शादी की बेताबी, कम होता बाबुल का प्यार

शादी की बेताबी, कम होता बाबुल का प्यार

फीचर्स डेस्क। आज के लगभग दो दशक पिछे जाकर देखें तो जब लड़कियां पिता के घर से बिदा होकर ससुराल जानें लगती थी तो उनका सारा मेकअप रोने के कारण उतर जाता था। हालांकि समय बदला और दिनों दिन लड़कियों के आंखों से आंसू कम होते गए और ससुराल पहुंचने की बेताबी बढ़ती गई। हालांकि अब भी इस मायने में  अरैंज मैरिज और लव मैरिज दोनों का टेस्ट थोड़ा अब भी अलग-अलग है। यदि किसी लड़की की अरैंज मैरिज शादी हो रही है तो उसके ससुराल जाते वक्त आंसू गिर ही जाते हैं लेकिन लव मैरिज वाली लड़कियां तो शाम से ही इतनी खुश होती हैं कि ससुराल जाकर पता लगता है कि अरे मैने तो आते वक्त रोया भी नहीं। खैर, असल मुद्दे पर आती हूं ...।

आज के  तीन वर्ष पहले मेरी एक सहेली की बेटी की शादी थी। कहने को तो वह मेरी सहेली की बेटी थी लेकिन असल में थी वह मेरी पक्की दोस्त। अपने कॉलेज की सारी बातें मुझसे शेयर करती थी। हर एक वो बात जो वह किसी से नहीं कह पाती थी वह मुझसे बेझिझक कह डालती थी। अब उसकी शादी थी तो ऐसे में वह मुझसे सारे ज्ञान लेने से भला कैसे पिछे रहती। एक महिने पहले से ही रोज मेरे घर आकर मुझसे हर एक वो बात पुछती जो उसके काम आने वाला था। वह मेडिकल की स्टूडेट्स थी उसके साथ उसका क्लासमेट लड़का उसको बहुत पसंद करता था बाद में दोनों डिसाइड कर लिया कि शादी कर लें। दोनों के मां बाप को भी कोई एतरात नहीं था। दोनों डॉक्टर बनने वाले थे साथ दोनों एक ही कास्ट के भी थे।

वहीं एक महिने का समय जल्दी से कट गया पता ही नहीं लगा हालांकि उसके लिए यह एक महिना एक साल की तरह लग रहा था जैसा कि उसके बातचीत से पता लग रहा था। उसकी बारात आई रात भर खूब खुशी का माहौल रहा। शादी हो गई। सुबह जब बिदाई का वक्त आया तो वह बहुत खुश थी। कहा जाता है कि बाबुल के घर में रहने वाली हर लड़की जब बिदा होती है तो अपने को पराया समझकर रो ही देती है।  लेकिन उसके साथ ऐसा नहीं था। मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था।

जब उसको डोली में बिठाने का वक्ता हुआ तो वह खुद ब खुद तेजी तेजी कदम बढ़ा रही थी। उस समय ऐसा लग रहा था कि वह ससुराल न जाकर ब्वॉय फ्रैंड के साथ मूवी देखने जा रही हो। उस समय मुझे लगा कि बिदाई करने के लिए पिछे खड़ी सभी महिलाएं क्या कहेंगी तो मैने उसको चिकोटी काटकर बोली अपने आंसुओं से बाबुल की देहरी तो ठंडी करती जाओ। लेकिन वह जोर से चिल्लाई और बोली कि चिकोटी क्यों काट रही हो रोना नहीं आ रहा है तो कैसे रोये। यह सुनकर सभी महिलाएं हंसने लगीं। यहां तक दुल्हा भी हंसने लगा। लेकिन मुझे बहुत शर्म आई। 

                                                                                                                     सबिता अग्रवाल, अशोकनगर, भोपाल, मध्य प्रदेश 

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