मेनोपॉज की परेशानियों को दूर करने के लिए लें, ये विटामिन्‍स और मिनरल्स

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है , डॉक्टर्स के अनुसार इनमे बहुत सारे लक्षणों को अच्छी डाइट से लिमिट किया जा सकता है , आइये जाने कौन से हो आइटम्स जो इस समय डाइट में शामिल करने चाहिए.....

मेनोपॉज की परेशानियों को दूर करने के लिए लें, ये विटामिन्‍स और मिनरल्स

फीचर्स डेस्क। एक खास उम्र में पहुंचने के बाद महिलाओं के पीरियड्स बंद हो जाते हैं इस स्टेज को मेनोपॉज कहते है। मेनोपॉज के दौरान एक महिला के शरीर में बहुत सारे हार्मोनल चेंजज़ होते हैं। यह एक तरह से  महिला के रिप्रोडक्टिव स्‍टेज के अंत का प्रतीक है। ऐसे में शरीर में बहुत सारे बदलाव आते हैं और अलग अलग तरह के सिम्पटम्स होते हैं जैसे कि रात को पसीना आना, हॉट फ्लैशेज, वेजाइना में ड्राईनेस, अनिद्रा, मूड स्विंग्स , सेक्‍शुअल इंट्रेस्ट कम होना, वेट  गेन होना, वाइट डिस्चार्ज आदि। कुछ लक्की लेडीज मामूली लक्षणों का अनुभव करती हैं और कुछ महिलाएं समान लक्षणों को भी ज्‍यादा गंभीर रूप से महसूस करती हैं। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि कुछ विटामिन्‍स और मिनरल्स मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं और आप की लाइफ का ये फेज आसान कर देंगे , आइये जानते हैं उनके बारे में

कैल्शियम

मेनोपॉज के दौरान मुख्य रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल में अंतर आता है।  इन हार्मोन्‍स में असंतुलन से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है।इसलिए हड्डियों को नुकसान से बचाने के लिए कैल्शियम इन्टेक का खास ध्यान रखें। अपने रोज़ के आहार में दूध, केला, पनीर , छास ज़रूर लें।   डॉक्टर द्वारा निर्धारित कैल्शियम सप्‍लीमेंट भी ले सकती हैं। 

विटामिन ए

विटामिन ए स्वस्थ हड्डियों के लिए एक उत्कृष्ट सप्‍लीमेंट है। विटामिन ए में यौगिकों का एक समूह शामिल होता है जिसे रेटिनोइड्स कहा जाता है। विटामिन ए, जब सबसे पहले बनता है तो रेटिनॉल के रूप में जाना जाता है और लिवर में जमा होता है। विटामिन ए का लेवल मेन्टेन करने के लिए एग , चीज़, पनीर, गाजर , पालक आदि का प्रयोग करना चाहिए। हालांकि,  कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार बहुत ज्‍यादा मात्रा में इसका सेवन महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान फ्रैक्चर के जोखिम को बढ़ाता है इसलिए सीमित मात्रा में उपयोग करें।

विटामिन बी -12

विटामिन बी -12 पानी में घुलनशील विटामिन है। ये आमतौर पर कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है और रेड ब्‍लड सेल्‍स, डीएनए उत्पादन, न्यूरोलॉजिकल फ़ंक्शन और हड्डी के स्वास्थ्य को बनाने के लिए आवश्यक है। शरीर में विटामिन-B12 की कमी डिप्रेशन, कनफ्यूजन, डिमेंशिया, थकान, कब्‍ज, और भूख न लगने जैसे समस्‍याओं को उत्पन्न  कर सकती हैं। खासतौर पर जो महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रही होती हैं उन्‍हें डॉक्‍टर आमतौर पर विटामिन- B12 सप्‍लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। खाने में व्होल ग्रेन्स , चीज़, मिल्क , फिश का सेवन कर इसकी कमी को पूरा किया जा सकता है। 

विटामिन बी -6

यह विटामिन सेरोटोनिन पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो दिमाग के संकेतों को संचारित करने में मदद करता है। सेरोटोनिन का स्तर में उतार-चढ़ाव मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन और ऊर्जा के नुकसान के लिए जिम्‍मेदार होता है। विटामिन बी -6 के अच्छे सोर्स हैं सोया बीन , बनाना , ओट्स , मूंगफली अदि तो इन सभी को अपनी डेली डाइट में ज़रूर लें।

विटामिन डी

विटामिन डी बोनस के लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट है , इसका प्राइमरी सोर्स धूप यानि सनलाइट है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों के फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों में नरमी आती है और दर्द होता है। इसलिए रोज़ आधे घंटे धूप में ज़रूर बैठे है, अधिक कमी होने पर डॉक्‍टर सप्‍लीमेंट लेने की सलाह भी देते हैं।

विटामिन ई

यह विटामिन शरीर में सेल डैमेज को रोकने में मदद करता है। यह सूजन और तनाव को कम करने में मदद करता है और वजन बढ़ने, दिल के रोगों और डिप्रेशन के जोखिमों को कम करता है। मेनोपॉज के मामले में, दैनिक 15mg विटामिन ई लेने की सलाह दी जाती है।

नोट - हालांकि इनमें से सभी विटामिन्‍स मेनोपॉज के दौरान शरीर के समुचित रूप से कार्य करने के लिए आवश्‍यक होते हैं, मगर इन विटामिन्‍स की अधिक मात्रा कुछ विशेष समस्‍याओं का कारण भी बन सकती है। इसलिए आपको एक ट्रेन्‍ड मेडिकल प्रोफेशनल से परामर्श ले कर ही अपनी डाइट या सप्‍लीमेंट में चेंज करना चाहिए।