रविवार को मनाया जाएगा गंगा सप्तमी का त्योहार, जानते है व्रत का पूर्ण विधान

एस्ट्रोलॉजर विमल जैन के अनुसार पुष्य नक्षत्र में मनाया जायेगा गंगा सप्तमी का पर्व। भारतीय संस्कृति का विशेष पर्व है गंगा सप्तमी....

रविवार को मनाया जाएगा गंगा सप्तमी का त्योहार, जानते है व्रत का पूर्ण विधान

फीचर्स डेस्क। भारतीय संस्कृति किस सनातन धर्म में विशिष्ट माह के विशिष्ट अतिथियों पर देवी-देवताओं का प्राकट्य दिवस श्रद्धा भक्ति भाव से मनाए जाने की धार्मिक मान्यता है। एस्ट्रोलॉजर विमल जैन बताते हैं कि जेष्ठ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के मध्याह्न काल में गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी। इस बार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 7 मई शनिवार को दिन में 2:57 पर लगेगी जो कि अगले दिन 8 मई रविवार को साईं काल 5:01 तक रहेगी। इसलिए इस बार रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र का अनुपम संयोग बनने से गंगा सप्तमी का विशेष पर्व फलदाई हो गया है। पुष्य नक्षत्र 7 मई शनिवार को दिन में 12:18 पर लगेगा जो कि 8 मई रविवार को दिन में 2:58 तक रहेगा।

व्रत का विधान

एस्ट्रोलॉजर विमल जैन बताते हैं कि व्रत करने वाले को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाना चाहिए। उसके बाद अपने सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होना चाहिए। अपने इष्ट देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने के बाद अपने दाहिने हाथ में जल ,पुष्प, फल, गंध और कुश लेकर गंगा सप्तमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने की विशेष महिमा है। जो लोग नियमित रूप से गंगा स्नान नहीं कर पाते हैं उन्हें आज के दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए, इससे आपको पुण्य फल की प्राप्ति होती है । आज के दिन गंगा जी की विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। गंगा उत्पत्ति से संबंधित कथा का श्रवण , श्री गंगा स्तुति और गंगा स्रोत का पाठ करने का विधान है। आज के दिन यथाशक्ति ब्राह्मणों को दान देना चाहिए और बेसहारा और असहाय लोगों की सेवा और सहायता करनी चाहिए। गंगा जी की महिमा में रखे जाने वाला व्रत अत्यंत पुण्य फलदाई माना गया है।

गंगा सप्तमी का महत्व

भारतीय संस्कृति में गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है। भागीरथ ने अपने पुरखों की शुद्धि और मुक्ति के लिए कठोर तप किया और गंगा का पृथ्वी पर आवाहन किया था। तभी से यह मान्यता है कि गंगा में जो भी स्नान करेगा उसके सभी पाप निश्चित रूप से धुल जाएंगे।

पूजन विधि जानने के बाद आप भी गंगा सप्तमी का व्रत करें और पुण्य प्राप्त करें।