकाश को करना था। आकाश और सुहानी एक दूसरे को पसंद करते थे और सी.ए.की अंतिम परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। आकाश भी सुलझे विचारों वाला मेधावी लड़का था और वह सुहानी से विवाह करने के लिए तैयार था।

परंतु हम जिस समाज में रहते हैं वहां पर विवाह से पूर्व मां बनना इतना सहज और सरल नहीं है। कई बार हमारी छोटी सी भूल हमें बहुत बड़ी परेशानी में डाल देती है। सुहानी मेरी गोद में सिर रखकर सुबक रही थी । पश्चाताप कर रही थी।

"मां तुम सही थी, मुझे आपकी बात और संस्कारों का सम्मान करना चाहिए था। यदि मैंने दहलीज न पार की होती  तो आज मैं इस मोड़ पर नहीं खड़ी होती। आकाश ने आगे आकर सुहानी का हाथ थाम लिया और सारी कशमकश को विराम दे दिया।

 इनपुट सोर्स : रेखा मित्तल, एडमिन फोकस साहित्य।