National Doctor's Day Special : सेहत के अनोखे सिपाही , जिनके लिए है सेवाभाव ही सर्वोपरि
आइये नेशनल डॉक्टर्स डे पर मिलते हैं कुछ सेहत के अनोखे सिपाहियों से जिनके लिए सेवाभाव सर्वोपरि है....
फीचर्स डेस्क। डॉक्टर्स की तुलना भगवान् से होती ही रहती है और ये यूँ ही नहीं है। अक्सर आप को अपने आसपास ऐसे कई डॉक्टर्स मिल जायेंगे जो सिर्फ सेवा भाव से मानव सेवा में जुटे हुए हैं। ये पैसे रुपये अपने फायदे नुक्सान,नौकरी,सेवनृवत्ति आदि से परे हैं। सबके अपने अपने तरीके हैं कोई फ्री कंसल्टेशन कर रहा है , कोई फ्री दवा बाँट रहा है ,कोई जागरूकता बढ़ाने में बिजी है तो कोई बेटी होने पर प्रसव फीस माफ़ कर रहा है। आइये नेशनल डॉक्टर्स डे जो एक जुलाई को मनाया जाता है उसके उपलक्ष्य में ऐसे ही कुछ सेहत के अनोखे सिपाहियों की कहानी जानते हैं
बेटी का जन्म है नर्सिंग होम में फ्री और उत्सव का मौका
डॉ. शिप्रा धर काफी लम्बे समय से गर्ल चाइल्ड को बढ़ावा दे रही है। वाराणसी में इनके नर्सिंग होम में जब भी कोई दम्पति बेटी को जन्म देती है तो उनसे कोई भी फीस नहीं ली जाती। इसके अलावा वो अपने नर्सिंग होम में बेटी के जन्म पर खुशियां मनाती हैं और मिठाइयां भी बंटवाती हैं। इससे अस्पताल का माहोल हमेशा खुशनुमा बना रहता है। समाज में आज भी जहाँ फीमेल फिटिसाइड जैसी कुरीति व्याप्त है डॉ. धर का ये काम सराहनीय है। डॉ. ने अब तक लगभग 100 से अधिक बेटियों के जन्म पर कोई भी चार्ज नहीं लिया है। शिप्रा धर बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए एक बैंक भी चलती है। जिसमे गरीब परिवारों को अनाज आदि दिया जाता है।
कोरोना काल ने बढ़ाई जिम्मेदारी , बाँट रहे हैं फ्री दवा
केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व सदस्य व होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. अनुरूद्ध वर्मा कहते हैं, समाज सेवा का भाव कॉलेज के समय से ही था जो आज भी बरकरार है। आज जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है तो हमारी जिम्मेदारी दुगनी हो जाती है। डॉ. वर्मा कोरोना काल में अब तक हजारों लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव की होम्योपैथिक दवाएं फ्री बांट चुके हैं और आगे भी ऐसे ही कार्यरत रहने की इच्छा जाहिर करते हैं।
समूचा गांव गोद ले कर फैला रही हैं कैंसर के प्रति जागरूकता
केजीएमयू के क्वीन मेरी में प्रोफेसर व स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. उमा सिंह कहती हैं, 1995 से डॉक्टरी पेशे में हूं। अक्सर लोगों की मदद करती रहती थी। मगर पिछले चार सालों से बड़े स्तर पर महिलाओं में कैंसर समस्या पर काम कर रही हूं। सर्विक्स, ब्रेस्ट व अन्य कैंसर के प्रति महिलाओं व किशोरियों को जागरूक करने के लिए सोशल एक्टिविटी प्रोग्राम करती हूं। मेरे साथ कई और डॉक्टर भी जुड़े हैं। हमने लखनऊ के बाहर एक गांव भी गोद लिया है, जहां कैंसर, हाइजीन सहित शिक्षा के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं। गांव में पहले से बहुत सुधार आया है।
किशोरियों को कर रही जागरुक
क्वीनमेरी अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रेखा सचान समय समय पर ग्रामीण महिलाओं को स्त्री रोग के प्रति जागरुक करती रहती हैं। जिसमें महिलाओं को पीरयड की अनियमितता, ब्रेस्ट कैंसर, बच्चेदानी के कैंसर आदि के बारे में जानकारी देती हैं। खास तौर पर किशोरियों को मैंस्ट्रुअल हाइजीन के बारे में जानकारी देती हैं। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा किशोरावस्था में लड़कियों को स्त्री रोगों के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी होता है।
सुख बांटने में है ,संचय करने में नहीं
केजीएमयू में दंत रोग विभागाध्यक्ष डॉ. असीम टिक्कू का मानना है कि एक अच्छा इंसान ही अच्छा डॉक्टर बन सकता है। वो आगे बताते हैं की मैं अपने सभी स्टूडेंट्स को भी यही सिखाता हूँ क्योंकि इस प्रोफेशन में इंसानियत बहुत जरूरी है। यही मैं अपने स्टूडेंट्स को भी समझाता हूं। एक वाक़ये को याद करते हुए बताते हैं, करीब 20 साल पहले सर्दियों के दिन में मैं कॉलविन तालुकेदार कॉलेज से मैच खेलकर लौट रहा था। वहां एक महिला लगभग निर्वस्त्र अवस्था में खुद को ठण्ड से बचने की असफल कोशिश करती हुई दिखी। लोग उसे देखते हुए गुजर रहे थे मगर कोई उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था पर मुझसे रहा नहीं गया मैंने अपना स्वेटर उतारकर उसे दिया। जिसे उसने झट से पहना और वहां से चली गई। हालांकि वह स्वेटर मैंने लंदन से मंगाया था और मेरा फेवरिट था। मगर जब मैंने उसे वह दिया तो एक अलग तरह का सुख महसूस किया। इस घटना के बाद यही सीखा कि जो सुख बांटने में है, वह संचय करने में नहीं है। डॉ. असीम ओरल हाइजीन के प्रति लोगो को जागरूक करते हैं और जरूरत का सामान भी मुहैया करवाते हैं वो भी फ्री ऑफ़ कॉस्ट। डॉक्टर का प्लान है कि भविष्य में वंचित व निर्बल आय वर्ग के बच्चों को शिक्षित करूंंगा।
Happy Doctor's Day