लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन बिना अधूरा है संगम स्नान, जानिए इस मूर्ति का रहस्य

संकट मोचन हनुमान जिनके स्मरण मात्र से दूर हो जाते है सारे कष्ट। अगर पुराणों में हम देखें तो हर युग में हनुमान जी ने अपने चमत्कारों से दुनिया को अचंभित किया है। ऐसी ही चमत्कारिक घटना छुपी हुई है इतिहास के पन्नों में उनके लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति के मंदिर के बारे में, क्या आप जानना चाहेंगे? तो पढ़िए ये आर्टिकल...

लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन बिना अधूरा है संगम स्नान, जानिए इस मूर्ति का रहस्य

फीचर्स डेस्क। वैसे तो पूरे भारत में हनुमान जी के कई मंदिर है, जिसमें अलग अलग मुद्राओं में हनुमान जी की मूर्ति विराजमान है। पर इलाहाबाद यानि प्रयागराज में हनुमान जी के लेटे हुए स्वरूप में मूर्ति विराजित है, जो स्वयं में अद्भुत है। हनुमान जी का ऐसा स्वरूप न कभी देखा होगा आपने, न कहीं सुना होगा। हनुमान जी के इस स्वरूप के पीछे कई मान्यताएं, कई कथाएं है। हर कथा अपने साथ लाती है एक विश्वास जो हर कथा के साथ हनुमान जी पर और गहरा होता जाता है।

है चमत्कारी मंदिर

हनुमान जी का ये मंदिर वाकई चमत्कारी है। इलाहाबाद के संगम तट के किनारे स्थित है ये मंदिर। अगर आप संगम स्नान करने आए है और यहां के दर्शन नहीं किए तो आपके स्नान अधूरे रह जाएंगे। इसलिए जब भी संगम स्नान आए इस मंदिर में आकर 20 फीट लंबे हनुमान जी के इस दुर्लभ रूप के दर्शन लाभ जरूर उठाए। इस मूर्ति की स्थापना के पीछे कई रहस्य है, आइए जानते है इसके रहस्य।

मंदिर की मान्यता

मंदिर की स्थापना को लेकर कई कथाएं है। एक कथा के अनुसार एक व्यापारी था जो हनुमान जी का परम भक्त था। वो जलमार्ग से हनुमान जी की मूर्ति लेकर जा रहा था। जब वो प्रयाग पहुंचा तब उसकी नाव भारी होने लगी और संगम के निकट आते ही नाव यमुना के जल में डूब गई। धीरे धीरे समय बीता और जब यमुना की धारा ने अपनी राह बदली तब हनुमान की मूर्ति दिखने लगी। उस समय भारत में मुगल शासक अकबर का साम्राज्य था। अकबर ने ये परखने के लिए कि यदि हनुमान जी सच में इतने बलशाली है तो मेरे किले की रक्षा करेंगे। ये सोचकर हनुमान जी की मूर्ति अपने किले के पास स्थापित करवा दी। 

दूसरी कथा

एक और कथा के अनुसार जब रावण के वध के बाद हनुमान जी थक गए थे और मरणासन्न स्थिति में पहुंच गए तब माता सीता ने उन्हे अपना सिंदूर देकर इसी स्थान पर उन्हें नव जीवन दिया और चिरायु और हमेशा आरोग्य का वर दिया। और ये भी कहा कि जो भी संगम स्नान को आएगा, उसे तुम्हारे दर्शन करने जरूरी होंगे। तुम्हारे दर्शन किए बिना अगर कोई चला जाता है तो उसे संगम स्नान का पुण्य प्राप्त नहीं होगा।

तीसरी कथा

तीसरी कक्षा के अनुसार जब त्रेता युग में भगवान हनुमान ने सूर्यदेव से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हे गुरु दक्षिणा देने की इच्छा जाहिर की तब हनुमान जी से सूर्य देव ने कहा कि प्रभु श्री राम अपने भाई और पत्नी सहित वनवास के लिए वन जा रहे है। तुम वहां जाकर उनकी राक्षसों से रक्षा करना। तब वो श्री राम के पास जाने लगे। तब श्री राम ने सोचा कि अगर हनुमान राक्षसों का अंत करेंगे तो उनके अवतार का उद्देश्य कैसे पूर्ण होगा। तब उन्होंने माया से हनुमान जी को घोर निद्रा में डालने का आग्रह किया। जब हनुमान जी संगम तट के निकट पहुंचे तो सूर्य अस्त हो चुका था। रात्रि में नदी को नहीं लांघते, ये सोचकर उन्होंने वहीं विश्राम किया। माया के वशीभूत होकर हनुमान जी वही सो गए। और इसी रूप में उनकी यहां प्रतिमा विराजित हो गई। 

ऐसा कहा जाता है कि मुगल शासकों ने बहुत कोशिश की इस मूर्ति को तोड़ने की, हटाने की। पर जितनी बार कोशिश करते,मूर्ति उतनी ही नीचे चली जाती। यही कारण है कि हनुमान जी की प्रतिमा धरातल से इतनी नीचे है।

तो आपने जाना इस मंदिर जा इतिहास। आगे भी हम ऐसे रहस्यमई इतिहास लेकर आते रहेंगे।

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