फेसपैक

फेसपैक

फीचर्स डेस्क। नेहा अपनी सहेली के साथ कोचिंग क्लास से बाहर निकली तो अंधेरा हो चुका था। उसकी सहेली थोड़ी देर रुक कर अपने भाई का इंतजार करना चाहती थी। लेकिन नेहा ने कहा चलो चलते हैं । दोनों बातें करती धीरे धीरे घर की ओर बढ़ रहीं थीं। नेहा अपनी मम्मी की शिकायत कर रही थी। वह बोली ,"अरे ,मैं तो अपनी मम्मी से बहुत परेशान हूँ। वह हरदम फेस पैक लेकर मेरे पीछे पड़ी रहती हैं। कहतीं हैं इसे लगाने से मेरा रंग साफ और त्वचा चमकने लगेगी। मैंने उनसे पूछा कि इससे क्या फायदा? तो वह बोली कि मेरी शादी तय होने में कोई परेशानी नहीं होगी।

   उसकी सहेली हँसने लगी । वह बोली," फिर तुमने क्या कहा?"

  "मैं बोली कि फेसपैक तुम सिर्फ मुझे ही लगाने को क्यों बोलती हो? भाई को क्यों नहीं बोलती? आखिर शादी उसे भी तो करनी है । जानती हो... फिर मम्मी ने क्या कहा? वह बोली, वह लड़का है और लड़कों के रंग- रूप नहीं देखे जाते । यह भी कोई बात हुई ?"

  उसकी बात सुनकर उसकी सहेली मुस्कुरा उठी। वह बोल उठी," क्या करोगी ,यह सोच बरसों से चली आ रही है ।लोग लड़के- लड़कियों में फर्क करते ही हैं ।"

  "लेकिन उन्हें यह सोच बदलनी होगी। देखो ना, जब मेरा भाई क्रिकेट खेलता था तो मेरे घरवाले कुछ नहीं बोलते थे। लेकिन जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो सब बोलने लगे कि यह लड़कियों के खेल नहीं है ।अगर बॉल चेहरे पर लग गई तो चेहरा खराब हो जाएगा। लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी आज मैं अपने स्कूल के क्रिकेट टीम की कप्तान हूँ और अभी मेरा चुनाव अपने राज्य के टीम में होने वाला है ।

  "लेकिन तुम्हारी माँ बहुत गलत नहीं है। लड़के- लड़कियों में फर्क होता है। सामने देखो..." उसकी सहेली ने कांपते हुए स्वर में कहा।

   उसने सामने देखा, अंधेरा काफी हो गया था ।सड़क बिल्कुल सुनसान थी और चार-पाँच आवारा किस्म के लड़के अश्लील हरकत करते हुए उनका रास्ता रोके खड़े थे।क्षण भर के लिए वह भी सिहर उठी । उसे लगा उसकी माँ सही है ।उसे फेसपैक लगा कर घर पर ही बैठना चाहिए। तभी उसके अंदर की नेहा जाग उठी। उसने हुंकार भरते हुए पास पड़े एक बांस के डंडे को उठा लिया और उन बदमाशों पर डंडा बरसाने लगी ।उसे लड़ता देख कर उसकी सहेली को भी जोश आ गया। उसे भी एक जंग लगी लोहे की छड़ मिल गई और वह भी उनसे भिड़ गई ।वे लड़के इस अप्रत्याशित हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे। रही सही उनकी हिम्मत सामने आती एक गाड़ी की तेज रोशनी ने तोड़ दी ।वे सारे लड़के जान बचाकर वहाँ से भाग खड़े हुए। गाड़ी एक बुजुर्ग व्यक्ति चला रहे थे। उन्होंने दोनों लड़कियों को अपनी गाड़ी में बिठाया और उन्हें उनके घर तक छोड़ दिया।नेहा घर पहुँची तो उसकी माँ उसे घर के बरामदे पर ही मिल गई ।वह बहुत खुश थी । क्योंकि उसका चुनाव अपने राज्य के क्रिकेट टीम में हो गया था। उसकी इतनी बड़ी उपलब्धि से घर में उत्सव सा माहौल था। रात में वह पलंग पर लेटी अपने साथ हुई उस अप्रिय घटना के बारे में सोच रही थी और सारे घटनाक्रम का मंथन कर रही थी।साथ ही सोच रही थी कि इस घटना को जानने के बाद उसकी माँ की क्या प्रतिक्रिया होगी? तभी माँ हाथ में फेसपैक की कटोरी लेकर उसके पास पहुँच गयीं।

  " फिर से फेसपैक?"... उसने माँ से कहा ।

  "अब तो तुम्हें नियमित रूप से इसे लगाना होगा ।धूप में खेलने से मेरी बिटिया रानी की त्वचा काली न हो जाये।"...मां ने मुस्कुराते हुए बड़े प्यार से उससे कहा ।

  "हाँ, यह फेसपैक तो बहुत जरूरी है ।यह मुझे हमेशा याद दिलाता रहेगा कि मुझे सिर्फ मन से ही नहीं तन से भी मजबूत होना है।"... वह मन मन मुस्कुरा रही थी।

 इनपुट सोर्स : रंजना वर्मा