Mother's Day Special: ऐसे बनाएं टीनएज बेटी और मां का रिश्ता स्ट्रांग एंड फ्रेंडली

मां सब जानती है। बिन कहे सब समझ जाती है। तभी तो वो मां कहलाती है। मां बेटी का रिश्ता दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्ता होता है। पर जब बेटी बड़ी होती है तो कई चेंज होते है उसकी लाइफ में। कैसे एज ए मदर आप अपनी टीनएज बेटी के साथ फ्रेंडली हो जिससे वो अपनी सारी बातें आपसे शेयर करें। आइए जानते है।

Mother's Day Special: ऐसे बनाएं टीनएज बेटी और मां का रिश्ता स्ट्रांग एंड फ्रेंडली
Mother's Day Special: ऐसे बनाएं टीनएज बेटी और मां का रिश्ता स्ट्रांग एंड फ्रेंडली

फीचर्स डेस्क। बचपन से स्कूल तक राधिका अपनी मां से सारी बातें शेयर करती थी। पर जब वो कॉलेज में आई अचानक से उसने अपनी मां को बातें बतानी कम कर दी। फिर धीरे धीरे बंद ही कर दी। वो गुमसुम रहने लगी। राधिका अकेला रहना सिर्फ दोस्तों से बात करना ही पसंद करती थी। उसकी मां को उसका ये नेचर अजीब लग रहा था। अचानक क्यों वो अपनी मां से दूर जा रही थी। फिर ऐसा कुछ किया राधिका की मां ने कि फिर से एक बार राधिका की बेस्ट फ्रेंड उसकी मां बन गई और अब वो सारी बातें अपनी मां से बिना किसी हिचक के शेयर करने लगी। आप भी जानना चाहेंगी कि ऐसा क्या किया राधिका की मां ने। क्योंकि हर मां और बेटी के जीवन में ये मोड़ तो आता ही है।

बेटी पर विश्वास करें

जी हां ये बहुत जरूरी है कि आप बेटी पर विश्वास करें। यूज ये अहसास कराएं कि चाहे कोई मोड़ हो जिंदगी का आप हमेशा उसके साथ ही है। क्योंकि बेटी जब बड़ी होती है तब वो बातें इस डर से छुपाने लगती है कि कहीं मम्मी को पता लग गया तो वो डांटे न। इसी डर को आपको बेटी के मन से हटाना होगा। यूज ये बिलीव कराना होगा कि आप हमेशा उस पर भरोसा करोगी। बेटी की बातों को ध्यान से सुनें। उसकी हर प्रॉब्लम को महसूस करें। अपनी उस उम्र को सोच कर बेटी से बात करें। उसे सही गलत समझाएं। बेटी को जज न करें बल्कि उसको सुने। जैसा कि राधिका की मां ने किया। राधिका की हर बात को धैर्य से सुना फिर उस पर नाराज होने के बजाय उस बात पर चर्चा की। और उसे समझाया। धीरे धीरे राधिका की मां उसकी हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन बन गई।

अपने अनुभव करें साझा

आज बेटी जिस दौर से गुजर रही है ,उस दौर से कभी आप भी तो गुजरी होंगी। तो बस अपने जमाने को याद करें और अपने अनुभव अपनी बेटी से शेयर करें। ये ही तो किया था राधिका की मम्मी ने। जब हम सैद्धांतिक बातें करके बच्चों को किसी काम को करने से रोकते है तो उनको वो समझ नही आती कई बार। और वो न चाहते हुए भी बात के अगेंस्ट चले जाते है। वहीं जब हम अपना कोई एक्सपीरियंस बच्चों से शेयर करते है तो वो उस बात को अपने करीब महसूस करते है और जल्दी बात समझ जाते। आप भी ये करके देखें,असर न हो इस बात का ये तो सवाल ही नहीं उठता।

दे बेटी को भी फैसले लेने की आजादी

आप जब बेटे को हर बात की आजादी दे सकती है तो बेटियों को क्यों नहीं, जी हां बेटियों का ध्यान रखिए,हम इस बात से इंकार नहीं कर रहे। पर उनको उनके जीवन से जुड़े कुछ फैसले करने की भी आजादी दे बचपन से ही। जैसे उनको क्या सब्जेक्ट चूज करना है,उनको अपने दोस्त चुनने की आजादी दे। उनको दोस्तों के साथ बाहर जाने की आजादी दे। अगर आपको उसका दोस्तों के साथ बाहर जाना नहीं पसंद तो फिर ये रूल अपने बेटे पर भी लागू करें। क्योंकि बेटे को आजादी और बेटी को नहीं। इसका बेटी की मानसिकता पर गहरा असर पड़ता है। राधिका की मां ने उसे कभी नहीं फोर्स किया कि उसे किस लाइन में जाना है क्या करियर चुनना है। उसने अपनी मर्जी से जर्नलिज्म का कोर्स किया और आज वो सफल पत्रकार है। जब आप बेटी को ये फील करवाएंगी तो उस पर खुद आपका ये विश्वास न तोड़ने का प्रेशर होगा। और वो कभी गलत काम नही करेगी।

आत्म विश्वास को बढ़ाएं

जी हां बेटी के आत्म विश्वास को कभी भी कमजोर न पड़ने दे। उसे इतना मजबूत बनाएं कि वो कभी भी परिस्थितियों से हार न मानें। हो सकता है कि कोई उसे परेशान करता हो तो आप उसे अंदर से इतना कॉन्फिडेंट बना दे कि वो किसी से डरे नहीं बल्कि फुल कॉन्फिडेंस से जवाब दे सके। साथ ही उसके फैसलों की इज्जत करें। हो सकता है कि उसका लिया फैसला गलत हो पर उस बात के लिए अगर आप उसे टोकती रहोगी हमेशा तो वो आगे अपना आत्मविश्वास खो देगी। हो सकता है वो एक बार असफल हो जाए कोई बात नहीं। उसे ये अहसास कराएं कि एक असफलता उसके जीवन का अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत है। 

राधिका की मां ने इन्हीं सब बातों को अपनाकर अपनी बेटी के साथ एक हेल्दी एंड फ्रेंडली रिलेशन क्रिएट किया। अगर आप भी अपनी बेटी के साथ ऐसा ही प्यार भरा रिश्ता चाहती है तो इन बातों को समझे और अपने रिश्ते,अपनी बॉन्डिंग को मजबूत बनाए।

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