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फोकस साहित्य

थोड़ा सा मुस्कुरा लें

ज़िन्दगी की राहें थोड़ी मुश्किल हैं लेकिन तुम रुकना नही चलते जाना हौंसले की उड़ान से चलो आज मंज़िल को भी पा ही लेते हैं चलो आज थोड़ा सा...

फोकस साहित्य

मानव मन

स्वयं उगाता निज अभ्यारण्य, आजीवन करता फिर विचरण, नेत्र बंद कर ,पथ निर्धारण।  चित्र विचित्र कितना मानव मन।

फोकस साहित्य

संस्मरण:बारिश का मौसम 

नौकरी की मजबूरी थी इसलिए  जाना  पड़ा । यहाँ आए हुए एक हफ्ता ही हुआ था ।क्वार्टर ना मिलने के कारण रोज बस से आना -जाना करती थी। बारिश...

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