Mother's Day Special: बहुत याद आता है माँ का अंगना

माँ का वो अंगना प्यारा जीवन का पहला पाठशाला गिरते उठते हंसते रोते लड़ते झगड़ते तर्क वितर्क सबके बीच राह सुझाती तुम खेल खेल में बात बात मे व्यवहारिक जीवन के हर पहलू का था पाठ पढ़ा जिस अंगना.....

Mother's Day Special: बहुत याद आता है माँ का अंगना

फीचर्स डेस्क। माँ सिर्फ़ एक शब्द नहीं

माँ एक सम्बोधन भी नहीं 

ये तो दिल से निकला

दिल को छूता 

एक अनमोल भाव है

माँ तुम सदा से ख़ास थी 

सच कहूँ पर समझी तब 

ये सुता स्वयं जननी बनी जब

माँ जीवन की प्रथम शिक्षिका

जिसने भरपूर दुलराया पुचकारा

वक्त वक्त पर डाँटा फटकारा

उचित राह पर लाने की ख़ातिर

कभी कभी एकाध चपत भी लगाया

सच कहूँ तो नित् दिन तो नहीं

पर आज भी मौक़े बेमौके ये प्यार दुलार

सख़्ती भरा वो डाँट फटकार

सब बहुत याद आता है 

सब बहुत याद आता है

थोड़ी देर से ही सही पर 

तुम्हारे हर एक रूप का हर

अर्थ आज बाखूबी समझ आता है

माँ का वो अंगना प्यारा 

जीवन का पहला पाठशाला 

गिरते उठते हंसते रोते 

लड़ते झगड़ते तर्क वितर्क 

सबके बीच राह सुझाती तुम

खेल खेल में बात बात मे 

व्यवहारिक जीवन के हर पहलू का

था पाठ पढ़ा जिस अंगना

सच कहूँ तो वो माँ का अंगना

नित् दिन तो नहीं पर आज भी 

किन्ही कठिन परिस्थितियों में 

याद आता है

बहुत याद आता है

उस अँगने की हर सिखलाई

में है कुछ ऐसी गहराई 

हर चुनौती के लिए कुछ राह जादूई

सूझा ही जाता है

सूझा ही जाता है

थके माँदे स्कूल से घर वापसी 

बिना नागा दरवाज़े पर माँ खड़ी

राह तकती बाँट जोहती

ममता का स्नेहिल निःस्वार्थ रूप

सच कहूँ तो माँ बिना नागा

नित याद आता है

बहुत याद आता है

सभी को मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 

इनपुट सोर्स: कनक एस