पढ़ें, आखिर फिल्मे फ्लॉप होने के बाद भी क्यो डायरेक्टर्स की पहली पसंद थे मिथुन दा

पढ़ें, आखिर फिल्मे फ्लॉप होने के बाद भी क्यो डायरेक्टर्स की पहली पसंद थे मिथुन दा

मुंबई। फिल्मों के box office verdict देने वाली वेबसाइटों ने मिथुन दा की मुख्य धारा की फिल्मों को लाइन से फ्लॉप लिख रखा है...उटी जाने के बाद वाली तो सारी ही फिल्मों को डिजास्टर स्टेटस दे रखा है...ये आंकड़े विश्वसनीय नहीं है... भरोसेमंद नहीं है... लेकिन इन आंकड़ों को एक बार सच भी मान लें तो भी मिथुन दा एक सिनेमाई करिश्मा तो है ही।

यहां 4-5 फिल्में फ्लॉप होते ही एक अभिनेता विवेक ओबेरॉय बन जाता है। फिर भी मिथुन दा को निर्माता निर्देशकों ने 300 से अधिक फिल्में दी। 300 फिल्में तो यहां अभिषेक बच्चन, बॉबी देओल, तुषार कपूर,अक्षय खन्ना, कुमार गौरव को नहीं मिली जिनके पिता भी अभिनेता थे...300 फिल्में तो कभी आदित्य पंचोली,दीपक तिजोरी,चंकी पांडे, राहुल राय, रोनित रॉय को नहीं मिली। आखिर कुछ तो विशेष था मिथुन दा में जो एक डिजास्टर देने के बाद भी निर्माता उनसे कहते थे कि "एक डिजास्टर हमारे साथ भी दे ले भाई"।

लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि ये आंकड़े विश्वसनीय नहीं है क्योंकि हर निर्माता लाभ में रहने के लिए ही फिल्में बनाता है कोई भी घाटा खाने को फिल्में नहीं बनाता...उटी वाली फिल्में बहुत ही कम बजट की होती थी उनमें निर्माता को कोई विशेष नुकसान भी नहीं होता था फिर भी चांडाल,चीता,शपथ, मुकद्दर,शेरा,शेर ए हिंदूस्थान, मिलिट्री राज, जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मामले में सफल रही थी हालांकि बाद में ऐसी फिल्मों में घाटा लगा था लेकिन शुरुआत में ये b grade फिल्में निर्माताओं के लिए लाभ का सौदा रही।

मुख्य धारा की फिल्में फ्लॉप होने का कारण ये रहा कि वो साल में 15-16 फिल्में करते थे जिनमें सबके हिट होने की कोई गारंटी नहीं होती लेकिन उन फिल्मों में से 5-6 फिल्में हर साल हिट होती थी और 3-4 फिल्में औसत होती थी हालांकि आजकल औसत फिल्मों को भी फ्लॉप ही लिख दिया जाता है।

अगर निर्माताओं को वास्तविक घाटा लगता तो मिथुन दा को लीड हीरो के रोल में कभी भी इतनी फिल्में नहीं मिलती। बाकि बॉक्स ऑफिस नतीजे कुछ भी कहें...आईएमडीबी की रेटिंग कुछ भी कहें...ये एक बहुत बड़ा सुपरस्टार हैं विशेषकर ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में इनकी फिल्मों को वीसीआर पर बहुत चाव से देखा जाता था। इसके अलावा बीच बीच में ये अवार्ड जीतने वाला प्रदर्शन भी कर देते थे जिसके कारण इन्हें तीन तीन नेशनल अवार्ड मिलें।