Mahashivratri Special: ये है महादेव के साले का मंदिर, दर्शन करने से होती है संतान कि प्राप्ति
फीचर्स डेस्क । आज महादेव कि शादी है। ऐसे में तरह-तरह के ख़बरें आप तक पहुच रही होंगीं। बाबा कि बारात से लेकर बाबा कि शादी तक कि अनगिनत रस्मे रिवाज कि बातें अपने पढ़ा होगा। अब मैं आपको वाराणसी सिटी में बाबा के बदर-इन-ला (साले साहब) के मंदिर के बारें में बताने जा रही हूँ। ऐसा हो सकता है कि इसकी जानकारी कम ही लोगो को हो। तो आए जानते हैं क्या है हिस्ट्री और खासियत...
अड़भंगी कैसे बन गया बहनोई
दरअसल, बाबा के साले कि मंदिर सिटी से 8 किलोमीटर दूर सारनाथ में है। कहा जाता है कि बाबा भोले का विवाह राजा दक्ष की बेटी सती से हुआ था। जब शिव कि शादी हुई तो उस समय बड़े ऋषि सारंग कहीं बाहर गए थे। जब वो लौटकर आए तो उनको शादी के बारें में जानकारी हुई। सबसे अधिक वो नाराज इस बात को लेकर हो गए कि जिसके पास वस्त्र, जेवर नहीं है, वो अड़भंगी उनका बहनोई कैसे बन गया।
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सारनाथ में किया विश्राम
पुरानी बातो के जानकर रामअवध शर्मा ने बताया कि जब शादी के कुछ दिन बीत गया बाबा के साले सारंग जेवर लेकर महादेव को देने काशी पहुंचे और यहाँ पर सारनाथ में आकर रुके। जब सारंग सो गये तो उनको सपना आया जिसमे उनको पूरी काशी सोने कि दिखाई पड़ी। जब वह सुबह सोकर उठे तो तो सच में पूरी काशी सोने कि थी। ऐसे में वह बहुत पश्च्तावा किया और वो सारनाथ में ही तपस्या पर बैठ गए। हजारो साल बाद महादेव ने प्रकट होकर उनको 3 वरदान दिए।
शिव से माँगा काशी में स्थान
बाबा कि महिमा को देखने के बाद सारंग ने बाबा से कहा प्रभु मुझे भी काशी रुकने कि जगह दीजए। इसके बाद बाबा के वरदान से यहां 2 स्वंभू शिवलिंग निकले, जिसको पूरी दुनिया आज सारंगदेव के नाम से पुजती है। बता दे कि सारंगनाथ (साला) का शिवलिंग लंबा है और सोमनाथ (जीजा) का गोला आकार में और ऊंचा है। वहीँ मंदिर से जुड़ी एक और कहानी है। कालांतर में 2400 साल पहले जब बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार तेजी से हो रहा था। उस समय प्रथम आदि शंकरचार्य ने यहां आकर बौद्ध धर्म गुरुओं से शास्त्रार्ध किया और उनको हराकर इसी स्थान पर सारंगदेव के पास एक शिवलिंग स्थापित किया, जिसे सोमनाथ बोला गया।
ऐसा भी माना जाता है
- विवाह के तुरंत बाद यहां दर्शन करने से ससुराल और मायके का संबंध अच्छा बना रहता है।
- जीजा और साले के बीच महादेव और सारंगनाथ जैसा मधुर संबंध बना रहता है।
- चर्म रोग, चेहरे के कैसे भी दाग, कोढ़, मस्सा, इल्ला जैसे बीमारी यहां दर्शन करने से ठीक हो जाती है।
- 41 सोमवार लगातार दर्शन करने से स्वर्ण सम्बंधित इक्षा पूर्ण होती है।
