लघु कथा: आस्था

एड्रियाना काले बूट पहने ,पीली छतरी लिए सफेद स्कार्फ बांधे जा रही है। काली ऊनी ट्यूनिक कहाँ तक ठंड से राहत दे ?सफेद बैग कंधे पर लटक रहा है। सड़क किनारे की बेंच पर बर्फ जमी है।सूरज निकलने की कोई संभावना नहीं....

लघु कथा: आस्था

फीचर्स डेस्क। एड्रियाना सड़क पर है।आखिर हुआ क्या??
अभी ठंड शिखर पर है।वृक्ष नग्न पत्रविहीन ,चारों ओर कुहासा ,गिरती हुई बर्फ और हड्डी को छेदने वाली ठंडी हवा के साथ बूंदाबांदी।
एड्रियाना काले बूट पहने ,पीली छतरी लिए सफेद स्कार्फ बांधे जा रही है। काली ऊनी ट्यूनिक कहाँ तक  ठंड से राहत दे ?सफेद बैग कंधे पर लटक रहा है। सड़क किनारे की बेंच पर बर्फ जमी है।सूरज निकलने की कोई संभावना नहीं।
आज रविवार है।घाटी के उसपार जहां यह ऊंची सड़क खत्म होती है,उसकी बूढ़ी मां अकेले घर में रहती है। उसके घर के पिछली गली में ही चर्च है। वह चर्च और प्रार्थना के लिए बहुत नियमित  है।माँ को लेकर वह प्रार्थना सभा मे जाएगी।वह जानती है ।
इतने खराब मौसम में प्रभु की शरण में भीड़ कम ही रहती है।
एक मात्र सहारा उसका दस वर्षीय अपंग व्हील चेयर पर आश्रित बेटा को डॉक्टर के अनुसार लाइलाज बीमारी है कितना भी खराब मौसम हो ,उसे चीर कर वह चर्च की प्रार्थना में जाती है।
विश्वास और आस्था ...उसके अनुसार अवश्य मनोकामना पूरी करती है ।उसे विश्वास है डॉक्टर का कहना गलत साबित होगा ..उसका बेटा एक दिन अपने पैरों से इसी रास्ते पर चलकर उसकी आस्था को और सुदृढ करेगा।

इनपुट सोर्स: मीना दत्ता


पिक्चर सोर्स: गूगल