गर्मियों में अक्सर लोगों को पीलिया हो जाती है, जानिए डाइटिशियन वीना से की कैसे बच सकती हैं आप

पीलिया होने पर बुखार आता है, आपको भूख कम लगती है, त्‍वचा और आंखें पीली हो जाती हैं और थकान महसूस होती है। पीलिया या जॉन्‍ड‍िस के लक्षण, इलाज और लीवर से उसका संबंध जानने के लिए  हमने बेंगलुरु की डाइटिशियन वीना उपाध्याय से बात की....

गर्मियों में अक्सर लोगों को पीलिया हो जाती है, जानिए डाइटिशियन वीना से की कैसे बच सकती हैं आप

हेल्थ डेस्क। पीलिया जैसी बीमारी हमारे शरीर के अंदर पाए जाने वाले यकृत या लीवर में खराबी के कारण उत्पन्न होती है। यकृत जो कि हमारे शरीर का सर्वाधिक बड़ा ग्रंथिय अंग होता है। शरीर के वजन का 2.5 से 3% वजन बनाता है। यकृत हमारी शरीर में नहीं आकार की दृष्टि से बड़ा होता है बल्कि कार्य की दृष्टि से भी बहुत बड़ा होता है। यकृत के अंदर ही खाद्य पदार्थों जैसे कार्बोहाइड्रेट और वसा का चयापचय संभव हो पाता है। इसके अलावा यकृत एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य भी करता है पित्त रस को उत्पन्न करने तथा रक्त कणों को पित्त के  रंग कणों में परिवर्तित करने का महत्वपूर्ण कार्य भी यकृत के द्वारा ही किया जाता ह। रक्त में पित्त रंग कण बिलीरुबिन सामान्यतः0.2 से 0.8 मिलीग्राम बिलीरूबिन पर 100 मिली सीरम पाया जाता है। जब यह बिलीरुबिन २ मिली ग्राम सीरम बिलीरुबिन हो जाता है तो हमारे आंखों और त्वचा में पीलापन सा दिखाई देने लगता है जिस अवस्था को हम पी लिया कहते हैं। पीलिया होने पर बुखार आता है, आपको भूख कम लगती है, त्‍वचा और आंखें पीली हो जाती हैं और थकान महसूस होती है। पीलिया या जॉन्‍ड‍िस के लक्षण, इलाज और लीवर से उसका संबंध जानने के लिए  हमने बेंगलुरु की डाइटिशियन वीना उपाध्याय से बात की।

 आहार नियोजन पीलिया की अवस्था में

 वैसे तो इस अवस्था में हमारा वजन तेजी से कम होने लगता है उसका कारण होता है कि हमारे यकृत में उपस्थित ग्लाइकोजन तेजी से खत्म होने लगता है जिससे हमारे वजन में शीघ्रता से कमी आने लगती है। इसके लिए हमें अपने भोजन ग्रहण में कैलरी की मात्रा को बढ़ाना चाहिए।

1. पीलिया जैसी गंभीर अवस्था में वसाका प्रयोग कम कर देना चाहिए क्योंकि यकृत में ही बसा का चयापचय होता है और इस अवस्था में यकृत की दशा और यकृत में पाए जाने वाले कोशिकाओ की दशा पहले से ही बहुत खराब रहती है। और ऐसी दशा में अगर हम ज्यादा तला, भुना, घी, तेल वाली चीजों को अपने आहार में शामिल करेंगे तो उसका सारा चयापचय का भार यकृत पर आएगा जो वह सहन नहीं कर पाएगा जिससे आपको और भी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।

प्रोटीन के लिए दो धारणाएं प्रसिद्ध हैं कुछ विशेषज्ञों के अनुसार प्रोटीन युक्त आहार इस अवस्था में दिया जाना चाहिए क्योंकि प्रोटीन लाइपो ट्रॉपिक तत्व प्रदान करते हैं और यकृत कोशिकाओं के पुनः निर्माण में सहायक होते हैं। और कुछ चिकित्सकों या विशेषज्ञों के अनुसार हमें इस अवस्था में प्रोटीन युक्त आहार कम करना चाहिए क्योंकि यकृत परी प्रोटीन चयापचय का भारत आ जाता है अमोनिया को यूरिया में परिवर्तित करने का पूरा कार्य कृत ही करता है और इसलिए हमें कम प्रोटीन युक्त आहार दिया जाना चाहिए लेकिन सामान्यता 40 ग्राम तक आप इस अवस्था में प्रोटीन प्रतिदिन शामिल कर सकते हैं फिर धीरे-धीरे बिलीरुबिन की मात्रा कम होने पर हम इसके इस प्रोटीन की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।

यकृत में उपस्थित ग्लाइकोजन तेजी से खत्म होने लगता है इसके लिए हमें अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को बढ़ाना चाहिए जिसको हम फल फलों के रस, सब्जियां कुछ नींबू ,शक्कर के घोल ,शहद इत्यादि को शामिल कर सकते हैं । साथी हम उनके खाने में सूजी का हलवा दलिया भी शामिल कर सकते हैं हमें अपने आहार में विटामिन बी , डी ,के,ऐ इतियादि के  स्रोत को बढ़ाना चाहिए।

पीलिया जैसी अवस्था में हमें बहुत ही ध्यान रखना चाहिए अपने खाने का, जितने हल्के खाद्य पदार्थ और उबले हुए खाद पदार्थों को हम प्रयोग करेंगे उतनी ही हमें पचाने म ें आसानी होगी। ज्यादा तले भुने मिर्च और कठोर पदार्थों को अपने आहार में शामिल करने से हमें उन्हें पचाने में बहुत ही दिक्कतें हो सकती हैं साथ ही साथ हमें और भी गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे हमें डायरिया जैसी शिकायत भी हो सकती है या उल्टी होना इत्यादि।

पीलिया के रोगियों के आहार में हमें बहुत ज्यादा वसा वाला या मलाई वाला दूध, मक्खन या बहुत ज्यादा घी, तेल में बनी हुई चीजें, तले हुए पापड़ ,आचार और बाजार से लाई हुई चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा घर में बने हुए हल्के उबले खाद्य पदार्थों को ही उनको खिलाना चाहिए जो कम मिर्च मसाले कम तेल में बना हो , जैसे- हम उबले आलू या उबली सब्जियों को बहुत ही कम तेल में बना कर उनको खिला सकते हैं सूप के रूप में भी हम सब्जियों को दे सकते हैं सब्जियों की प्यूरी बनाकर हम उनको दे सकते हैं।

इसके अलावा हम उनके खाद्य पदार्थों में मल्टीग्रेन ब्रेड में जेम लगाकर दे सकते है। इसके अलावा हम उनके खाने में उबले आलू उबला शकरकंद गाजर ब्रोकली और लौकी पंपकिन इन सारी सब्जियों को उबालकर मैच करके थोड़ा सा उसमें जीरा पाउडर और नमक देख मिला कर दे सकते हैं। फलों में हम पीलिया के मरीज को पपीता और केला दे सकते हैं पपीते में विटामिन पाया जाता है जो अम्लीय क्षारीय या उदासीन माध्यम में भी प्रोटीन के पाचन की क्षमता रखता है । साथ ही गन्ने के रस में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत अधिक होती है जो कि यह यकृत के ग्लाइकोजन संग्रह की वृद्धि में सहायक होती है इसलिए हमें पीलिया के रोगी को गन्ने का रस प्रतिदिन पिलाना चाहिए। उपरोक्त दिए जाने वाले सारे खाद्य पदार्थों को देने से पहले हमें यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि उस में दिए जाने वाले फल सब्जियां पेस्टिसाइड वाली ना हो जहां तक हो ऑर्गेनिक हम  इस्तेमाल करें और उनको बहुत ही अच्छे से धोकर उसके बाद ही हम रोगी के लिए पकाएं।

इनपुट सोर्स : वीना उपाध्याय, डाइटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट, बेंगलुरु सिटी।