सफलता की राह आसान नहीं होती पर ढान लो तो मुश्किल भी नहीं ये साबित कर दिखाया है महिमा गुप्ता ने

कई बार जो चीजे हमें ऊपर से दिखती है वास्तव में वो सच नहीं होती। जब हमे उनके बारे में पता चलता है तो अहसास होता कि यहाँ तक पहुंचना कितना मुश्किल भरा था। ऐसे ही मुश्किल पड़ाव को पार करके ब्रिलिएंट कोचिंग की स्थापना की है महिमा गुप्ता ने। उनके जीवन के प्रमुख अंश उन्ही की जुबानी।

सफलता की राह आसान नहीं होती पर ढान लो तो मुश्किल भी नहीं ये साबित कर दिखाया है महिमा गुप्ता ने
सफलता की राह आसान नहीं होती पर ढान लो तो मुश्किल भी नहीं ये साबित कर दिखाया है महिमा गुप्ता ने

वाराणसी सिटी। सपने वो नहीं होते जो सोते हुए देखे जाएं बल्कि सपनें वो होते है जो सोने ही न दे। राह में कितनी ही मुश्किलें क्यों न आए पर यदि आपको मंजिल पानी है तो हारना नहीं है। ऐसी ही पर्सनेलिटी है महिमा गुप्ता जिन्होने हार नहीं मानी और अपने जीवन की हर आने वाली चुनौतियों का सामना किया। आइए जाने उनकी संघर्ष की दास्तां उन्ही के शब्दों में।

जीवन कुछ यूं बदला

साधारण परिवार में जन्मी महिमा पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही। अपने जीवन के उस दौर के बारे में महिमा बताती है कि बात उन दिनों की है जब घरवाले मेरी शादी की बात चलाने लगे मेरी मां ननिहाल जो कि मेरी जन्म स्थली थी वहां शादी के लिए गई थी। उस शादी में लड़के वाले जिससे मेरी बात चल रही थी वह भी आए थे। सब को मैं पसंद आई और मेरी शादी m.a. b.Ed निशांत गुप्ता से हो गई शादी के बाद यह टीचर ट्रेनिंग कर रहे थे 28 नवंबर 2009 को मेरी शादी हो गई। शादी के कुछ महीने बाद मेरे पति की जॉइनिंग एक विद्यालय में हो गई। मेरे परिवार में सास ससुर एक ननद मेरे पति और एक देवर थी छोटा परिवार था पर सब की विचारधारा अलग थी रहन-सहन का स्तर भी था। मेरे पति व मेरा स्वभाव मेल खाता था परंतु सब लोग अलग-अलग तरीके से सोचते थे मेरे पति से ज्यादा नाराज रहते थे ।शादी के डेढ़ साल बाद उनकी पहली सैलरी मुझे मिली थी इनकी पिताजी के पिताजी जब वो 5 वर्ष के थे मर गए थे । इसके लिए मेरे ससुर जी काफी चीढ़े हुए रहते थे ।काफी अभाव में उनकी परवरिश हुई थी ।

मेरी बड़ी बेटी शादी के एक साल बाद पैदा हो गई थी। उसकी परवरिश में बहुत परेशानी हो रही थी शादी से पहले मैं जिन बच्चों को पढ़ाती थी मेरे अच्छे व्यवहार के कारण वह मेरे पूरे पैसे घर में दे गए थे। मेरी मां मेरी परेशानी जानती थी इसलिए वह सारे पैसे मुझे दे देती थी। उनके पिताजी कहते थे कि दो से तीन खाने वाले हो गए हैं कब कमाओगे ,मेरे पति कीआंखों से आंसू निकलता था ।मेरी डिलीवरी के समय जो टांके लगे थे वह भी पक गए थे एक पैसा नहीं था हमारे पास बहुत मुश्किल से मेडिकल वाले से उधार लेकर मेरा इलाज किया गया ।मैं तो कोई भी कपड़े पहन लेती थी पर पति को कभी परेशान नहीं करती थी शादी के बाद इनके पिता जी जिनका रेलवे दुर्घटना में सात बार ऑपरेशन हो गया था ठीक नहीं हो रहा था रोज मवाद निकलता था मेरे इन लोगों के घर में पैर पड़ने से उनकी यह परेशानी ठीक हो गई थी। मैं ही ससुर जी की मलहम पट्टी करती थी।

खुशी भी थी कुछ दिन की मेहमान

आगे के संघर्ष की कहानी बताई हुई महिमा कहती है अब मेरे पति की नौकरी थी लग गई थी शादी के 1 साल बाद हम माता पिता बन चुके थे मेरे पति अब बहुत खुश रहते थे । यह लोग यूपी के थे और मैं झारखंड की थी हम लोगों का खान-पान मैच नहीं करता था मैं चाहती थी कि यह लोग खुश रहे पर यह लोग कभी खुश नहीं रहते उनकी बहू 24 घंटे घर का काम करें। मगर मैं तो अपने घर में केवल बच्चों को पढ़ाती थी पर मेरी मां ने मुझे सारे काम सिखाए थे मगर यह लोग सोचते थे कि मैं ज्यादा काम करूं मेरी ननद देवर की शादी 2015 में हो चुकी थी।

ननंद का भी ससुराल में मन नहीं लग रहा था उसकी वहां पर बनती नहीं थी क्योंकि उसके पति बाहर सर्विस करते थे वह भी मायके आ गई रोज-रोज के झगड़े से मैं परेशान हो गई और मैंने घर छोड़ दिया और हम किराए के मकान में आ गए 2000 17 में हमारी दूसरी बेटी का जन्म हुआ। जिंदगी वहीं आ गई जहां पर पहले खड़ी थी। सास ससुर सब मुझे लेने आते थे पर मेरा स्वाभिमान तुझे जाने नहीं देता था। मैं अपने पुराने दुखों को भूल नहीं पा रही थी । उसी बीच मेरे पति का तबादला चंदौली हो गया वह बनारस से चंदौली रोज आते जाते थे मैं उनसे कहती कि आपके पिता की कोई धन दौलत नहीं चाहिए जब यह बुजुर्ग हो जाएंगे तो हम लोग उनकी सेवा करने चलेंगे मेरे घर से निकलते ही फ्रिज, कूलर , एडजॉस्ट फैन सब अपने आप जल रहा था। मेरी सास मेरे पति के पास आकर रोती थी कि बच्चों के जाते ही हमारा सब सामान खराब हो रहा है। मेरे पति घर जाते और मैं उनके साथ पैसे भिजवा देती थी पर मैं नहीं जाती थी। नौकरी के चक्कर में हम लोगों का 18 लाख रुपए डूब गए थे।

आया एक ऐसा भी दौर जिसने जीवन के मायने ही बदल दिए

मैंने अपने पति से कहा कि बैंक से लोन लेकर रिश्तेदार के सारे पैसे चुकाते मेरा जीवन वापस उसी मोड़ पर आ गया था ।मैं चाहती थी कि मुझे एक बेटा हो, मैं 3 महीने की प्रेग्नेंट थी इसी बीच में डॉक्टर के पास गई वहां मुझे पता चला कि मेरा मिसकैरेज हो गया था। जब इनको यह बात पता चली तो वह काफी दुखी हुए। फिर इनके मुंह में 2018 मार्च में छाले पड़ गए थे पूरे मसूड़े सफेद होते जा रहे थे। पूरा 1 साल बीत गया यह सिर्फ दही की लस्सी पीते थे कई डॉक्टरों के पास गई पर उनकी बीमारी ठीक नहीं हुई। मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा मजार सब जगह कई पर गए।इनकी बीमारी ठीक नहीं हो रही थी मजार वाले बोले कि मुर्गा की बलि देनी होगी और उसको बनाकर खाना होगा। मैं बोली हम लोग तो शुद्ध शाकाहारी हैं हम ना ही किसी जीव की बड़ी देंगे और ना ही मुर्गा खायेंगे उन्होंने कहा हाथ की उंगली काट कर थोड़ा सा मंत्र पढ़ते हैं तुम भी जाओ मैं बोली खून भी नहीं पियूंगी बोले चिराग लो रात को जलाना और अंधेरे में मंत्र को पढ़ना हमने कहा कि यह भी कर के देख लेते हैं मैं चिराग जला कर रोज रात में बैठती और अनाप-शनाप सब भूत प्रेत आकर बोलते तब 40 दिन पूरे हुए तो पूर्ण रूप से लॉकडाउन लग चुका था।

40 दिन मेरे पति का शरीर  पूरा चिराग के सामने कांपने लगा और जय श्रीराम कर के लिए उठ खड़े हुए मैंने पूछा क्या हुआ? चिराग की रोशनी बोली की माता में तुम्हारा बजरंग आप सीता माता का और आपके पति श्री राम हैं अब आपके पति के मुंह के छाले सही हो जाएंगे आप परीक्षा में पास हो गए हैं माता मैं किसी स्त्री के ऊपर नहीं जाता हूं । जब आप अग्नि में प्रवेश कर रही थी तब यह अपना होश खो बैठे थे।शरीर तो धरती पर था पर मन तो आपके साथ ही चला गया था ।पंद्रह सौ वर्ष बाद कलयुग का समापन होने वाला है। आप का वनवास ही खत्म हो चुका है मैंने पूछा कि हम हम सीताराम कैसे हो सकते हैं तो उन्होंने बताया कि निशांत और महिमा सीताराम हैं केवल एक अक्षर को बदला गया है। उन्होंने बताया कि खोलकर युग चल रहा था जिसमें किसी भी बेटी बहन को नहीं छोड़ते थे पैसा लेकर किसी की भी जान ले लेते थे अब करोना ऐसा आया है कि लोग एक दूसरे को छुएंगे नहीं। अब रामराज आने वाला है सब लोग बुराई को छोड़कर धर्म के काम में लग जाएंगे। सब सोचेंगे कि कम दिन की जिंदगी तो नेक काम करेंगे ।

जोदिन 2 जुलाई को राम दरबार की नींव की पूजा करने का था उसी दिन मेरे पति का जन्मदिन था। बजरंगबली कह रहे थे कि जरा मोदी जी से यह पूछना कि जब लॉकडाउन लग गया था तो क्या 1 दिन आप भूखी सोई? 36 करोड़ देवताओं का भोजन मेरे घर में बनता था तीन पहर की आरती करते थे। धर्म युद्ध छिड़ा हुआ था किसी को कुछ दिखाई नहीं देता था।

सीता राम दरबार बना हमारा धाम

भगवान बोले कि मैं बजरंग विभीषण जो मेरे पास है उनके हाथ संदेश भेज रहा हूं की सीता मैया और राम जी की कुटिया इस बारिश के  पहले हटवा दो और नया घर बनवा दो । सामने खाली मैदान हैं वहां अशोक वाटिका बनवा दो ताकि उनके बच्चे उसमें खेलें। मैं माता के शरीर पर सदैव विद्यमान रहूंगा । अगर राम से इतना प्यार है तो माता को भी सम्मान दो। राम दरबार अयोध्या में बनेगा मगर सीता राम दरबार बनारस में बनेगा ।वहां एक ढांचा है, सभी देशों से चंदा वसूलने के लिए मगर यहां तो हकीकत है। आज तक माता के पति का भाग्य साथ नहीं दिया क्योंकि आग में प्रवेश करने के पहले राम जी ने उन्हें नहीं रोका था ।मैं सदैव दोनों के साथ रहूंगा यह लोग पूर्ण शुद्ध शाकाहारी हैं मैं पूरे देवताओं को उनके यहां भी भोजन करवाया हूं।

मैं नहीं चाहता कि यह संदेश गुप्त रहे जब तुम उनके यहां आओ तो सीता रसोई का भोजन मक्खन जरा खा कर देखो बहुत आनंद आएगा।  उनके घर के सामने 101 ब्राह्मणों को बैठाकर हवन करके यज्ञ करवा दो पति पत्नी दोनों को शामिल करना सारी बलाएं भाग जाएंगी।  इस घर में कुछ ऐसे सबूत मिलेंगे तो तुम जान जाओगे कि यह सीता राम दरबार है । राम सीता के बिना अधूरे हैं इसलिए सीता राम दरबार बनेगा ।बाकी सब माताजी से पूछ लो। यह महिला पागल नहीं है अगर दुनिया पागल समझे तो पागल के घर भगवान नहीं आते हैं।

इतने सब उतार चढ़ाव को देखते हुए महिमा मेहनत करती रही और स्थापना की ब्रिलिएंट कोचिंग सेंटर की जहां गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। और अधिकतर सभी कंप्टेटिव एग्जाम की तैयारी कराई जाती है। आप यूं ही आगे बढ़े हमारी टीम की शुभकामनाएं आपके साथ है।

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