Navratri Special: दर्शन कीजिए विंध्यवासिनी माता के मंदिर के, जहां प्राप्त होगा आपको देवी के तीन रूपों के दर्शन का सौभाग्य

इस नवरात्री फोकस हर लाइफ आप के लिए घर बैठे देश के कोने-कोने से देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन का मौका लेकर आया है। इसी क्रम में आज हम मिर्जापुर के विंध्यवासिनी मंदिर के बारे में जानेगे। ये हज़ारों साल पुराना मंदिर है और ये एक जाग्रत शक्ति पीठ है जहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है….

Navratri Special: दर्शन कीजिए विंध्यवासिनी माता के मंदिर के, जहां प्राप्त होगा आपको देवी के तीन रूपों के दर्शन का सौभाग्य

फीचर्स डेस्क। माता विंध्यवासिनी जिसके दर्शन मात्र से मिल जाती है मुक्ति। मधु और कैटभ दैत्यों का दलन करने वाली माता त्रिकोण यंत्र पर स्थित विंध्याचल पर्वत पर निवास करने वाली देवी महा लक्ष्मी, महा काली और मां सरस्वती का रूप धारण करती है। मां का रूप इतना अदभुत है कि मां के रूप को निहारते ही रहो। यहां आकर आपको इतनी शांति मिलेगी कि आप सभी मोह माया से छूट जायेंगे। आइए जानते है मां के चमत्कारिक रूप के बारे में।

क्या है विंध्य क्षेत्र का महत्व


विंध्य क्षेत्र को तपोभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां की तो हवा में भी भक्ति बहती है। पूरे भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्ति पीठ है मां विंध्यवासिनी ,जहां मां जाग्रत रूप में बसती है। विंध्याचल पर्वत में बसे इस मंदिर की सुंदरता देखने लायक है। पहाड़ियों से निकलती गंगा नदी जिसके बहने से जो कल कल ध्वनि उत्पन्न होती है और जो वहां की प्रकृति की सुंदरता है वो सबका मन जीत लेती है। यकीन मानिए वहां जाने के बाद आपका आने का मन नहीं करेगा।

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जाग्रत रूप में है मां

ऐसा कहा जाता है कि विंध्यवासिनी मां यहाँ अपने अलौकिक तेज के साथ यहां विराजमान है। और जो भी भक्त इनके अलौकिक प्रकाश का दर्शन कर लेता है वो सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त कर लेता है। शास्त्रों के अनुसार इस स्थल की महिमा अनुपम है। जब श्रृष्टि नहीं थी तब भी ये धाम इस धरती पर मौजूद था au श्रृष्टि के अंत के बाद भी ये धाम अपना अस्तित्व नहीं खोएगा। मां के उपासकों को संकल्प लेने भर से सिद्धि प्राप्त हो जाती है। इसीलिए इसे सिद्धपीठ भी कहा जाता है। चाहे चैत्र नवरात्र हो या शारदीय यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। और इस जाग्रत मां की उपासना तो ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी करते है तभी तो श्रृष्टि चल रही है। इसकी पुष्टि तो महापुराण दुर्गा सप्तशती में भी किया गया है।

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त्रिदेवियों के दर्शन का महत्व

विंध्यवासिनी माता मंदिर के तीन किलोमीटर के अंदर अंदर तीन देवियों के मंदिर है। ऐसा कहा जाता है कि इन तीन देवियों के दर्शन के बिना यहां की यात्रा अधूरी है। इन तीनों मंदिरों के मध्य में स्थित है विंध्यवासिनी मंदिर। पास ही कालीखोह पहाड़ी पर महाकाली और अष्टभुजा पहाड़ी पर अष्टभुजी देवी स्थित है। शायद आप ये बात न जानते हो कि विंध्याचल ही एक मात्र ऐसा स्थान है जहां सती माता पूर्ण विग्रह के रूप में दर्शन होते है। बाकी के शक्तिपीठों में अलग अलग अंगों के प्रतीक के दर्शन होते है।

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तो आपने जाना माता विंध्यवासिनी मां के मंदिर का महात्म्य। एक बार जरूर आइए और माता के दर्शन का लाभ उठाइए।
इस नवरात्री फोकस हर लाइफ आप के लिए घर बैठे देश के कोने कोने से देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन का मौका लेकर आया है साथ ही आप उस खास स्वरुप से 

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