पढ़ें, पाँचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या-क्या होता है लाभ

पढ़ें, पाँचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या-क्या होता है लाभ

फीचर्स डेस्क। रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकतिक रूप से कुछ सीधी धारिया होती है। ये धारिया स्पष्ट रूप से दिखायी देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है। जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहाँ सदा लक्ष्मी का वास रहता है।रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।

शांति

रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिये अर्थ और काम का दाता है रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।

दुःखो से छुट

रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखो से छुटकारा होता है रुद्राक्ष सभी वणो के पाप का नाश करता है।

मानसिक व्याधियों से मुक्ति

रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते है। रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है। रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहो की अशुभता शरीर मे होने वाला विषेला संक्रामण ओर कुद्रष्टि दोष, राक्षसी वृति दोष शांत रहते है।

पंचमुखी रुद्राक्ष को पंचमुख ब्रह्रा स्वरूप

रुद्राक्ष तेज तथा ओज मे अपूर्व वृद्धि करता है पाँच मुखी रुद्राक्ष पर पाँच धारिया होती है पाँच मुखी रुद्राक्ष साक्षात रूद्र स्वरूप है, रुधोजात, ईशान, तत्पुरुष, अघोर, तथा कामदेव, शिव के ये पाचो रूप पंच मुखी रुद्राक्ष में निवास करते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष को पंचमुख ब्रह्रा स्वरूप माना जाता है, इसके पांच मुखों को भगवान शिव का पंचानन स्वरूप माना गया है मानव इस संसार में जो भी ज्ञान रूपी सम्पति उपार्जित करता है वह सुस्पष्ट और स्थायी हो तभी उसकी सार्थकता है। इस प्रकार के ज्ञान की रक्षा के लिए पाँच मुखी रुद्राक्ष विशेष उपयोगी होता है। यह रुद्राक्ष ह्रदय को स्वच्छ, मन को शान्त तथा दिमाग को शीतल रखता है पंचमुखी रुद्राक्ष दीर्घायु और अपूर्व स्वास्थ्य प्रदान करता है यह मनुष्य को उन्नति पथ पर चलने की ताकत देता है तथा उन्हें आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति कराता है।

तीन या पांच दाने धारण करें

पंचमुखी रुद्राक्ष रूद्र का प्रतीक माना जाता है। यह रुद्राक्ष पर स्त्री गमन के पाप को हरता है तथा इसे धारण करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते है। इसके धारक को किसी प्रकार का दुःख नहीं सताता है इसके गुण अनंत होते है। इसलिये इसे अत्यन्त प्रभावशाली तथा महिमामय माना जाता है। पंचमुखी रुद्राक्ष के कम से कम तीन या पांच दाने धारण करने चाहिये रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व शिवजी के विग्रह से बहते जल से या पंचामृत से या गंगाजल से धोकर त्र्यंम्बकमंत्र या शिवपंचाक्षर मंत्र ओ` नमः शिवाय से प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए उक्त जानकारी सुचना मात्र है, किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले कुंडली के और भी ग्रहो की स्तिथि, बलाबल को भी ध्यान में रख कर धारण करना चाहिये।

इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी।