Short story:कागज़ के फूल

तेज़ बारिश हो रही थी, अचानक लगा कोई महिला दौड़ रही है, पीछे दो चार युवक भी उसका पीछा कर रहे । तुरंत ब्रेक लगा कर गाड़ी रोकी और महिला से पूछा," क्या हुआ, आप इस तरह क्यों भाग रही हो....

Short story:कागज़ के फूल

फीचर्स डेस्क। राणा साहब पार्टी से रात 12 बजे लौट रहे थे,जीवन अब फैक्ट्री और पार्टीज के ही इर्द गिर्द घूमता था। 
कोई खास उत्साह घर पहुँचने का नही था, बड़ो की आज्ञा कई सालों पहले मानी थी, जिसे निभा रहे थे । पत्नी के बारे में ही सब बातें आंखों में घूमने लगी ।पहली रात में ही खूबसूरत पत्नी के कर्कश स्वभाव की पहचान हुई । पत्नी का पहला प्रभाव मन भेद चुका था ।
तेज़ बारिश हो रही थी, अचानक लगा कोई महिला दौड़ रही है, पीछे दो चार युवक भी उसका पीछा कर रहे । तुरंत ब्रेक लगा कर गाड़ी रोकी और महिला से पूछा," क्या हुआ, आप इस तरह क्यों भाग रही हो।"
बिना देरी लगाए महिला ने कहा," कुछ लड़के पीछा कर रहे हैं।" रात ट्रैन लेट आयी, कोई सवारी भी नही मिली, रास्ते मे ये मनचले सताने लगे तो मैं दौड़ पड़ी ।" महिला ने कहा
अब जाकर थोड़ी रोशनी में चेहरा देखा, तो लगा, कहीं देखा है। "आइये, मैं छोड़ देता हूँ।"
फिर आंखों ने नैना की याद दिला दी और कालेज के ज़माने याद आ गयी। एक बार सावन की तीज के दिन बरसते पानी मे दोनो का मन और तन दोनो भीगा था।

नैना ने कहा," कुछ जरूरी काम था, अपनी आफिस कलीग के घर एक दिन को आई थी, दूर है घर किसी होटल के सामने रोक दो ।"
"अरे, नही, 2 मिनट की दूरी पर मेरी फैक्ट्री का आफिस है, बारिश रुकने तक वहीं चलते है, फिर मेरे घर चलना ।"
दोनो याद कर रहे थे, आज भी सावन की तीज है, बरसता सावन उनके मन को भिगो कर रंगीन करने पर उतारू है।
रात भर न बारिश रुकी, न नींद आयी, सिर्फ बातो का दौर चला। 
आज कई दिन बाद एक भौरे को असली फूल की खुशबू हवा में तैरती दिखी, घर मे उसने कागज़ के फूल सज़ा रखे थे ।


इनपुट सोर्स:भगवती सक्सेना गौड

पिक्चर क्रेडिट: गूगल