
फीचर्स डेस्क। नारायणपुर गाँव के बाहर के काली मैया के चबूतरे के पास गाँव के लगभग बीस-पच्चीस की संख्या में गाँव के स्त्री-पुरुष इकट्ठा हुए थे सभी के बैठने के लिए एक बड़े तिरपाल का प्रबंध किया गया था और जमीन पर बिछा दिया गया था। कुछ देर बाद गाँव के वृद्ध शंभू काका बोले,, लगभग सभी तो आ ही चुके हैं,,कहो उत्तम! क्या कहन Read more...
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मेघ तुम बरस तो रहे हो जरा उनके बारे में भी सोचना जिनकी फूस की छत पन्नियों से घिरी दीवार है। तुम बरस तो रहे हो जरा ये भी सोचना इन्ही झोपडिय़ों में कोई Read more...
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सुनो याद है मुझे वो सावन पुराना तुम्हारा बरसती हुई बारिश में भीगते आना और मुझे देखते ही पलट जाना Read more...
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यशोदा को लाल संग,खेले ग्वाल बाल वो तो, सब ब्रजवासिन को,बनो चितचोर है। मुरली की तान अति,प्यारी लागे कान अरु, मुकुट के सहित ही,सोहे पंख मोर है।। नटखट भारी सुख,पावे नर-नारी जो है, Read more...
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नभ से बजती दुंदुभी, सकल जगत खुश आज। बृज की पावन भूमि पर, जन्में हैं यदुराज। अतिशय बढ़ती भानुजा, छूने देवी पाँव। वासुदेव धीरज रखें, शोकाकुल है गाँव। प्यार लिखूंँ अनुभव लिखूंँ, लिखूंँ Read more...
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ओ श्याम,तेरी चतुराई कैसे तोहे बताऊं ? भोर दिवस छत पर आकर के लुक-छिप मोहे निहारे, लाज के मारे सिमट सिमट कर गठरी बनती जाऊं Read more...
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