यादें..
बस अभी कुछ दिनों पहले की सी है बात
जब कॉलेज के प्रांगण में
अक्समात ही हुई थी
पहली बार तुमसे मेरी
भेंट..
कुछ अजीब सा आकर्षण था
तुम्हारे व्यक्तित्व में
कुछ ही दिनों में तुम
चहेते बन गये थे सभी के
फिर चाहे हों teacher's या हो
क्लासमेट .
और हो भी क्यूँ ना
अव्वल जो थे तुम हर चीज़ में
और मृदुभाषी तो इतने कि
बात करो तो लगे मानो
मोती झरते हों...
अक्सर अनायास ही मेरी नज़रे
तलाशती रहती थी तुम्हें ही..
और तुम...
तुम भी तो देखते रहते थे मुझे ही
बस एक टक यूँ ही..
क्लास में सब चिढाते थे हमें कि
हम कर रहें हैं एक दूसरे को
डेट .
आज दस साल बाद ये सारी यादें
दे रहीं हैं मुझे
इक बेहद सुखद अनुभूति
साबित हुये हो तुम
एक बेहतरीन जीवनसाथी
तुमने हमेशा ही रखा हैं मुझे
सहेज कर
फूलों की नाज़ुक पँखुड़ियों की तरह
और ...ये जो है तुम्हारी छुअन
ये तुम्हारी सुलगती सॉंसों का
मेरे महकते गेसुओं से मिलन
ये होले से आहिस्ता से
लगा देता है
न जाने कैसी अजब सी अगन
आज भी पहले की ही तरह...
सच..तुम में मिल ही गया है
मुझे मेरा।
input : Leena Kheria