Women's Day Special:काउंसलिंग से लोगो को जीवन की दिशा और दशा बदल रही डॉक्टर स्वर्ण रेखा

विमेंस डे पर हम लाए है आपके लिए ऐसी प्रतिभाशाली लेडीज के इंटरव्यूज जिस से जनमानस को प्रेरणा मिल सकती है , आइये मिलते हैं एक ऐसी ही शक्शियत से

Women's Day Special:काउंसलिंग से लोगो को जीवन की दिशा और दशा बदल रही डॉक्टर स्वर्ण रेखा

फीचर्स डेस्क। जब आपके जीवन में चारो तरफ निराशा हो जाए कोई रास्ता न मिले तो कोई एक ऐसा पर्सन चाहिए होता है हमें अपनी लाइफ में जो हमें मोटिवेट करके सही रास्ता दिखाएं। करियर की राह पर चल रहे बच्चे क्या करियर अपनाएं जो उनके जीवन को सही राह दे। इन सब सवालों के जवाब हमे मिलते है काउंसलर से। आज हमारे बीच एक ऐसी ही प्रोफेशनल काउंसलर मौजूद है जो आपको आपके सारे सवालों के जवाब देंगी। कैसे हमे बच्चों के जिद्दी स्वभाव को टैकल करना चाहिए,कैसे हमें उनके करियर को चुनने में मदद करनी चाहिए और भी कई सारे सवाल जिनके मिलेंगे आज आपको जवाब ।पर उससे पहले जान लेते है डॉक्टर स्वर्ण रेखा के बारे में उन्ही की जुबानी।

शॉर्ट इंट्रोडक्शन

जी नमस्ते 

मैं डॉ स्वर्ण रेखा

पुत्री स्वर्गीय (मेजर)श्री कृष्ण लाल जी।

1. मेरा जन्म बौद्ध गया बिहार में हुआ चूँकि पिताजी आर्मी ऑफिसर थे उनकी पोस्टिंग वहीं थी।

2. पिताजी के साथ अलग अलग जगह रहने का मौका मिला और प्रारंभिक शिक्षा आर्मी स्कूल और केन्द्रीय विद्यालय से रही।

3. बचपन से अलग अलग विषयों में रुचि रही स्कूल व कॉलेज स्तर पर खेलकूद , वादविवाद, भाषण, नृत्य संगीत, इत्यादि में भाग लेती रही और अवार्ड्स लिए।

4. उच्चतर शिक्षा में पीएचडी वनस्पति विज्ञान में , M A इंग्लिश साहित्य ,MA मनोविज्ञान किया, साथ ही प्रोफेशनल कॉउंसेली एंड गाइडेन्स डिप्लोमा लिया।।।

बच्चों को ओर अच्छा समझने के लिए चाइल्ड साइकोलॉजी में स्टडी की ओर साथ ही क्लीनिकल साइकोलॉजी में कोर्स किया।

5. विभिन्न प्रकार की शिक्षा के साथ साथ आर्मी बैकग्राउंड का बहुत फायदा मिला अनुशासन , समय प्रबंधन से जीवन को नई guidline मिलती चली गयी।

डिसिप्लिन का जीवन में बहुत महत्व

डॉक्टर स्वर्ण रेखा जी आर्मी बैकग्राउंड से रही है इसलिए वो डिसिप्लिन की इंपॉर्टेंस जानती है। आपका मानना है कि किसी भी फील्ड में आप जॉब करो या पढ़ाई जब तक आपके जीवन में डिसिप्लिन नही होगा आप आगे नहीं बढ़ सकती। चाहे कितनी भी बड़ी पोस्ट में आप आ जाए पर जीवन से डिसिप्लिन को कभी दूर नहीं करना चाहिए। क्युकी डिसिप्लिन हमारे लाइफस्टाइल को शो करता है और डॉक्टर स्वर्ण रेखा जी के जीवन में आपको डिसिप्लिन देखने को जरूर मिलेगा। वो जो भी काम करती है डिसिप्लिन के साथ करती है और ये उनकी सफलता का एक मुख्य कारण भी है। उनका मानना है कि डिसिप्लिन से आपके अंदर एक कॉन्फिडेंस डेवलप होता है। जो की आपकी पर्सनालिटी में साफ झलकता है।

काउंसलिंग को ही क्यों बनाया अपना प्रोफेशन

प्रारंभिक जॉब में आप लेक्चरर रही कृषि महाविद्यालय में। कई साल तक आपने हनुमानगढ़ के गर्ल्स कॉलेज में प्रिंसिपल के रूप में भी काम किया। 8 साल टीचिंग लाइन में जॉब करने के बाद आपको ये एहसास हुआ की जब बच्चे करियर के उस मुकाम पर आते है जब वो अपनी लाइन चूज करना चाहते है पर उनको कोई सही राह दिखाने वाला नही होता तब आपने निश्चय किया की आप एक प्रोफेशनल कोर्स करें कैरियर गाइडेंस एंड काउंसलिंग का। ताकि आप बच्चो को ये बता सके की कौन सी लाइन उनके लिए सही है और कौन सी गलत। सही गलत का चुनाव करना बच्चो के लिए बहुत जरूरी है। स्वर्ण रेखा जी ने कई एंजियो और हॉस्पिटल्स के साथ टाई अप किया और वहां पर भी आपने अपनी काउंसलिंग से रिलेटेड सेवाएं दी। उसके बाद आपने क्लिनिकल साइकोलॉजी में प्रोफेशनल काउंसलिंग का पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा कोर्स किया। इसका ये फायदा हुआ की बच्चो में कैरियर पढ़ाई को लेकर बहुत डिप्रेशन हो जाता है। कई भ्रांतियां उनके मन में घर कर जाती है। इस काउंसलिंग को अपना कैरियर बनाने के लिए डॉक्टर स्वर्ण रेखा जी के फादर का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज वो जहां भी है उनका मानना है की वो अपने फादर की वजह से ही है। रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर होने के बाद भी आपके फादर ने अपने आपको लोगो की सेवाओं के प्रति समर्पित कर दिया। तो फिर फौजी की बेटी होकर स्वर्ण रेखा कैसे हार मानती। बस आप अपने कैरियर की राह पर आगे बढ़ती चली गई और क्लिनिकल साइकोलॉजी को अपना प्रोफेशन बनाया। क्यो की आपका मानना है कि किसी को जानकारी देना बहुत आसान है पर जानकारी को एक्जीक्यूट करके किसी को कैरियर बना कर देना बहुत बड़ी बात होती है। इस प्रोफेशन में स्वर्ण रेखा जी पिछले 11 सालो से है।

कई अच्छे इंस्टीट्यूट,कई बड़े स्कूल्स ,कॉलेज के साथ काम कर चुकी है । वहा के टीचर्स को प्रोफेशनल काउंसलिंग दी है आपने। साथ ही आपने बीकानेर के सबसे बड़े हॉस्पिटल के साथ काम किया है कैंसर पेशेंट्स और कोरोना पेशेंट्स की काउंसलिंग की है जिससे उनमें जीने की उम्मीद फिर से जागी है जो कि बहुत बड़ी बात है। आपने कई एनजीओ के साथ भी काम किया है और एड्स पेशेंट्स की काउंसलिंग की है।

आप ये चाहती है की आप बच्चो को ऐसा प्लेटफार्म दे सके जहां बच्चे अपने करियर के लिए क्लियर हो साथ ही आपको इन सब संस्थाओं के साथ जुड़ने का ये बेनिफिट हुआ की आप फैमिली काउंसलिंग भी करने लगी जहां आप बच्चों के पेरेंट्स बच्चों से क्या चाहते है आपको ये समझने और बच्चों को ये समझने का मौका मिला। आप आज भी बच्चों की ऑनलाइन काउंसलिंग कर रही है।

कई पुरस्कार से हो चुकी सम्मानित

आपको पिंक मॉडल स्कूल की तरफ से ,गूंज पत्रिका की तरफ से,पाई की तरफ से आपको करियर काउंसलिंग के लिए अभिनंदन पत्र प्राप्त हुआ।विशिष्ट महिलाओं में आपको सम्मानित किया गया। साथ ही  आपको सम्मान प्रतीक नेहरू युवा केंद्र बीकानेर के द्वारा युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मौका दिया गया गाइडेंस एंड काउंसलिंग करने का। इसके साथ ही राजकीय विधि स्नातकोत्तर उत्तर महाविद्यालय बीकानेर की तरफ से सम्मानित किया गया।

यहा आपको काउंसलर के रूप में सम्मानित तो किया ही गया साथ ही आप यहा कानूनी प्रबंधन सलाहकार के रूप में नियुक्त हुई। इसके साथ ही बीकानेर का सबसे बड़ा इंस्टीट्यूट सिंथेसिस ग्रुप जो की डॉक्टर और इंजिनिर्स को हर साल अपने इंस्टीट्यूट से शिक्षित करके निकलता है उन्होंने भी मुझे बेस्ट फैकल्टी का पुरस्कार दिया। जहा आपने नीट और एम्स के स्टूडेंट्स के लिए प्रोफेशनल काउंसलर का काम किया था। साथ ही जो भारत सरकार की तरफ से स्किल डेवलपमेंट के लिए रोजगार मेला लगाया जाता है उसमे भी आपको टोकन ऑफ थैंक्स दिया गया। जिसमे आपने सोसाइटी के साथ अपनी निःशुल्क दो दिवसीय सेवाए दी। उसके लिए भी आपको अवार्ड से सम्मानित किया गया। साथ ही आपको सम्मान प्रतीक विशिष्ट सम्मान दिया गया श्रीविलेश्वर आदर्श शिक्षण संस्थान रासीसर के द्वारा आपको एस ए प्रोफेशनल काउंसलर और सपोर्टिव नेचुरोपैथिस्ट के रूप में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। आपने इन सभी के अलावा योगा और नेचुरलपैठी में कैंसर पेशेंट के लिए भी काम करना शुरू किया कि किस प्रकार उनको बीमारी से दूर रखा जा सकता है। आपको यूथ फेस्टिवल में भी सम्मानित किया गया और ये सम्मान आपको प्रिंस एकेडमी के विशिष्ट अतिथि डॉक्टर पियूष सुंडा जी के द्वारा प्राप्त हुआ।

आप गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड लार्जेस्ट ड्राइंग के विटनेस पैनल में भी शामिल हो चुकी है।

आगे भी ये सफर जारी रहेगा क्योंकि स्वर्ण रेखा जी का मानना है कि सम्मान के लिए ये काम नहीं करती बल्कि इंसानियत के लिए ये काम करती है। महिलाओं को लड़कियों को और यूथ को आगे बढ़ाना ही इनकी लाइफ का उद्देश्य है।

रेडियो स्टेशन से भी है जुड़ी हुई

डॉक्टर स्वर्ण रेखा पेशे से काउंसलर तो है ही पर अपनी मधुर आवाज के कारण और शक्तिशाली व्यक्तित्व के कारण आप पिछले 11 सालों से आकाशवाणी बीकानेर में एस ए कैजुअल कंपेयर अपनी सेवाएं देती है। आपका हर प्रोग्राम अप टू द मार्क होता है। आप अपने हर प्रोग्राम में महिलाओं और बच्चों की समस्याओं को उठाती है और लोगों को रेडियो के माध्यम से नई योजनाओं से अवगत भी कराती है।

समाज सेवा सबसे ऊपर

डॉक्टर स्वर्ण रेखा जी का मानना है कि आप जो भी कार्य करे जीवन में उससे समाज का भला होना चाहिए। इसलिए ये अक्सर रक्त दान करती है। ये अब तक कई बार रक्तदान कर चुकी है। आप लोगों से भी अनुरोध करती है की हर स्वस्थ व्यक्ति को अपने जीवन काल में काम से काम एक बार जरूर रक्त दान करना चाहिए।

डॉक्टर स्वर्ण रेखा से हमारी फोकस हर लाइफ की टीम ने कई सवाल किए जिसका जवाब आपके सामने है ।

फोकस हर लाइफ..बच्चों के जिद्दी स्वभाव को सही करने के लिए पेरेंट्स को क्या करना चाहिए?

डॉक्टर स्वर्ण रेखा.. बच्चों के जिद्दी होने के दो कारण है । एक तो ये कि पारिवारिक परिवेश और दूसरा ये कि ज्यादा लाड़ प्यार की वजह से। जिद्दी स्वभाव में अगर आपको सुधार करना है तो दो चीजों को ध्यान में रखे कि एक तो आपको बच्चे के मन की भावना को समझना होगा उसका मन पढ़ना होगा।आखिर बच्चा हमसे चाहता क्या है। बच्चे हमसे अट्रैक्शन चाहते है कि हम पूरा ध्यान बच्चों पर दे। और दूसरा वो ये चाहता है कि जो भी डिमांड वो आपसे कर रहा है वो उसकी पूरी हो। बच्चो का जिद्दी स्वभाव उनकी बॉडी लैंग्वेज से भी आपको समझ आने लगेगा। हर एज का अपनी जिद दिखाने का और मनवाने का अलग स्टाइल होता है। छोटे बच्चों को पेरेंट्स इमोशनल ब्लैकमेल करके डांट के फिर भी समझा लेते है पर बड़े बच्चों को आप ऐसे नहीं समझा सकते।वहां पर बच्चो के मन को पढ़ना बहुत जरूरी है ।उनके लिए क्या सही है और क्या गलत ये उनको समझाना बहुत जरूरी है। छोटी मोटी जिद जिसमे बच्चे का नुकसान नहीं है आप मान सकते है पर अगर कोई ऐसी बात को बच्चे के लिए हार्मफुल है उसे आप मत मानिए ।अगर बच्चा बात नही कर रहा आपसे तो आप भी उनसे बात मत करिए । आप बात नही करेंगी तो ये कमी उसको भी फील होगी पर हां ये ध्यान जरूर रखे की वो कोई गलत कदम तो नही उठा रहा न।  आप अपने बच्चे के स्वभाव को रीड करे और थोड़ा आप भी बदले अपना स्वभाव तब वो भी कोशिश करेगा अपने आप को चेंज करने की। 

फोकस हर लाइफ.. जब बच्चे बोर्ड एग्जाम दे रहे होते है तो हर बच्चा टॉप नही कर सकता तो बच्चे डिप्रेशन में आ जाते है,तो उनको डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए पेरेंट्स का क्या रोल होना चाहिए?

डॉक्टर स्वर्ण रेखा.. ये आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा। एग्जाम का एक फोबिया होता है अक्सर बच्चों को। क्यों कि पेरेंट्स की एक्सपेक्टेशन बहुत होती है बच्चों को लेकर या फिर समाज की एक्सपेक्टेशन कितनी है। पेरेंट्स दूसरे बच्चों से कंपैरिजन करने लगते है की उनका बच्चा तो इतना अच्छा है पढ़ाई में मेरा क्यों नहीं। सबसे पहले तो इस विचारधारा को बदलना। हर बच्चा टॉप करे ये जरूरी नहीं पर हर बच्चा यूनिक होता है।मेरा एस ए प्रोफेशनल काउंसलर ये मानना है कि अगर हर बच्चा जो टॉप करता है क्या वो सब आईएएस ऑफिसर बनते है।नंबर कोई पैरामीटर नहीं है जीवन में सक्सेसफुल बनने के लिए। पर बच्चों पर पेरेंट्स का,समाज का, दोस्तों का इतना ज्यादा प्रेशर होता है कि वो अगर कम नंबर लाएगा तो सब लोग क्या कहेंगे इस वजह से डिप्रेशन में चला जाता है।पेरेंट्स होने के नाते आपको तीन बातों पर ध्यान देना जरूरी है पहला की बच्चो को अच्छी डाइट दे। क्यों कि खाने पीने का उनके व्यवहार पर असर पड़ता है।दूसरी चीज है माइंड। आप बच्चो के माइंड में कही खुद तो ये बात नही डाल रहे कि वो बच्चा तो इतना टॉपर है तुम क्यों नही।अगर हां तो प्लीज इन बातो से बच्चो को दूर रखे। क्यों कि इससे बच्चे को बुरा लग सकता है। वो आपसे दूर होने लगता है ।आपसे बाते शेयर करने से कतराने लगता है।तीसरी बात ये की उसकी आत्मा को जाग्रत करना।मैं हमेशा ये बात कहती हु की माइंड बॉडी और सोल के बीच सामंजस्य बैठना बहुत जरूरी है। आप बच्चे के साथ इतने प्यार और अपनेपन से बिहेव करे कि बच्चा आपकी हर बात को पॉजिटिव ले। आप उसके फेलियर और सक्सेस दोनो के साथी है ये बात उसे विश्वास दिलाए।जरूरी नहीं की वो हर बार टॉप करे बस उन्हें ये बोले कि अपना 100 परसेंट दो रिज़ल्ट जो होगा उसकी टेंशन मत लो।वो आसानी से ये फेज पार कर जायेंगे।

फोकस हर लाइफ.. आपको क्या लगता है की बच्चो को गलत आदत छुड़ाने के लिए क्या पेरेंट्स का डाटना,मारना सही है?

डॉक्टर स्वर्ण रेखा..नहीं, मैं बिल्कुल पक्ष में नही हु कि बच्चे की गलत आदत को छुड़ाने के लिए आप उसे मारे या डांटे या फिर और कोई गलत व्यवहार करे। बच्चो की आदतों पर ध्यान दे उनके दोस्त कौन कौन है इस बात पर ध्यान दे। बच्चों की गलत बातों पर ध्यान दे की वो क्या कर रहे है।बच्चो को प्यार से समझना जरूरी है मारना विकल्प नहीं। क्यों कि आपके मारने से उसके अंदर का डर निकल जाएगा।और जिस दिन ये डर निकल गया तब वो आपकी बिलकुल नहीं सुनेगा। बच्चे में डर होना चाहिए आपकी मार का नहीं बल्कि आपके सम्मान का, आपके विश्वास का कि कहीं मैं जो कर रहा हु उससे मेरे पेरेंट्स का विश्वास तो नही टूटेगा। वो मुझसे नाराज तो नही हो जायेंगे न।अगर बच्चों में कोई गलत आदत पड़ जाती है तो एस ए पैरेंट आप बच्चो को टाइम के अकॉर्डिंग सब बताइए।पेरेंट्स की मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है पर बच्चों पर रॉब ना जमाए।खासकर की टीनएज बच्चो को अगर आप सम्मान नहीं देंगे तो वो आपकी रिस्पेक्ट नहीं कर पाएंगे।इन परिस्थितियों में आप दोनो के बीच में एक म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग होनी चाहिए। आप दोनो के बीच विश्वास होना चाहिए। और जब ये प्यार विश्वास आप दोनो के बीच होगा तब आप आसानी से बच्चो की गलत आदतें छुड़ाने में कामयाब हो पाएंगे।

फोकस हर लाइफ.. आपने एड्स, कोरोना ,और कैंसर पेशेंट्स के लिए भी काउंसलिंग की है। आपको किन मरीजों को टैकल करने में प्रॉब्लम आई और क्या प्रॉब्लम आई?

डॉक्टर स्वर्ण रेखा..जी जहां तक बात आती है एड्स, कोरोना, कैंसर पेशेंट्स की तो ये तीनों बहुत अलग अलग बीमारियां है। मैने कई एनजीओ के माध्यम से इन तीनों टाइप्स के मरीजों से मिली हु।एड्स पेशेंट्स के मन में बहुत डर होता है कि आगे का कुछ पता नहीं कि वो कब तक सर्वाइव कर पाएंगे।उनकी काउंसलिंग मेरे लिए एक चैलेंज थी। क्यों कि सबसे पहले उनके मन को टटोलना की उनसे कब क्या गलती हुई जो ये बीमारी उन्हे लगी।हर पेशेंट्स का पहला सवाल ये होता है की मैने तो कभी किसी का बुरा नही किया फिर मेरे साथ ये क्यों हुआ । बहुत नकारात्मक विचार उनके मन में भरे हुए होते है। उस सिचुएशन में अपने ऊपर विश्वास करना बहुत जरूरी होता है क्यों कि अगर वो मुझ पर विश्वास करने लगेंगे तब तो वो मेरी बात सुनेंगे।ये एक चैलेंज था मेरे लिए। पर सेकंड मीटिंग तक वो मुझसे कंफरटेबल हो जाते थे। कई लोग तो ऐसे भी मिले मुझे की उन्होंने कोई गलत राह नहीं अपनाई फिर भी वो एडस जैसी बीमारी के शिकार हो गए। पर मैं अपना सौभाग्य मानूंगी की मैं उन लोगो में फिर से जीने का जज्बा पैदा कर पाई और आज वो सर्वाइव कर रहे है। पिछले साल जो हमने देखा वो कोई भुला नहीं सकता सब अपने घरों में कैद होकर रह गए। जिंदगी जैसे रुक सी गई थी। कोरोना जैसी बीमारी से जहा सब लोग डरे हुए थे वहां मैं उनके पास जाकर उनकी काउंसलिंग करती थी। उनका सबसे बड़ा डर ये था की न जाने हमे अगली सांस आयेगी भी या नहीं। उनके मन में ये सवाल होता था की हम तो किसी से मिले ही नहीं फिर हमे ये बीमारी कैसे हो गई। सांस लेने के साथ साथ बोलने में भी तकलीफ होती थी। उनकी आंखे मुझसे ये ही कहती की मुझे इस बीमारी से कैसे भी करके बचा लो। तब मैं उनको ये ही बात कहती कि आपको किसी भी हालत में हार नहीं माननी है। ये सांस आपकी अपनी है जब तक आप इसे थाम कर रखोगे ये कही नही जायेगी।उस दौरान मैंने उनको ब्रीडिंग एक्सरसाइज के बारे में बताया ,गहरी सांस लेने को बोला क्युकी चाहे कितनी तकलीफ हो पर आपको इस जंग को जीतना है और जीत कर घर वापस जाना है। मैं रोज उनके पास एक पॉजिटिव कोट के साथ जाती अच्छे लोगो की स्टोरी उनको सुनाती ताकि उनमें पॉजीटिव नेस आए। इसका प्लस प्वाइंट ये हुआ की पॉजिटिव नेस से उनके अंदर इम्यूनिटी बढ़ी। उन्होंने हेल्थी खाना खाया । उनकी पुरानी बातो को याद दिलाया उनको खुश किया।आज भी मैं उन सबसे कनेक्टेड हु।ऐसे ही जब मैं कैंसर पेशेंट्स से मिली तब वो भी बहुत हताश थे। उनमें से कई लास्ट स्टेज में थे। हां आज वो हमारे बीच नहीं है पर मेरी काउंसलिंग से वो खुशी खुशी मन में सुकून लेकर इस दुनिया से रुखसत हुए। कई लोगों को जो शुरू की स्टेज में ही थे उनको कई गाइडलाइंस बताई ये हौसला पैदा किया कि वो भी जी सकते है। उनके मन में भी ये उम्मीद जागी की हम वापस नॉर्मल लाइफ जिएंगे। आज तकरीबन 70 परसेंट लोग इस दुनिया में है और हेल्दी लाइफ जी रहे है। वो टाइम टू टाइम अपना चेकअप करवाते है। 

फोकस हर लाइफ.. आप women's day पर लेडीज को आत्मनिर्भर बनने के लिए क्या सलाह देना चाहेंगी?

डॉक्टर स्वर्ण रेखा..हम जो अंतरराष्ट्रीय विमेंस डे की बात कर रहे है तो मेरा तो ये मानना है कि हर दिन महिला दिवस है। हम महिलाएं पुरुष से कम नहीं है। मुझे गर्व है कि मेरा जन्म एक महिला के रूप में हुआ। महिला एक जीवन में न जाने कितने रोल्स प्ले करती है। एक्चुअल में महिलाएं जन्म से ही आत्मनिर्भर होती है। पैदा होते ही महिलाओं का स्ट्रगल शुरू हो जाता है। महिलाएं हर चीज में आगे है। आपको खुद को कम आंकने की जरूरत नहीं। कितने क्षेत्र है जहां महिलाओं ने अपना परचम लहराया है। सुबह से शाम तक न जाने कितने काम कर जाती है महिला तो अंतर्निर्भरता तो हमारे खुद के अंदर ही है। वही करे जो आपको पसंद है जिससे आपको खुशी मिलती है। हां लोग कई बातें बनाएंगे पर आपको उनकी बातों को सुनना नहीं है क्योंकि अगर उनकी बातों को सुनकर आप रुक गई तो कभी भी एज नहीं बढ़ पाएंगी। आपको तो हर दिन खुद को प्रूफ करना होगा। आप बस अपना काम करे हो सकता है आप पहली बार में असफल हो जाए पर एक न एक दिन आपको सफलता जरूर मिलेगी। समय परिवर्तन शील है किसी के लिए नहीं रुकता।अच्छा बुरा  समय देखकर जब आप खुद को आत्मनिर्भर बनाएंगी तो आप अपना इतिहास खुद लिख रही होंगी। छोटा सा प्रयास जीवन में बड़ी कामयाबी दिलाता है। तो आप अपने जीवन की खुशियों की खुद मालकिन है। खुद पर भरोसा रखे खुद से प्यार करे। इन्ही बातो के साथ आप सभी को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं।

हम सभी महिलाओं को डॉक्टर स्वर्ण रेखा जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी लाइफ में ये जिस मुकाम पर है ये उसका पूरा श्रेय अपने माता पिता को देती है। आपके पिताजी स्वर्गीय मेजर श्री कृष्ण लाल जी और माता जी श्रीमती निर्मला देवी जी का पूरा योगदान रहा है इनके जीवन को दिशा देने में। डॉक्टर स्वर्ण रेखा को गर्व है की उन्होंने इस भारत देश में जन्म लिया और अपने समाज के लिए वो कुछ कर रही है इस बात की उनको संतुष्टि है। 

इसे भी पढ़ें-> Women's Day Special: महिलाओं के जीवन को किया रोशन पैथोलोजिस्ट और समाज सेविका अर्पिता गुप्ता ने

ऐसे ही प्रेरणा से भरे आर्टिकल लेकर हम आते रहेंगे आपके पास "विमेंस की बात हर लाइफ के साथ" सीरीज के जरिए ।ये आर्टिकल आपको कैसा लगा बताए जरूर और जुड़े रहे आपकी अपनी वेबसाइट  www.focusherlife.com  से।