रिश्ता टूट गया 

रिश्ता टूट गया 

फीचर्स डेस्क। "लड़की पसंद है पर दहेज में कार चाहिए" लड़के के पिता और मामा ने नाश्ते के बाद सिग्रेट में कश लगाते हुए एक स्वर में कहा। ये सुनकर लड़की पक्ष की पांव तले की ज़मीन खिसक गयीं और लड़की पक्ष ने उसी समय मन ही मन तय कर लिया था कि अब हम अपनी लड़की इस घर मे नही देगें और उन्हीने बहुत ही सोच-विचार कर व्यवाहरिक और बाइज़्ज़त ढंग से लड़के के पिता व मामा को रिश्ता देने से इंकार कर दिया।

अब वर पक्ष के खेमे में मायूसी और सन्नाटा था,क्योंकि थोड़ी ही देर में बाबू मियां यानी लड़के के पिता का घमंड धराशायी हो गया था। अब पूरे घर में तूफान के बाद वाली शांति थी। वर पक्ष एक दूसरे के मुहं को ताक रहा था। इनकार के बाद भी वर पक्ष के लोग लड़की के घर से उठने को तैयार नही थे! ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे किसी बोझ तले दब गए हों। शायद उन्हें अपनी भूल का अहसास हो गया था या फिर साठ हजार कमाने वाली शिक्षिका बहू हाथ से जाती हुई प्रतीत हो रही थी।

रिश्ते की मध्यस्ता कर रहे गुल्लू मियां का गुस्सा भी चर्म पर था वो तो बार-बार ये ही कह रहे थे कि- "बाबू साहब आप थोड़ा सब्र तो करते, आपको कार के साथ बहू के रूप में एक क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा था,चाहते तो हर साल एक नई कार खरीद सकते थे।" बात तो  गुल्लू मियां की सवा-सोलह आने ठीक थी।

लड़की के भाई सोनू का अपनी बहन को शादी में कार देने का इरादा था, मगर लड़की पक्ष की ओर से डिमांड करने पर उसका पारा सातवे आसमान पर पहुँच गया था। सोनू का कहना था आज कार मांग रहे हैं, कल कुछ और भी मांग सकते है, ऐसे लाची व लोभी लोगों के हवाले मैं अपनी बहन नही कर सकता।"

सोनू की बात सही थी। फिर भी सोनू ने सभी का मान-सम्मान रखते हुए सोचकर जवाब देने को कहकर लड़के पक्ष को इज़्ज़त के साथ बिदा कर दिया और चैन की सांस ली। रिश्ता टूट चुका था परंतु आज भी लड़के पक्ष को सोनू के जवाब का इंतज़ार है।

इनपुट सोर्स : डॉ0 अतीक़ "दानिश", स्वतंत्र लेखक एवं साहित्यकार।