premenopause : अगर आप प्रीमेनोपौज का सामना कर रहीं हैं तो यह कोई बीमारी या गड़बड़ी नहीं समझे, पढ़ें क्या कहती हैं - डॉ दुरु शाह

मिड लाइफ हैल्थ जर्नल में दर्शाए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2026 के अंत तक भारत की विशाल जनसंख्या में करीब 10 करोड़ 30 लाख ऐसी महिलाएं होंगी जो इस दौर से गुजर चुकी होंगी। अधिकतर स्त्रियों के जीवन में यह 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच...

premenopause :  अगर आप प्रीमेनोपौज का सामना कर रहीं हैं तो यह कोई बीमारी या गड़बड़ी नहीं समझे, पढ़ें क्या कहती हैं - डॉ दुरु शाह

हेल्थ डेस्क। प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और सैक्स समस्याओं से रिलेटेड हमारे यहाँ अच्छा नहीं मानते हैं। वहीं मेनोपौज टॉपिक पर भी खुलकर बात करने से लोग बचते हैं। जबकि मेनोपौज एक नेचुरल प्रक्रिया (Natural Process) है जो एक फ़ीमेल के लाइफ में महत्त्वपूर्ण शारीरिक (important physical) व मनोवैज्ञानिक बदलाव लाती है। यह एक अत्यंत कठिन दौर हो सकता है और इस का अनुभव किन्हीं भी 2 फ़ीमेल्स में एकसमान नहीं होता। अत्यंत गरमी लगना, रात में पसीना आना, योनि का सूखना, अनियमित मासिक धर्म, यौनेच्छा में कमी आना और मिजाज में चिड़चिड़ापन आना आदि मेनोपौज की अवस्था (stage of menopause) में पहुंचने के सामान्य लक्षण होते हैं। मुंबई के एक प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. दुरु शाह ने एक हिन्दी वैबसाइट से बताया कि मेनोपौज का प्रभावी उपाय संभव है। ऐसे में यह जानना अनिवार्य है कि इस संक्रमण काल के दौरान क्या होता है और ऐसे कौन से उपचार के विकल्प उपलब्ध हैं जिन को अपना कर इस से निबटा जा सकता है और इस दौर को अधिक से अधिक सहज बनाया भी जा सकता है।

प्रजनन क्षमता का अंत

मेनोपौज स्त्री जीवन में प्रजनन क्षमता के अंत की ओर इशारा करता है। इस को एक ऐसे समय के रूप में परिभाषित किया गया है जब एक स्त्री का मासिक धर्म पूरी तरह से रुक जाता है। उसी स्त्री को मेनोपौज के दौर से गुजरा हुआ माना जा सकता है जिसे पूरे 1 साल तक मासिक धर्म न हुआ हो। मिड लाइफ हैल्थ जर्नल में दर्शाए गए आंकड़ों के मुताबिक, साल 2026 के अंत तक भारत की विशाल जनसंख्या में करीब 10 करोड़ 30 लाख ऐसी महिलाएं होंगी जो इस दौर से गुजर चुकी होंगी। अधिकतर स्त्रियों के जीवन में यह 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच में होता है। यदि यह 40 की आयु के पहले हो जाए तो असामयिक समझा जाता है।

प्रीमेनोपौज के क्या हैं लक्षण

मेनोपौज के संक्रमण दौर को ‘प्रीमेनोपौज’ कहा गया है। रात में पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, तनाव, उत्कंठा, चिड़चिड़ापन, मिजाज परिवर्तन, याददाश्त समस्या व एकाग्रता में कमी होना, योनि का सूखना और बारबार पेशाब लगना आदि इस के सामान्य लक्षण हैं। मेनोपौज के समय एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाने के कारण स्त्रियों में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। प्रीमेनोपौज जीवन की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे कोई बीमारी या गड़बड़ी नहीं समझना चाहिए।

क्या हैं इसका उपचार

डॉक्टर के अनुसार  ‘‘मेनोपौज संबंधी परिस्थितियों के लिए बहुत सारे उपचार के विकल्प मौजूद हैं। इन में से हार्मोनल थैरेपी सब से कारगर रही है। यह वयस्क हो रही महिलाओं में हड्डियों के कमजोर होने के खतरे को भी कम कर देती है। दरअसल, हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी या मेनोपौजल हार्मोन थैरेपी वाहिकाप्रेरक लक्षणों, जैसे कि अत्यधिक तीव्रता और योनि के सूखने हेतु सब से प्रभावी उपचार है। यदि स्त्रियों को केवल योनि के सूखने की समस्या है तो एस्ट्रोजन की कम खुराक द्वारा उन का उपचार किया जाना चाहिए। ऐसी स्त्रियां जिन में गर्भाशय अब भी मौजूद हो, उन्हें गर्भाशय के कैंसर से बचाने के लिए प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का मिश्रण देना चाहिए। इस मिश्रित उपचार की अवधि हेतु सामान्यतया 5 साल या उस से कम की सलाह दी गई है और प्रत्येक स्त्री के लिए इस का उपचार अलग तरह से होना चाहिए। जिन स्त्रियों में गर्भाशय को निकाल दिया गया है उन्हें केवल एस्ट्रोजन लेने की सलाह दी जाती है।

कैल्शियम और विटामिन डी बहुत जरूरी

मेनोपौज कि समस्या होने पर तनाव विरोधी चिकित्सा, क्लोनिडाइन और गाबापेंटिन, वानस्पतिक स्रोतों की पोषक थैरेपी भी कारगर माना गया है। आप इसे सोयाबीन उत्पादों, मटर, लाल लौंग और बीन्स में फाइटोएस्ट्रोजन के रूप में भी ले सकती हैं। स्त्रियों को हड्डियों को कमजोर होने से बचने के लिए आहार संबंधी या कैल्शियम और विटामिन डी को शामिल करने की सलाह भी दी जाती है।

स्त्रीरोग विशेषज्ञ से करें संपर्क

अगर आप भी मेनोपौज से पहले के लक्षणों से गुजर रही हों। ऐसे में उसे चुपचाप सहने या नजरअंदाज करने के बजाय सब से महत्त्वपूर्ण यह है कि स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जल्द से जल्द संपर्क करें। मेनोपौज से निबटने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव चाहती है तो प्रतिदिन संतुलित आहार और व्यायाम करें।

सैक्स लाइफ पर असर नहीं

माना जाता है कि मेनोपौज के बाद महिलाओं में यौन संबंध बनाने की इच्छा समाप्त हो जाती है पर विशेषज्ञों की मानें तो उन का कहना है कि यह पुरानी सोच है कि सारी यौन समस्याओं का कारण मेनोपौज है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं।