Women's Day Special:ज़ज़्बा,जुनून और हिम्मत की मिसालें ये महिलाएं जो बढ़ा रही है देश का गौरव

अपने लक्ष्य को पाने के लिए जो कुछ भी है कर गुजरती ,वो है नारी। ऐसी ही 6 वंडर लेडीज की सक्सेस स्टोरी लेकर आए है हम इस आर्टिकल में जिन्होंने अपनी सफलता की कहानी खुद रची।

Women's Day Special:ज़ज़्बा,जुनून और हिम्मत की मिसालें ये महिलाएं जो बढ़ा रही है देश का गौरव

फीचर्स डेस्क। कहते है नामुमकिन कुछ भी नही। एक महिला कुछ भी कर सकती है। अगर महिला कुछ ठान ले तो फिर करके ही रहती है। उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। उसके हौसलों के आगे बड़ी बड़ी मुश्किल भी हार मान जाती है। महिलाएं देखने में जितनी कोमल है उतनी ही अपने हौसलों से मजबूत है। कोई भी आंधी आए या तूफान एक औरत के मजबूत इरादों को हिला नहीं पाई। अगर आपको सफलता चाहिए तो आप खुली आँखों से ख़्वाब देखिए और उन्हे पूरा करने के लिए जुट जाइए जैसे ये महिलाएं जुट गई दिल और जान से अपने सपनों को पूरा करने के लिए। एक मिसाल कायम कर दी इन्होंने उन महिलाओं के आगे जो हालातों से घबरा कर हार मान जाती है। आप भी पढ़िए विमेंस डे स्पेशल सीरीज में ऐसी ही दमदार व्यक्तित्व की महिलाओं की कहानी।
कहानी नंबर 1) जहां कभी करती थी काम वहा की अब है मालकिन

हमारी सीरिज़ में पहली कहानी है उन आदिवासी महिलाओं की जिन्होंने रचा एक नया इतिहास ।आपने बाला घाट मध्यप्रदेश का नाम तो ज़रूर सुना होगा। वहा की आदिवासी महिलाओं ने वो कर दिखाया जो पुरुषों के लिए भी आसान नहीं था। हम सभी महिलाओं की आदत होती है बचत करने की। हमे बचपन से ही सिखाया जाता है की बचत करो क्योंकि मुश्किल समय में हमारी बचत ही काम आती है। आज उसी बचत की वजह से वो आदिवासी महिलाएं जो कभी राइस मिल में धान से चावल बनाती थी आज उन्होंने अपनी बचत से उस मिल को खरीद लिया और अब वो उस मिल की मालकिन बन गई। है न एक प्रशंसनीय काम। कोराेना काल ने लाखो लोगो का रोजगार छीना। कोरोना के कारण ये राइस मिल भी बंद करनी पड़ी थी और इस राइस मिल में काम कर रही महिलाओं से उनका काम भी उनके हाथ से छूट गया था। जब मंदी के कारण मिल मालिक कारखाने की मशीनों को बेच रहा था तब मिल में काम कर रही आदिवासी महिलाओं ने अपनी बचत को मिलाकर उन मशीनों को फिर से खरीद लिया और सरकारी सहायता से उस मिल को वापस शुरू किया। अब ये महिलाएं मिलकर सफलता पूर्वक मिल का संचालन कर रही है। इस बात की सराहना तो हमारे देश के प्रधानमंत्री ने भी अपने कार्यक्रम मन की बात में की थी। इन महिलाओ ने अपनी हिम्मत से सफलता की दास्तान लिखी जो पूरे देश के लिए गौरव की बात है। 

कहानी नंबर 2) गुरलीन चावला जिसने बदल दी झांसी की तस्वीर

दूसरी कहानी में हम लेकर आए है एक ऐसी लड़की की कहानी जिसने अपने शहर की तस्वीर बदल दी।  जी हां गुरलीन चावला ने ये साबित कर दिखाया कि नामुमकिन कुछ भी नही। अगर आप किसी चीज का शौक रखते है तो उसे हासिल करने के लिए आपको जी जान से मेहनत करनी चाहिए। ये मेहनत की है झांसी की 23 साल की गुरलीन चावला ने। आप लोगो ने इनका नाम तो सुना ही होगा। इन दिनों गुरलीन बुंदेलखंड में स्ट्रेबरी की खेती करने के लिए मशहूर है। हर किसी को आश्चर्य होता है कि बुंदेलखंड में स्ट्रेबरी की खेती। पर इस नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया एक 23 वर्षीय लड़की ने। पुणे से एलएलबी कर रही गुरलीन लॉक डाउन के दौरान अपने घर आई। इनको स्ट्राबेरी खाने का बहुत शौक था। इन्होंने घर के गमलों में स्ट्राबेरी उगाने का प्रयास किया जिसमे ये सफल हुई। बस फिर क्या था इन्होंने अपने पापा के फार्म हाउस में स्ट्राबेरी की खेती शुरू कर दी। देखते ही देखते यहां स्ट्रेवरी की सफल खेती शुरू हो गई। इनको देखते हुए और किसान भी प्रभावित हुए और स्ट्राबेरी की खेती कर रहे है। अभी पिछले दिनों झांसी में स्ट्रॉबेरी फ़ेस्टिवल ऑर्गेनाइज हुआ था जिसका कांसेप्ट ही ये था कि स्टे एट होम। यूपी के मुख्यमंत्री ने इस फ़ेस्टिवल की बहुत तारीफ की। साथ ही अपने कार्यक्रम मन की बात में प्रधानमंत्री ने भी गुरलीन चावला के हौसलों भरी कोशिश की तारीफ की है। उनके इस प्रयास से देश की तस्वीर बदलने वाली है। उनके जज़्बे को सलाम।

कहानी नंबर 3) सागर परिक्रमा करने वाली महिला वर्तिका जोशी

हमारी तीसरी कहानी है उस महिला की जिसके आगे बड़े से बड़ा तूफान भी अपने घुटने टेक दे।इरादे मजबूत हो तो बड़े से बड़े तूफान को भी पार कर जाती है नारी। इसी बात को साबित कर दिखाया है  नेवी की जांबाज महिला अफसरों ने। जिन्होंने जहाज़ से पूरी दुनिया की परिक्रमा की। हम सभी भारतीयों ने देखा कि कैसे इन महिलाओ के दल ने कितनी बहादुरी से सभी कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी मंज़िल को पर किया। ऐसा भारत में पहली बार हुआ कि महिला अफसरों का दल इस तरह से यात्रा पर गया हो। 2018 में जब वर्तिका जोशी की टीम ने ये कामयाबी हासिल कि तब नेवी का कहना था कि जैसे इस महिला टीम ने हर तरह की परेशानियों से उभर कर अपनी यात्रा को अंजाम दिया और अपनी मंज़िल तक पहुंची वो वाकई तारीफ के काबिल है।नाव से पूरी दुनिया की यात्रा पे निकली वर्तिका जोशी को नेशनल ज्योग्राफिक द्वारा बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया था। उत्तराखंड में जन्मी वर्तिका जोशी को कई सम्मान मिल चुके है।भारतीय नौ सेना की लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी को नौ सेना ने नौ सेना मेडल से भी सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने भी अपने कार्यक्रम मन की बात में इस हिमालय की बेटी की जम कर प्रशंसा की। साथ ही इनके साथ शामिल सभी महिला साथियों को भी देश का गौरव कहकर संबोधित किया।

कहानी नंबर 4) इन महिलाओं ने दिया जागरूकता का परिचय

कहानी नंबर चार उन महिलाओं की जागरूकता और हौसले की कहानी है जिन्होंने लोगो की दिल से मदद की।जब किसी चीज की जरूरत होती है तब लोग फायदा उठाते है और शुरू होती है वहां से कालाबाजारी। इसी कालाबाजारी को रोकने के लिए बाजपुर के एक छोटे से गांव भीकमपुरी की चेतना स्वयं सहायता समूह से जुड़ी जनजाति समाज की महिलाओं ने कदम उठाया और खादी से मास्क बनाए । जहां बाजार में 50 रुपए के मास्क मिल रहे थे वही इन्होंने उसके आधे से भी कम दाम में मास्क को बेचा और कई जगह तो मुफ्त मास्क वितरित भी किए। इन महिलाओं ने इस मुश्किल समय में खादी को कोरोना से मुक्ति का हथियार बनाया। अपने हाथो से स्वदेशी मास्क तैयार किए और गांव गांव तक पहुँचाए। इन महिलाओ के इस मुहिम को सिर्फ आम जनता ही नहीं बल्कि सरकार भी सराह रही है। क्योंकि गांव में जहां ज्यादा सुविधा नहीं है वहा इन मास्क की वजह से लोगों को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं ने मात्र चार दिन में 900 मास्क बनाए और पुलिस व स्वास्थ्य कर्मचारियों को निशुल्क मास्क बांटे। जरूरी नहीं कि आपके पास बहुत धन हो बस मन में दूसरों की सेवा का ज़ज़्बा होना जरूरी है और राह खुद ब खुद आपको मिलती जाती है । बस अपना काम ईमानदारी से करे। ये सब साबित कर दिखाया किसी बड़े शहर की नही बल्कि छोटे से गांव की महिलाओ ने।

कहानी नंबर 5) अरुणिमा ने नहीं बनने दिया अपनी कमजोरी को अपने रास्ते का पत्थर

ये कहानी आपको बताएगी कि शारीरिक कमी हमारे इरादों के बीच की दीवार नहीं बन सकती। जी हां अरुणिमा शारीरिक रूप से तो दिव्यांग है पर मानसिक रूप से इरादों की मजबूत है तभी तो अंटार्टिका की टॉप छोटी माउंट विंसन पर भारत का तिरंगा फहराने वाली पहली दिव्यांग पर्वतारोही बनी।2019 में डॉक्टर अरुणिमा ने अपने आर्टिफिशियल पैर की मदद से केवल 12 दिनों में अंटार्टिका की चोटी में तिरंगा फहराया। आर्टिफिशियल पैर से इतनी ऊंची चोटी पर पहुंचना अपने आप में कितना साहसी कार्य है। उनका यह तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। क्योंकि अट्रांटिका की सर्दी हमारे देश के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है।जब उन्होंने चढ़ाई की तब वहां का टेंपरेचर -60 डिग्री सेल्सियस था। स्नो फॉल के कारण 90 के आसपास स्लिप था।जो कि बहुत ज्यादा डेंजरस था। हवा की रफ्तार भी काफी तेज थी। कभी तेज हवा कभी धूप इस कारण अरुणिमा को सन बर्न की प्रॉब्लम भी हो गई थी। चढ़ाई को पूरा करने में उनके हसबैंड गौरव सिंह का इम्पोर्टेंट रोल रहा। सही कहा है किसी ने की अगर इरादे मजबूत हो तो ठंडी हवाएं और बर्फीले पहाड़ भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकती। अरुणिमा ने प्रधानमंत्री का दिया तिरंगा ही अटरांटिका की सबसे ऊंची चोटी पर फहरा कर चोटी का माथा चूमा। माउंट विंसन से पहले अरुणिमा माउंट एवरेस्ट भी फ़तह कर चुकी है। इसके अलावा ये विश्व के कई महाद्वीपों के साथ कई शिखरों पर चढ़ाई कर अपनी प्रतिभा को दिखा चुकी है। इनकी हिम्मत देखकर इनको सैल्यूट करने के लिए हाथ खुद ब खुद ऊपर उठ जाते है।

कहानी नंबर 6)रूमा देवी ने बदली कई महिलाओं की जिंदगी

ये छठी कहानी आपको ये बताएगी कि अपने आप को कभी कम मत समझो। हर किसी में कोई न कोई हुनर ज़रूर होता है पर कई लोगों में हिम्मत नही होती। अगर हुनर के साथ जज्बा हो तो मंज़िल आपके पास खुद ब खुद आ जाती है। ऐसा ही जज्बा है डॉक्टर रूमा देवी के दिल में। जीवन उनका संघर्षों में बीता है। वो ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहीं है।हस्त कला के रूप में उन्हें कशीदाकारी आती है और वो ही उनके काम आई।हौसलों की चट्टान के आगे बड़े से बड़ा रुकावट का पत्थर भी पिघल जाता है।बाड़मेर के छोटे से गांव से निकली रूमा देवी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने चली गई जहां उनकी एक अलग पहचान बन गई।कशीदाकारी करने वाली रूमा देवी बड़े बड़े फैशन डिजाइनर के साथ फैशन शो कर चुकी है । सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी उनके बनाए कपड़े मॉडल्स पहनते है। रूमा देवी को राष्ट्रपति द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। नारी शक्ति की पहचान के रूप में रूमा देवी को कई बड़े कार्यक्रम में भी एस ए गेस्ट बुलाया जाता है।महिला सशक्तिकरण की अगर बात करे तो रूमा देवी का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता।

हमारा भारत देश ऐसी ही अनगिनत महिलाओ से भरा हुआ है जहां प्रतिभा की कोई कमी नहीं। बस दिल में ज़ज़्बा और जुनून होना चाहिए मंज़िल खुद ब खुद मिल जायेगी। अगर आपके आस पास भी है ऐसी ही महिलाएँ तो बताए हमें ।

 


Pictures Courtesy: Google