कहीं आपके कुण्डली में भी तो नहीं ये बुरे योग, जानें इसका क्या होता है असर, पढ़िए, क्या कहते हैं ज्योतिष एक्सपर्ट  

इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसे योग से भी परिचित करवाएंगे जिनके बारे में भले ही बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन ये कहीं ज्यादा भयानक और घातक है...

कहीं आपके कुण्डली में भी तो नहीं ये बुरे योग, जानें इसका क्या होता है असर, पढ़िए, क्या कहते हैं ज्योतिष एक्सपर्ट  

फीचर्स डेस्क। जातक का संपूर्ण जीवन उसकी कुंडली का ही आईना होता है, सौरमंडल के नौ ग्रह हमारे जन्म के समय किस स्थिति और दशा में थे, इसके आधार पर कुंडली का निर्माण होता है और यही कुंडली हमारे जीवन का आधार बन जाती है। अगर ये ग्रह अच्छे रहे तो निश्चित तौर पर ये हमारे जीवन पर अपना शुभ प्रभाव डालेंगे, इनसे बनने वाले योग भी अशुभ ही होंगे जो हमें सुख, खुशहाली प्रदान करेंगे। लेकिन अगर हमारे जन्म के समय इनका प्रभाव हमारे ऊपर अच्छा या सकारात्मक नहीं रहा तो जाहिर सी बात है अपना अशुभ फल देने से भी नहीं चूकेंगे।

(1)- अंगारक, विष कन्या, कालसर्प इन सब बुरे योगों के बारे में तो अकसर हम सुनते आए हैं, लेकिन इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कुछ ऐसे योग से भी परिचित करवाएंगे जिनके बारे में भले ही बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन ये कहीं ज्यादा भयानक और घातक है। अगर आपकी कुंडली में भी इनमें से कोई योग है। तो आपको अच्छे ज्योतिष की सलाह लेने की आवश्यकता है।

(2)- ऐसे ही बुरे योग में सबसे पहला नाम है केमदु्रम योग का, यह योग कुंडली में चंद्रमा के वजह से बनता है।

जब चंद्रमा दूसरे या बारहवें भाव में होता है और चंद्र के आगे-पीछे के भावों में कोई गृह ना हो तो यह स्थिति केमदुरम योग कही जाती है। जिस किसी भी जातक की कुंडली में यह योग होता है तो उसे आजीवन आर्थिक कष्ट झेलना पड़ता है। और उसका जीवन संकटों से घिरा रहता है।

उपाय- अगर आपकी कुंडली में ये योग है तो आपको भगवान गणेश और  माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए नियमित तौर पर हर शुक्रवार महालक्ष्मी को लाल गुलाब अर्पित करें।

(3)- कुंडली में अगर किसी भाव में चंद्रमा और राहु या केतु साथ बैठे हों तो यह स्थिति ग्रहण योग कहलाती है। यदि इसमें सूर्य भी साथ हो जाए तो ऐसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है।

वह एक जगह स्थिर नहीं बैठता है, वह व्यापार,नोकरी,और अपना आवास स्थान में बदलाव करता ही रहता है। ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे भी पड़ सकते हैं।

उपाय- अगर आपकी कुंडली में भी ऐसे योग बनते हैं तो आपको सूर्य की अराधना करनी चाहिए, ताकि ग्रहण योग का प्रभाव कम से कम हो जाए।

(4)- यदि आपकी की कुंडली में गुरु के साथ राहु भी उपस्थित होता है उसकी कुंडली में चांडाल योग बनता है। इस योग को गुरु चांडाल योग भी कहा जाता है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षा और आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।

उपाय- अगर आप भी इस योग की चपेट में हैं तो आपको गुरु की अराधना करनी चाहिए, उसे मजबूत करने के उपाय करने चाहिए।

(5)- मंगल जिसे क्षत्रीय ग्रह माना जाता है, जब कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या बारहवें भाव में हो तो यह कुज योग बनाता है। सामान्य भाषा में इसे मंगल दोष भी कहा जाता है। जिस किसी भी जातक की कुंडली में यह योग बनता है उसका विवाहित जीवन कष्टप्रद हो जाता है।

उपाय- इसलिए विवाह पूर्व वर-वधु की कुंडली अवश्य मिलवा लेनी चाहिए।

मंगल दोष निदान के लिए पीपल और वट वृक्ष पर नियमित तौर पर जल चढ़ाना और कम से कम पांच परिक्रमा प्रति दिन करनी चाहिए।

(6)- यदि कुंडली का लग्नेश आठवें घर में विराजमान हो और उसके साथ कोई भी शुभ ग्रह ना बैठा हो तो यह षडयंत्र योग बनता है। यह योग बहुत खराब माना गया है क्योंकि जो भी जातक इस योग की चपेट में आता है उसे किसी करीबी व्यक्ति के षड्यंत्र का सामना करना पड़ता है। उसके साथ धोखेबाजी होती है और अपना ही कोई व्यक्ति उसे बड़ी मुसीबत में फंसा देता है।

इस दोष को शांत करने के लिए भगवान शिव और शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर जल और आक के फूल चढ़ाने चाहिए।

(7)- जन्मकुंडली में जब किसी भी भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें स्थान पर जाकर बैठ जाता है। तो वह उस भाव के सभी प्रभावों को नष्ट कर देता है।

उपाय- कुंडली में जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है उससे संबंधित दिन अर्थात वार को पवनपुत्र हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए और साथ ही संबंधित ग्रह के रत्न पहनकर भी उसका प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।

(8)- चंद्रमा पाप ग्रहों से युति कर और साथ ही उसकी बैठकी छठे, आठवें या बारहवें स्थान पर हो या फिर लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसा व्यक्ति निश्चित तौर पर अल्पायु होता है। उसके जीवन पर हर समय खतरा मंडराता रहता है।

उपाय- इस योग के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए व्यक्ति को महामृत्युंजय का जाप करते

रहना चाहिए या सुयोग्य पात्र से समय-समय पर करवाते रहना लाभ दायक होता है।

इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य एवं हस्तरेखार्विंद विनोद सोनी जी, भोपाल।