पश्चाताप 

प्रभा ,भाभी की सास बनने का भी प्रयत्न करती रहती थी। भाभी सवेरे से उठकर सुबह का नाश्ता, दोपहर तथा रात का खाना इत्यादि सभी काम करती रहती थी ।घर में कोई भी उसका सहायक नहीं था ।घर की साफ सफाई, कपड़े धोना इत्यादि छोटे बड़े सभी काम दीपा ही करती थी ।परंतु प्रभा अपना रौब जमाने से बाज नहीं आती थी.....

पश्चाताप 

फीचर्स डेस्क।प्रभा का इकलौता भाई पाणिग्रहण संस्कार में बंध गया था। वह बहुत प्रसन्न थी। लेकिन साथ ही साथ उसके मन में, एक अभिमान का और अधिकार का भाव भी उत्पन्न हुआ था ।अब मैं ननद बनकर भाभी को अपनी उँगलियों पर नचाऊंगी। मैं स्वयं घर के किसी भी काम में हाथ नहीं लगाऊंगी। अपने सभी छोटे बड़े व्यक्तिगत काम भी भाभी से ही करवाऊंगी।

प्रभा की माँ नहीं थी। इसलिए प्रभा ,भाभी की सास बनने का भी प्रयत्न करती रहती थी। भाभी सवेरे से उठकर सुबह का नाश्ता, दोपहर तथा रात का खाना इत्यादि सभी काम करती रहती थी ।घर में कोई भी उसका सहायक नहीं था ।घर की साफ सफाई, कपड़े धोना इत्यादि छोटे बड़े सभी काम दीपा ही करती थी ।परंतु प्रभा अपना रौब जमाने से बाज नहीं आती थी।

एक दिन वह भी आया। जब प्रभा भी दुल्हन बनकर ससुराल की दहलीज पर पहुँची। वहाँ  उसकी भी दो ननदें थीं। एक विवाहित थी, एक अविवाहित थी। दोनों ही ननदें उसे हाथों हाथ रखती थीं। उनका हर संभव यह प्रयास रहता था। भाभी को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो ।वह अपने आप को अकेला अनुभव न करे।

अपने ससुराल में अपने प्रति इतना आत्मीय व्यवहार देखकर, प्रभा में आत्मग्लानि उत्पन्न होने लगी ।उसने सोचा, मेरे ससुराल के लोग विशेष तौर पर ननदें सगी बहनों से भी अधिक सम्मान देती हैं।

उसे अपने भाभी के प्रति किए गए व्यवहार के कारण ,मन ही मन पश्चाताप रहने लगा। उस बार जब वह अपने मायके पहुँची ।उसकी आंखों में आँसू आ गए ।उसने अपनी भाभी से अपने रूखे एवं अनुचित व्यवहार के लिए क्षमा मांगी।

इनपुट सोर्स -उषा कंसल
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