“शक्ति स्वरूपा” : 10 हज़ार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लेकर काम कर रहीं काशी की पल्लवी

पल्लवी का कहना है कि आज के दौर में लोग किसी जरूरतमंद के बारें में नहीं सोचते हैं जबकि आज जरूरत है ग्रामीण, विधवा और जरूरतमंद लड़कियों को शिक्षा दिलाकर उनको आत्मनिर्भर बनाने की...

“शक्ति स्वरूपा” : 10 हज़ार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लेकर काम कर रहीं काशी की पल्लवी

फीचर्स डेस्क। चैत्र नवरात्रि का आज पांचवा दिन है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी focus24news ने देश के उन “शक्ति स्वरूपा” की कहानी लेकर आया है जो आज समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए अपना समय निकाल कर उनको आत्मनिर्भर, हुनरमंद और उनके स्वास्थ्य के लिए काम कर रहीं हैं। तो आइए जानते हैं आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में वाराणसी की पल्लवी वर्मा के बारें में जिनकी जिद्द है कि लड़कियां समाज में किसी के उपर बोझ बन कर न रहें। पल्लवी कहती हैं कि लड़की हूं कोई बोझ नहीं, बोझ बनाया समाज ने और समाज ने सती प्रथा से लेकर बाल विवाह तक। दहेज भी यहीं के लोगों ने बनाया कोई भी रिवाज़ हो सब यही समाज ने ही बनाया है। आज औरतों की दबी जुवान की बात करू तो यह भी इसी समाज की देंन है। पल्लवी कहती हैं यही कारण है कि मैंने एक जिद्द पाल रखी है कि औरतो को बहुत मज़बूत बनना है कि किसी भी परिस्थिति मे कभी कमज़ोर बन कर कोई गलत कदम न उठाये। क्योंकि मुझे तो पति का स्पोर्ट मिला और यह जरूरी नहीं कि हर किसी को अच्छा पति मिल ही जाय।

 कौन हैं पल्लवी वर्मा

पल्लवी वर्मा, मध्यप्रदेश के मैहर से हैं। इनके पापा वाराणसी के बिजनेस करते हैं और मम्मी हॉउस वाइफ है। पल्लवी के 2 भाई हैं। और ये सबसे बड़ी हैं। पल्लवी वर्मा को बचपन से ही देश और समाज सेवा की ललक रही और अपने स्कुल के टाइम से लोगों कि हेल्प करती आ रहीं हैं। वाराणसी के सोनारपुरा स्थिति दुर्गा चरण बालिका विद्यालय से मैंने इंटर की पढ़ाई करते समय ही इनका समाज सेवा का सफर शरू हुआ। इनके संस्था का नाम सामाजिक कौशल विकास संस्था है।

आदतें बन गई पैशन 

पल्लवी वर्मा कहती हैं कि मै बचपन से ही अपनी कॉपी, किताब, स्कुल के समान, टिफिन सब उन लोगो को दे देती थीं जिनके पास कोई न कोई आर्थिक समस्या होती थीं और घर मे पूछने पर खो जाने का बहाना बना देती थीं। हलाकि इसके लिए इनको कई बार डाट भी पड़ी।  लेकिन जैसे जैसे मै बड़ी हुई मेरी ये आदतें बढ़ने लगी फिर मैंने अग्रसेन कॉलेज से BA किया वहाँ पर भी ये आदतें मेरा पैशन बन गईं।

समाज सेवा के कारण छूटी पढ़ाई

पल्लवी वर्मा के अनुसार इनकी गहरी रुचि समाज सेवा को देखते हुए घर वालों ने एक साल की पढ़ाई रोक दी और रिश्तेदारों के दबाव के कारण पल्लवी की शादी की चर्चा शुरू कर दी। हलाकि पल्लवी आगे अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती थी।

10 हज़ार महिलाओ को स्वावलम्बी स्वावलम्बी बनाने की मुहिम

पल्लवी के अनुसार इन्होने विधवा महिलाओ के साथ उनके शुभ कदमों के साथ अपने जिंदगी की नई पारी की शुरुआत शादी के बाद की। दरअसल, पल्लवी का कहना है की कोई शुभ और अशुभ नहीं होता ये सिर्फ हमारे दिमाग़ की उपज है। पल्लवी ने अभी तक 10 हज़ार महिलाओ को स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।

जरूरतमंद बच्चों का करती हैं सहयोग

पल्लवी वर्मा की मानें तो ये वाराणसी के कंदवा गांव और उसके आस पास के गांव के गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना शुरू किया है। अब तक 45 से ज्यादा अनाथ बच्चियों को अपने सामर्थ्य अनुसार स्कूली शिक्षा के साथ ही उनकी शादी भी करवाई है। अब यही बच्चे पल्लवी को माँ जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।

शरीर के असहाय की मदद

पल्लवी वर्मा शहर के आसपास इलाके में दिव्यांगजनों को कृतिम अंग और उनके लिए जरूरी यंत्र आदि से मदद करती हैं। वहीं वृद्धजनो को कंबल और उनके लिए घरेलू जरूरी सामान समय-समय पर पहुँचाती रहती हैं।

विधवा को सिलाई सीखाकर बनाया आत्मनिर्भर

पल्लवी ने विधवा महिलाओ को सिलाई सीखाकर उनके रोजगार के लिए सिलाई मशीन उपलब्ध कराई हैं। पल्लवी का कहना है कि आज के दौर में लोग किसी जरूरतमंद के बारें में नहीं सोचते हैं जबकि आज जरूरत है ग्रामीण, विधवा और जरूरतमंद लड़कियों को शिक्षा दिलाकर उनको आत्मनिर्भर बनाने की।