शक्ति स्वरूपा: दिव्यांग तपस्वनी ने अपने रास्ते के रोड़ो को काट कर बनाई सफलता की सड़क

नवरात्री पर फोकस हर लाइफ आप के लिए ले कर आया है एक स्पेशल सीरीज " शक्ति स्वरूपा " जिसमे हम सोसाइटी में ऑड्स से लड़ कर अपना मुकाम बनाने और समाज के लिए काम करने वाली आम महिलाओं की कहानियां ले कर आ रहा है। आज हम मिलेंगे  मानसिक और शारीरिक शक्ति का पुंज  स्पेशली अबलेड फिटनेस एक्सपर्ट तपस्विनी मोहंती जिन्होंने अपनी दिव्यांगता से जुड़े बेचारेपन को कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और आज देश प्रदेश को स्वस्थ्य भविष्य की ओर ले कर जा रही है।  

शक्ति स्वरूपा: दिव्यांग तपस्वनी ने अपने रास्ते के रोड़ो को काट कर बनाई सफलता की सड़क

फीचर्स डेस्क। मनुष्य की मानसिक दृढ़ता बड़ी से बड़ी परेशांनी को हल करने का माद्दा रखती है। जरूरत होती है तो बस जूनून की ,सबसे अलग कुछ कर गुजरने के ज़ज़्बे की। हमारी नवरात्री स्पेशल सीरीज शक्ति स्वरूपा में आज हम मिलने वाले हैं ऐसी ही नेवर गिवअप ऐटिटूड वाली स्पेशली अबलेड फिटनेस एक्सपर्ट तपस्विनी मोहंती से। जब सारा समाज आप को दया की दृस्टि से देखे तो उसके कैसे प्राउड या एडमिरेशन  में बदला जाए यही सोच कर तपस्विनी ने अपने सफर की शुरुवात की और आज वो सोसाइटी में से एक्साम्प्ल सेट कर रही है की कैसे हर हाल में अपनी बॉडी को फिट और एक्टिव रख सकते हैं। साथ ही कई लोगो को कोच कर उनकी जिंदगी भी सवार रहीं है। आइये जानते हैं तपस्विनी की कहानी उन्ही की जुबानी शुरुवात से

बुखार बना अभिशाप

तपस्विनी का जन्म ओड़िसा के एक छोटे से गांव में हुआ था। बचपन में तपस्विनी आम बच्चों के जैसी ही थी पर 5 साल की उम्र में उनको एक बार बहुत तेज़ बुखार आया। दूर गांव में होने के कारण दवा मिलने में देरी हुई और जो मिली वो सूट नहीं करी। जिसका नतीजा ये हुआ की इनके हाथ और दोनों पैर  ख़राब हो गए। दोनों ने काम करना बंद कर दिया था अब वो बस एक जगह पर पड़ी रहती और अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी दूसरों पर डिपेंडेंट थी। माँ बाप और तपस्विनी सभी के लिए ये किसी शॉक से कम नहीं था।

रिहैबिलिटेशन से कुछ आराम मिला

तपस्विनी बताती हैं की फिर धीरे-धीरे इलाज के कोशिशे तेज़ हुई और उनको गोद में उठा कर एक रिहैब सेण्टर ले जाया जाने लगे। कुछ समय के बाद उनके हाथों में फर्क पड़ने लगा और हाथों में जान वापस आयी वो कुछ कुछ काम करने लगे। लेग्स में अभी भी कोई इम्प्रूवमेंट नहीं था। किसी कारणवश फॅमिली को उस सिटी से मूव करना पड़ा और तपस्विनी का इलाज़ बीच में ही छूट गया। अब धीरे-धीरे इस बॉडी के साथ ही जीने की आदत हो चली थी।

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माँ पापा के सपोर्ट से स्कूलिंग हुई पूरी

आठवीं क्लास तक की पढाई तपस्विनी ने लगभग घर पर ही की सिर्फ एग्जाम देने स्कूल जाती थी। जिसके लिए भी उनको गोद में उठा कर ले जाया जाता था जो कि साथ के बच्चो के लिए कभी कोतुहल और कभी मजाक का विषय होता था। कुछ साथ के बच्चो को ऐसा भी लगता था की वो अपनी बॉडी कंडीशन का फायदा उठा कर घर पर आराम करती है। दसवीं क्लास से स्कूल जाना मैंडेटरी हो गया तब इनकी मुश्किलें और बढ़ी क्यों की स्कूल डिसएबल फ्रेंडली नहीं था और न ही वहां के टॉयलेट्स जिस से दिन-दिन भर तस्वनी पेशाब किये बिना बैठी रहती थी।

MCA करने की ठानी

तपस्वनी बताती है कि इन सब हर्डल्स के बावजूद भी वो पढ़िए में हमेशा अव्वल रही। समय के साथ टीचर्स , क्लास मातेस सब का रवैया भी बदलता गया। १२ वी पास करने के बाद इन्होने MCA करनी की ठानी और कॉलेज में एडमिशन लिया पर आना-जाना, कॉलेज में एक क्लास से दूसरी क्लास में , लैब में जाना और वाशरूम का प्रॉब्लम वैसे का वैसा बना ही रहा। पर उनकी बॉडी सपोर्ट कर रही थी इन आदतों के बाद भी कभी कोई दिक्कत नहीं हुई और अच्छे  ग्रेड्स से साथ कॉलेज कम्पलीट हुआ। 

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डिसेबिलिटी की वजह से जॉब मिलना हुआ मुश्किल

तपस्विनी बताती हैं की अच्छी जॉब मिलने में खासी परेशानी हुई। किसी ऑफिस में इंटरव्यू तक भी अल्लोव नहीं करते थे क्रोचेस के साथ देखते ही रेजक्शन हो जाता था। HR के अपने बहाने की आप नहीं बैठ पाएंगी इतनी देर , हमारे पास आप के हिसाब से फैसिलिटीज नहीं है। पर एक बार वो अड़ गयी की आप रिटेन देने दीजिये मै क्वालीफाई नहीं की तब रिजेक्ट कीजियेगा। तपस्वनी को अपनी क़ाबलियत पर भरोसा था , रिटेन भी क्वालीफाई हुआ और जॉब भी शुरू। हर जगह की तरह यहाँ भी लोगो को इन्हे एक्सेप्ट करने में समय लगा पर ऑड्स से लड़ने का जज़्बा और अपने शरीर को लिमिट्स से परे पुश करने की आदत से ये आगे बढ़ती रही।

कोविड काल से शुरू हुई फिटनेस जर्नी

तपस्विनी बताती है कोरोना काल में घर से काम करने से अपने लिए सोचने समझने के लिए कुछ समय मिला। साथ ही लिमिटटेड एक्टिविटी के कारण वजन बढ़ने लगा तब इनका इंक्लिनेशन फिटनेस की तरफ हुआ। दूसरों की तरह इनका भी मानना था की एक्सरसाइज आदि इनके बस का नहीं पर धीरे-धीरे ट्रेनिंग से कॉन्फिडेंस आया और न सिर्फ वेट रेडूज़ किया अभी एनर्जी लेवल भी बढ़ा। 

 नया लक्षय  मिला

तपस्विनी को अब नया लक्षय मिल चुका था। नॉन डिसएबल दोस्त और  रिश्तेदार भी उनसे सलाह मांगने लगे थे।  तन तपस्विनी ने ठाना की अब इस दिशा में ही काम करना है ताकि देश के सभी लोग स्वस्थ्य और फिट हो सकें।  इन्होने अपने सोशल मीडिया हैंडल से लोगो के साथ जुड़ना शुरू किया और कई लोगो को कोच कर के हेल्थी बनाया है।

फ्यूचर प्लान्स 

आगे की प्लान्स की बात करती हुई तपस्विनी बताती हैं की अपने जैसे चैलेंज्ड लोगो में आत्मविश्वास जगाने के लिए काम करना चाहती है। जिससे वो स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सके। इसके अलावा वो अपने प्रदेश ओडिसा को स्पेशली एबल्ड लोगो के लिए फ्रेंडली बनाने के डायरेक्शन में सर्कार के साथ मिल कर काम करना चाहती हैं। जिसके चलते उन्होंने एक NGO भी ज्वाइन किया है जो दिव्यांगों के लिए कार्यरत है। 

फोकस हर लाइफ आशा करता है की आप अपने इस नेक काम में ज़रूर सफल हो।

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