Sawan Special: शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना है वर्जित, आखिर क्यों ? आइये जाने

हिन्दू धर्म में किसी भी मंदिर अथवा मूर्ति की परिक्रमा का विशेष महत्व होता है पर क्या आप शिवलिंग की परिक्रमा का सही तरीका जानती हैं ? आइये जाने एक्सपर्ट से

Sawan Special: शिवलिंग की पूरी परिक्रमा करना है वर्जित, आखिर क्यों ? आइये जाने

फीचर्स डेस्क। सावन में सभी जगह माहौल शिवमय है। भक्तजन आपने आराध्य को प्रसन्न करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं पर अनजाने में आप कहीं कुछ गलतियां तो नहीं कर रही।  जिसका असर उल्टा ही पड़ जाए वैसे तो शिव जी भोले भंडारी हैं बहुत जल्दी खुश होते हैं पर पूजा पाठ  नियमो के अनुसार हो तो फल अधिक मिलता है। हिन्दू धर्म में किसी भी मंदिर अथवा मूर्ति की परिक्रमा का विशेष महत्व होता है और परिक्रमा करने के भी अलग-अलग नियम होते हैं ,खास कर के शिवलिंग की परिक्रमा अलग तरह से की जाती है , क्या है इसका उचित तरीका ये जानने की कोशिश की हमने वाराणसी के जाने माने ज्योतिषाचार्य पंडित शिवेश चक्रपणि से

शिवलिंग की परिक्रमा

शिवलिंग की कभी भी पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। शिव पुराण और कई शास्त्रों में शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का ही वर्णन है। शिवलिंग की जलधारी को कभी लांघना नहीं चाहिए।  दरअसल शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। अत्यधिक ऊर्जा के कारण इसकी तासीर तेज़ और गर्मी से भरी हुई होती है इसी लिए शिवलिंग पर लगातार जलधारा से जल चढ़ाया जाता है। जिस से शिवलिंग में शीतलता बनी रही। यह जल अत्यंत पवित्र होता है और जिस मार्ग से ये जल निकलता है, उसे निर्मली या जलाधारी कहा जाता है।

परिक्रमा का सही तरीका

 शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं तरफ से करनी चाहिए। बाईं ओर से शुरू करके जलहरी तक जाकर वापस लौट कर दूसरी ओर से परिक्रमा करें। इसके साथ विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें। इसे शिवलिंग की आधी परिक्रमा भी कहा जाता है। इस बात का ख्याल रखें कि परिक्रमा दाईं तरफ से कभी भी शुरू ना करें। साथ ही जलाधारी तक जाकर वापस लौट कर दूसरी ओर से परिक्रमा करनी चाहिए। तभी इसे पूर्ण माना जाता है।

गलत परिक्रमा के दुष्परिणाम

अगर आप शिवलिंग की जलहरी को लाँघ जाती है तो इससे घोर पाप लगता है। शिवलिंग की जलहरी को ऊर्जा और शक्ति का भंडार माना गया है। यदि परिक्रमा करते हुए इसे लांघा जाए तो मनुष्य को शारीरिक परेशानियों के साथ ही शारीरिक ऊर्जा की हानि का भी सामना करना पड़ सकता है। शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा से शरीर पर पांच तरह के विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह का कष्ट उत्पन्न होता है।

पंडित जी बताते हैं कि किसी विशेष परिस्थिति में यदि जलहरी ढकी हुई है तो इसे लांघकर पूरी परिक्रमा भी की जा सकती है। इस स्थिति में पूर्ण परिक्रमा करने से दोष नहीं लगता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर शिवलिंग की परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाओं पूर्ण होती है।

Image Source- freepick