आगामी शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्पोर्ट्स अनिवार्य विषय होगा

आगामी शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्पोर्ट्स अनिवार्य विषय होगा

 नई दिल्ली। देश भर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को अब छात्रों के शारीरिक, मानसिक फिटनेस और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना अनिवार्य होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की उच्च स्तरीय कमेटी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सुझावों के तहत फिजिकल फिटनेस, स्पोर्ट्स, स्टूडेंट हेल्थ, वेलफेयर, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर आधारित पहली गाइड लाइन तैयार कर ली हैं।

इसे बुधवार को राज्यों और विश्वविद्यालयों के लिए जारी कर दिया जाएगा। आगामी शैक्षणिक सत्र से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्पोर्ट्स अनिवार्य विषय होगा। इसमें छात्रों को स्पोर्ट्स से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। खास बात यह है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अब फिजिकल और मेंटल हेल्थ काउंसलर के अलावा हेल्थ एक्सपर्ट भी रखने अनिवार्य होंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की उच्च स्तरीय कमेटी का मानना है कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान पहली बार हर व्यक्ति ने शारीरिक और मानसिक फिटनेस के अलावा भावनात्मक पहलुओं की जरूरत पर ध्यान दिया है। हालांकि, युवा पीढ़ी अभी भी डिजिटल डिवाइस में खोयी हुई है। ऐसे में युवाओं को शारीरिक और मानसिक फिटनेस के अलावा उनके भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी जरूरी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका उल्लेख किया गया था। उसी के आधार पर इसे तैयार किया गया है।

स्कूलों में तो स्पोर्ट्स अनिवार्य विषय रहता है, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों में विकल्प के तौर पर रहता है। इन विषयों को अनिवार्य करने का आधार भी यही है, ताकि सभी छात्र  कैंपस लाइफ के दौरान विभिन्न गतिविधियों से जुड़ें। विशेषज्ञों का मानना है कि स्पोर्ट्स समेत ऐसी गतिविधियों से छात्रों का पढ़ाई समेत अन्य तनाव दूर करने में मदद मिलेगी।  इससे पहले यूजीसी ने 2019 में उच्च शिक्षण संस्थानों को  फिटनेस प्लान भेजा था। इसमें सभी को  स्कूलों की तर्ज पर एक घंटे का स्पोर्ट्स पीरियड रखना अनिवार्य किया गया था। इसमें स्पोर्ट्स एक्टिविटी, योग, साइकिलिंग का विकल्प दिया गया था। इसके अलावा, नृत्य, पारंपरिक विद्याओं के माध्यम से फिटनेस पर जोर दिया गया हैं। हर तीन महीने में स्पोर्ट्स कार्यक्रम आयोजित होंगे।