“शक्ति स्वरूपा” : परेशानियाँ झेली, ताने सुनी, लेकिन नहीं मानीं हार, सैकड़ों महिलाओं को मेरी आडलीन ने बनाया साक्षर

मेरी आडलीन का समाज सेवा में आने वाला यह जीवन इतना आसान भी नहीं था। एक कहावत है न साधारण सी काया और बरगद की छाया। बता दें कि कुमारबाग की शिक्षका मेरी आडलीन को लोग इसी तरह से आँकते हैं...

“शक्ति स्वरूपा” : परेशानियाँ झेली, ताने सुनी, लेकिन नहीं मानीं हार, सैकड़ों महिलाओं को मेरी आडलीन ने बनाया साक्षर

फीचर्स डेस्क। चैत्र नवरात्रि का आज सतवा दिन है। ऐसे में हर साल की तरह इस साल भी focus24news ने देश के उन नौ “शक्ति स्वरूपा” की कहानी लेकर आया है जो आज समाज में लड़कियों और महिलाओं के लिए अपना समय निकाल कर उनको आत्मनिर्भर, शिक्षा और उनके स्वास्थ्य के लिए काम कर रहीं हैं। तो आइए जानते हैं आज कि हमारी “शक्ति स्वरूपा” स्पेशल सीरीज में “मेरी आडलीन” के नाम से विख्यात नीतू सिंह के बारें में जो लड़कियों और महिलाओं को स्वास्थ्य जागरूकता और आत्मनिर्भर बनाने की प्रयासरत हैं।

आज की हमारी इस स्पेशल सीरीज में हैं “मेरी आडलीन” के नाम से विख्यात नीतू सिंह। शिक्षा एक ऐसी विधा है जिससे जीवन की बुलंदियों को छुआ जा सकता है। ऐसे में शिक्षा के अभाव में गरीब माता-पिता इस दलदल में न आ जाए, इस उदेश्य से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चियों को शिक्षा देने का काम करती हैं मेरी आडलीन उर्फ नीतू सिंह। वैसे तो मेरी आडलीन कुमारबाग हाई स्कूल की शिक्षका हैं, लेकिन गरीब बच्चियों को शिक्षा दिलाना इनका मुख्य उदेश्य है। स्कूल के शिक्षण कार्य के बाद जो समय बचता है, उसका उपयोग मेरी आडलीन शिक्षा दान के रूप में करती हैं। बता दें की मेरी एडलीन ने अपने वेतन से मैट्रिक और इंटर की 4 छात्राओं को पढ़ाने का भी जिम्मा लिया है। इतना ही नहीं राज्य साधनसेवी के रूप में कार्य कर रही मेरी एडलीन के प्रयासों के कारण जिले के 40 हजार से अधिक महिलाएं महपरिक्षा पास कर साक्षर भी बन चुकी हैं। वही बेतिया मंडलकारा के महिला कैदियों को भी साक्षर बनाकर आत्मनिर्भर के लिए तैयार किया है।

ताने सुने लेकिन नहीं मानी हार

मेरी आडलीन का समाज सेवा में आने वाला यह जीवन इतना आसान भी नहीं था। एक कहावत है न साधारण सी काया और बरगद की छाया। बता दें कि कुमारबाग की शिक्षका मेरी आडलीन को लोग इसी तरह से आँकते हैं। संस्कृत से पोस्ट ग्रेजुएट और आजीवन कुंवारी रहने का संकल्प ले चुकी इस शिक्षका ने बहुत से सितम झेले हैं। लेकिन महिलाओं को शिक्षित करने का जुनून नहीं छोड़ी। मेरी आडलीन कहती हैं मैं जब तक हो सकेगा अक्षरदान के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती हूँ। आज चरगांह का खैरवा टोला और चनपटिया डोमटोला स्लम एरिया की सौ फीसदी महिलाएं जो साक्षर बनीं ये मेरी आडलीन की देंन है। आज ये महिलाएं अपना कोई न कोई छोटा मोटा रोजगार शुरू कर चुकी हैं और मेरी आडलीन को धन्यबाद देती हैं।