जयपुर में सारगर्भित विचार गोष्ठी के साथ परशुराम जयंती मनाई गई

भगवान परशुराम शस्त्र और शास्त्र का अद्भुत संगम थे। भगवान परशुराम हमारे आदर्श हैं वह सदैव सर्वजन हिताय की बात ही करते रहे.....

जयपुर में सारगर्भित विचार गोष्ठी के साथ परशुराम जयंती मनाई गई

जयपुर सिटी। हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के तहत भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बुधवार को जन्मोत्सव समारोह के समापन पर भगवान परशुराम पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। 
गोष्ठी के प्रारंभ में कवयित्री रेनू शब्द मुखर ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना का गायन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ अखिल शुक्ला ने कहा कि भगवान परशुराम पराक्रमी होने के साथ-साथ सहृदयी व दानशील थे। भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री परशुराम जी का चरित्र मार्गदर्शक व प्रेरणादायी है।                          
गोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रोफेसर आशा कौशिक ने कहा कि भगवान परशुरामजी तेजस्वी,ओजस्वी,वर्चस्वी व त्यागी थे। सदैव प्राणी मात्र का हित उनका सर्वोपरि लक्ष्य रहा।        
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हिंदी फिल्म अभिनेता गोपेश शर्मा ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार भगवान परशुराम आज भी चिरंजीवी है और जन कल्याण के लिए भगवान की तपस्या में लीन हैं ।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. धनेश्वर शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम जी किसी एक वर्ग, एक क्षेत्र या एक समुदाय के नहीं अपितु संपूर्ण भारतवर्ष के समग्र समाज के महानायक हैं। इस अवसर पर सभी गणमान्य अतिथियों के द्वारा हिंदी ज्योति बिंब मासिक पत्रिका का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक हिंदी प्रचार प्रसार के कुलसचिव अविनाश शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम जी ब्रह्म कुल में उत्पन्न हुए। भगवान परशुराम ने अराजकता को समाप्त करने के लिये न्याय हित में शस्त्र उठाया।युद्ध में विजय प्राप्त होने के उपरांत भी सर्वस्व दान कर लोकहित में तपस्या करने हेतु महेंद्र पर्वत पर चले गए और शास्त्रों के अनुसार जनहितार्थ आज भी तपस्या में लीन है। कार्यक्रम के समन्वयक महेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि भगवान परशुराम शस्त्र और शास्त्र का अद्भुत संगम थे। भगवान परशुराम हमारे आदर्श हैं वह सदैव सर्वजन हिताय की बात ही करते रहे। गोष्ठी को जितेश जैमन पदम प्रकाश पारीक, भरत मिश्रा, प्रतिमा जैमन, मंजुला पारीक, मोनिका मिश्रा, डॉ ममता शर्मा सहित अनेक वक्ताओं ने संबोधित किया। गोष्ठी के अंत में गोष्ठी के समन्वयक कार्तिकेय शुक्ला ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।