छोटे भाई के नाम नेह भरी पाती
फीचर्स डेस्क। वैसे तो मैंने कभी आजतक तुम्हें पाती नहीं लिखी...क्योंकि तुम बहुत छोटे हो मुझसे,बस सदा स्नेह ही भेजा। आशा करती हूँ तुम सकुशल से होगे। शायद खत को पढकर तुम आश्चर्यचकित जरूर हो जाओ... आज के जमाने में खत लिखता कौन है। सच भी है। जबसे ये फोन आया है। लोगों खत लिखने की प्रक्रिया को भूल ही गए। आज बरसों बाद मन हुआ...फोन के माध्यम से ही सही अपने भाई को एक पाती लिखती हूँ। इस मन के भीतर दबी कितनी ही यादें है।आज सब धीरे-धीरे दिल के झरोखे खोल रही है।तुमने हमेशा मुझे बडी दीदी कहाँ लेकिन दर्जा सदा ही माँ ! सा दिया ।सोचती हूँ तुम भावनात्मक तौर पर कितने भोले और दिल के सच्चे हो। लेकिन अब बडे हो गए...दुनिया को समझना सीखों। खुश रहो हमेशा।
सावन का महीना लगते ही तीज-त्यौहारों की खुशी...और रक्षाबंधन का पावन पर्व मन को उमंग से भर देता है। वैसे तो अपने हाथों से राखी बांधे बरस गुजर गए। लेकिन राखियों के साथ अपना नेह भेज देती थी।
पहली बार इस वैश्विक महामारी के कारण राखियाँ
नहीं भेज पाईं। दिल में एक टीस..और आँखें सजल हो जाती है। लेकिन ये कभी मत समझना
हमारे प्यार में कोई कमी आई है।
रक्षासूत्र एक पवित्र धागा होता है। भाई-बहन के रिश्तों को मजबूत करने का...
इसलिए तुम्हें इस बार एक नेह भरी पाती लिख रही हूँ। जो कभी नहीं लिखी थी।
हमारे बीच मीलों की दूरी जरूर है लेकिन दिलों में दूरी कभी नहीं है।
यही तो पर्व त्यौहारों का महत्व है...जो रिश्तों को करीब लातें है। और फिर भाई-बहन तो बचपन से ही सबसे अच्छे दोस्त होते है।
बस यही भगवान से प्रार्थना है। इन रिश्तों में ये खुशनुमा माहौल सदा बरकरार रहे। अपनी जिम्मेदारियों को पूरे मन से निभाओ ।
खुश रहो हमेशा मस्त रहो। यही हमारा आशीर्वाद है। हम सब जल्द ही मिलेंगे।
खूब सारा प्यार और आशीर्वाद तुम्हें
जल्द ही मिलने के इंतजार में तुम्हारी , प्यारी दीदी
इनपुट सोर्स : मंजू शर्मा, भुवनेश्वर।
