World Organ Donation Day: अंगदान कर अमर हो जाये
अंगदान का मतलब है किसी व्यक्ति से स्वस्थ अंगो और टिशूज को लेकर इन्हें किसी दूसरे जरूरतमंद व्यक्ति में ट्रांसप्लांट कर दिया जाना। इस तरह के अंगदान से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है......
फीचर्स डेस्क। मरने के बाद सबको मिटटी में मिल जाना है। ना कुछ साथ लाये थे ना कुछ साथ जाना है तो क्यों ना जाते जाते कुछ ऐसा काम कर जाये जिससे आप के मरने के बाद भी लोग आप को याद करें, धन्यवाद दें और आप किसी और के शरीर में जीवित रहे। मृत्यु के बाद भी जीने का सौभाग्य है अंग दान। अपने अंगदान कर दूसरे को जीवन देकर कुछ इंसान भगवान बन जाते हैं। अंगदान को बढ़ावा देने और इसके प्रति अवेयरनेस बढ़ाने के लिए हर साल 13 अगस्त को विश्वभर में अंगदान दिवस मनाया जाता है। अंगदान का मतलब है किसी व्यक्ति से स्वस्थ अंगो और टिशूज को लेकर इन्हें किसी दूसरे जरूरतमंद व्यक्ति में ट्रांसप्लांट कर दिया जाना। इस तरह के अंगदान से किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है। अंगदान ज्यादातर मामलों में मृत्यू के बाद और कभी-कभी जीवित स्थिति में भी किया जा सकता है।
क्या कहते हैं आकड़ें
आकड़ों पर नज़र डालें तो कंडीशन कुछ खास अच्छी नहीं है। भारत में हर साल 1.5 लाख किड़नी की जरूरत पड़ती है, जबकि केवल 3 हजार मुहैया हो पाती है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को 25 हजार नए लीवर की आवश्यकता होती है लेकिन हासिल हो पा हो पाते है सिर्फ 800 को। यही हाल कमोबेश ऑय डोनेशन का भी है हर साल 60 लाख नेत्रहीनों लोगों को आंखों की जरूरत होती है, लेकिन 22, 384 लोगों को ही मिल पाती है। सिंगापुर, बेल्जियम और स्पने में 10 लाख में से 20 से 40 लोग, अमेरिका, जर्मनी और नीदरलैंड में 10 लाख में से 10 से 20 लोग अंगदान करते हैं। जबकि भारत में प्रति 10 लाख में से ये आंकड़ा 0.16 लोगों का है।
कैसे कर सकते हैं अंगदान
अंगदान दो तरह से किए जा सकते हैं एक जीते जी और मरने के बाद। पहली केटेगरी है लिविंग डोनर इसमें व्यक्ति जीवित रहते हुए शरीर के कुछ अंग जैसे किडनी, बोन मैरो,लिवर और फेफड़े का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों को डोनेट कर सकता है। दूसरी केटेगरी है ब्रेन डेड इसे केडेवर डोनर भी कहते हैं। 18 साल से कम उम्र के युवा पैरेंट्स की अनुमति और इससे अधिक उम्र होने पर अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। ब्रेन डेड घोषित होने पर किडनी, लीवर, फेफड़े, पैन्क्रियाज, ओवरी, गर्भाशय, आंखें, हड्डियां और त्वचा को दूसरे शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
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कौन कर सकता है
कोई भी शख्स अंगदान कर सकता है। उम्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है। नवजात बच्चों से लेकर 90 साल के बुजुर्गों तक के अंगदान कामयाब हुए हैं। अगर कोई शख्स 18 साल से कम उम्र का है तो उसे अंगदान के लिए फॉर्म भरने से पहले अपने मां-बाप की इजाजत लेना जरूरी है।
अंगदान से जुड़े मिथ
आमतौर पर लोग धार्मिक आस्थाओं के कारण अंगदान करने से बचते हैं, लेकिन तमाम धर्म-आध्यात्मिक गुरु भी इस बात को कह चुके हैं कि अंगदान करना एक बड़े पुण्य का काम है क्योंकि इससे आप एक मरते हुए शख्स को जिंदगी दे रहे हैं और किसी को जिंदगी देने से बड़ा पुण्य भला क्या होगा। कुछ कानूनी दावपेच भी इसमें अड़चन डालते हैं ऑर्गन डोनेशन ऐक्ट 1994 के नियमों के मुताबिक अंगदान सिर्फ उसी अस्पताल में ही किया जा सकता है, जहां उसे ट्रांसप्लांट करने की भी सुविधा हो। सरकार ने 2011 में इस नियम में कुछ बदलाव करने के लिए एक बिल पास किया। नए नियम के मुताबिक अंगदान आप किसी भी आईसीयू में कर सकते हैं। यानी उस अस्पताल में ट्रांसप्लांट न भी होता हो, लेकिन आईसीयू है, तो वहां भी अंगदान किया जा सकता है। इससे अंगदान में तेज़ी आने की संभावना है।