आँखों के कोर भीग गये...

आँखों के कोर भीग गये...

फीचर्स डेस्क। आज सुबह ब्रश करते हुए आइने मे जब अपना चेहरा देखा तो नजरें अपनी बेजान स्किन और आँखों के नीचे काले स्याह घेरों पर पड़ी तो सोचा आज ही पार्लर जाती हूँ पर यह सोच कर कि आज तो और भी कई काम है तो पार्लर की सोच को नज़र अंदाज कर दिया।

नहा कर निकली अलमारी खोली और हाथ शिफान की गुलाबी साड़ी पर गया लेकिन यह सोच कर घर पर ही तो हूँ अपनी घिसी पिटी साड़ी निकाल ली। अपनी मन पसन्द गुलाबी साड़ी को भी नजर अंदाज कर दिया। तैयार हो कर पौधों को पानी देने गई, सुन्दर गुलाब के खिले खिले फूलों को देखकर मन किया क्यूं न एक गुलाब का फूल बालों में लगा लूँ। सब क्या कहेंगे यह सोच कर ही फूल को भी नज़र अंदाज कर दिया।

सब को चाय नाश्ता देने के बाद मै नाशता करने बैठ गई  कि तभी कुरियर वाला आ गया और उसके पीछे पीछे धोबी। मेरा चाय नाश्ता भी नजर अन्दाज हो गया।

अब धीरे 2 मन बुझने लगा था दोपहर होते होते तन और मन निढाल हो गए थे। थोड़ी देर के लिए बिस्तर पर लेट गई और सोचने लगी मन मे अपने लिए कुछ भी ख्यात आता है तो हर बात को नजर अंदाज क्यूं कर देती हूं क्या मेरे लिए मेरी अपनी कोई अहमियत नहीं है ?

यह  सोच कर आँखों के कोर भीग गये ऐसा नही है मैं ही अकेली ऐसी औरत हूं जिसके पास अपने समय नहीं है बाकि सब के लिए है। हर भारतीय नारी अपनो के लिए ही जीती है पर हाँ न कही अपने आप को नजर अन्दाज करते हुए ।

दो गिलास ठंडा पानी पिया, मन को शांत किया। फिर सोचा अब अपनों का ख्याल रखते हुए भी अपने आप को नज़र अंदाज नही करुंगी ।

अगले दिन आईने में जैसे ही अपने चेहरे को देखा तुरंत हाथ बढ़ा कर पार्लर मे अपने लिए appointment ली। और बच्चों और पति देव के लिए आज उनका मनपसंद खाना भी आर्डर कर दिया। आज मैंने किचन को नजरअंदाज  कर दिया। आज नाश्ते की टेबल पर अपना चाय नाश्ता लेकर बैठ गई और घर के और कामों को थोड़ी देर के लिए नजर अंदाज कर दिया।

दोपहर का समय या तो मोबाईल चला कर बीतता था या फिर सो कर अब ज्यादातर दोपहर मेरे शोक पूरा करने में बीतती। फालतू कामों को नज़र अंदाज कर दिया।

खाना शुरु से अच्छा बनाती थी अपनी Selected Recipes को खाना बनाते बनाते shoot करने गयी ,धीरे-2 सोशल मीडिया पर मेरी पहचान बढ़ने लगी। यह सब आसान नहीं था लेकिन  अब मैने गैरजरूरी चीजों को नजर अंदाज कर थोड़ा सा समय अपने आप को भी देना शुरू कर दिया। घर के कामों की ज़िम्मेदारी घर के अन्य सदस्यों को भी सौप दी। अपनों का ख्याल रखते रखते मैने अपना भी ख्याल रखना शुरु कर दिया।