रूहानी अहसास

रूहानी अहसास

एक महक थी तुम्हारे प्रेम की,

बस गई है रोम रोम में।

अहसास था कुछ रूहानी,

उतर गया दिल की गहराइयों में।

सहसा खुशियां बरसने लगी ,

या नैनो से अश्रु धारा ।

मुझे जिस रंग में लपेटा तुमने,

लिपटती चली गई।

जिक्र तुम्हारा मेरी बातों में

अब होने लगा है।

दिल भी हर समय अक्सर

धड़कने लगा है।

तुम्हें पता है कौन हो तुम!

मेरी जिंदगी की अनछुई,

परछाई हो तुम ।

समझती रही अजनबी तुम्हें ,

मेरी मुस्कान का राज हो तुम।

दिल मेरी सुनता ही नहीं ,

मेरी हर ख्वाहिश का राज हो तुम।

आईने में दिखता है अब अक्स तुम्हारा ,

मेरे जीवन का आधार हो तुम।

इनपुट सोर्स : रेखा मित्तल, स्वरचित, चंडीगढ़ सिटी।