प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों में सम्बद्ध विक्रेता का जारी रहना जरूरी - कैट

प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों में सम्बद्ध विक्रेता का जारी रहना जरूरी - कैट

बिजनेस डेस्क। केंद्रीय वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल को आज भेजे गए एक पत्र में कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों में संबद्ध इकाई शब्द को जारी रखने का जोरदार आग्रह किया है। इस शब्द को हटाने से दोनों विदेशी और घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने पोर्टल पर अपने से सम्बद्ध विक्रेताओं के साथ मिलकर एकाधिकार करना आसान होगा।

कैट ने कहा कि जिन विक्रेताओं में ई कॉमर्स कंपनियों का आर्थिक हित और इक्विटी है, उन्हें विक्रेता बनाकर यह ई कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं की पसंद को सीमित करती हैं। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने कहा कि 2016 से अमेज़ॅन क्लाउडटेल एवं अपैरियो तथा फ्लिपकार्ट डब्ल्यू एस रिटेल जैसी सम्बद्ध कंपनियों के द्वारा अधिकतम बिक्री कर रहे हैं । संबद्ध इकाइयों शब्द को हटाने से रिलायंस, टाटा जैसी बड़ी घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियां भी अपने सम्बद्ध विक्रेताओं के माध्यम से सामन बेचेंगी और देश का ई कॉमर्स बाजार केवल चाँद हाथों में सिमट कर रह जाएगा जो उपभोक्ताओं के लिए अत्यधिक हानिकारक होगा और ई कॉमर्स व्यापार में लोकतांत्रिक भावना खत्म हो जाएगी।

श्री भरतिया ने कहा कि उपभोक्ताओं को सामान खरीदने में अपनी पसंद को प्रतिबंधित करने से रोकने से बचाने के लिए प्रस्तावित नियम में अपने उत्पादों को अपने पोर्टल पर बेचने के लिए संबद्ध इकाई पर प्रतिबंध को शामिल करना बहुत आवश्यक है। ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा एकाधिकार, प्रतिबंधात्मक और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए नियमों में पर्याप्त प्रावधान उपभोक्ता के हितों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है । उपभोक्ताओं को किसी भी धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षा के लिए गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मूल, मानक और माल की कीमत के बारे में पूर्व-खरीद चरण में जानने का अधिकार है और इस अधिकार पर अतिक्रमण किया जाना उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध होगा ।

श्री भरतिया ने कहा कि प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियम विदेशी और घरेलू कंपनियों पर समान रूप से लागू होंगे। यह गलत धारणा है कि केवल विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ही अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करती हैं। यही दुरुपयोग बड़ी घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भी किया जा सकता है। इसलिए प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों में हर संभव प्रतिबंध को शामिल करने की आवश्यकता है। इस हद तक कि ई-कॉमर्स कंपनियां, चाहे विदेशी हों या घरेलू, अपने स्वयं के सहयोगियों के माध्यम से किसी भी प्रकार का एकाधिकार न कर सकें। मिसाल के तौर पर संबद्ध इकाइयों के साथ मिलकर ई कॉमर्स कंपनियां एक गठबंधन के द्वारा ई कॉमर्स बाजार में अपना प्रभुत्व बढ़ा सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप बाजार में उनकी ही एक बड़ी हिस्सेदारी हो जायेगी जो उपभोक्ताओं के हितों के प्रतिकूल होगा। इसी तरह, कीमतों में हेरफेर, बाजार में आपूर्ति की स्थिति या आपूर्ति का प्रवाह जो उपभोक्ता पर अनुचित लागत या प्रतिबंध लगा सकता है को प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं के रूप में माना जाता है जो उपभोक्ताओं के हितों को बाधित कर सकते हैं।