मकर संक्रान्ति: होगा खरमास का समापन, क्या है संक्रान्ति का पूर्ण विधान बता रहे है ज्योतिषविद विमल जैन

आज है मकर संक्रांति का पावन त्यौहार। धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव, साथ ही आज से होगा खरमास का समापन। भगवान सूर्य की आराधना का है विशेष पर्व मकर संक्रांति। आज के दिन तिल दान से कटते हैं संकट और होता है पापों का शमन, साथ ही मिलती हैं सुख समृद्धि और खुशहाली। क्या है मकर संक्रांति का महत्व और पूजा का विधान आइए जानते हैं ज्योतिषविद विमल जैन से....

मकर संक्रान्ति: होगा खरमास का समापन, क्या है संक्रान्ति का पूर्ण विधान बता रहे है ज्योतिषविद विमल जैन

फीचर्स डेस्क। भगवान सूर्य की आराधना का विशेष पर्व मकर संक्रांति अपनी अपनी रीति रिवाज के अनुसार संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। मकर संक्रांति का पर्व जम्मू-कश्मीर और पंजाब में लोहड़ी के रूप में जाना जाता है जबकि दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से विख्यात है। सूर्य ग्रह का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश होने पर यह पर्व मनाया जाता है। विमल जैन ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। मकर संक्रांति का पर्व दक्षिणायन के समाप्त होने पर और उत्तरायण के शुरू होने पर मनाया जाता है। उत्तरायण की 6 माह की अवधि मानी गई है। मकर संक्रांति के दिन तिल से बने पकवान बनाना शुभ फलदाई माना गया है। इस दिन चावल और काले उड़द की दाल की खिचड़ी खाने और दान देने की भी परंपरा है। आज से ही रात्रि छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं और मौसम में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है। संक्रांति का पुण्य काल क्या है और इसकी पूजा का विधान क्या होना चाहिए आइए जानते हैं।
कब तक है पुण्यकाल

विमल जैन बताते हैं की पंचांग के अनुसार इस बार सूर्य ग्रह धनु राशि से मकर राशि में 14 जनवरी शुक्रवार को रात्रि 8:49 पर प्रवेश करेंगे जो कि 15 जनवरी शनिवार को दिन में 12:49 तक रहेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल दिन में 12:49 तक रहेगा लोकेश नाम दान के लिए अत्यंत फलदाई है।

दान का विधान

ज्योतिष वेद विमल जैन कहते हैं कि संक्रांति के दिन भूदेव यानी कि ब्राह्मण को तिल और गुड़ से बने व्यंजन काले तिल भूमि वस्त्र कंबल मिष्ठान और अन्य वस्तुएं दान देने का विधान है। यह सभी वस्तुएं साथ में दक्षिणा भी देनी चाहिए। दान देने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आज के दिन भगवान शिव जी के मंदिर में तिल और चावल अर्पित करना विशेष फलदाई रहता है आज के दिन भास्कर को अष्टदल कमल पर आवाहन करके विधि विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि और खुशहाली मिलती है। भगवान सूर्य देव की महिमा में श्री आदित्य हृदय स्रोत श्री आदित्य कवच श्री सूर्य सहस्त्रनाम श्री सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए। सूर्य ग्रह से संबंधित मंत्रों ॐ आदित्याय नमः, ओम सूर्याय नमः, ओम घृणि सूर्याय नमः का जाप करना विशेष लाभकारी रहता है। मकर संक्रांति के दिन नवग्रह की पूजा और मंत्रों का जाप भी विशेष फलदाई होता है।

राशि के अनुसार नवग्रह की पूजा

विमल जैन ने बताया कि नवरात्र में नौ ग्रह की अनुकूलता के लिए भी विधि-विधान पूर्वक नवग्रह शांति करने के बाद नव ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान भी करना चाहिए। राशि के अधिपति ग्रह का मंत्र और जप संख्या इस प्रकार है 
मेष (मंगल) ॐ अंग अंगारकाय नमः, जप संख्या 10000 
वृषभ (शुक्र) ॐ शूम शुक्राय नमः, जप संख्या 16000
मिथुन (बुध) ॐ बुन बुधाय नमः
जप संख्या 10000
कर्क (चंद्रमा) ॐ सोम सोमाय नमः
जप संख्या 11000
सिंह(सूर्य) ॐ घृणि सूर्याय नमः
जप संख्या 7000
कन्या (बुध) ॐ बुन बुधाय नमः
जप संख्या 10000
तुला(शुक्र) ॐ शूम शुक्राय नमः
जप संख्या 16000
वृश्चिक (मंगल) ॐ अंग अंगारकाय
जप संख्या 10000
धनु (ब्रहपति) ॐ ब्रह्म ब्रहस्पत्ये नमः
जप संख्या 19000
मकर (शनि) ॐ शं शनैश्चराय नमः
जप संख्या 23000
कुंभ(शनि) ॐ शं शनैश्चराय नमः
जप संख्या 23000
मीन (ब्रहस्पति) ॐ ब्रह्म ब्रहस्पत्ये नमः
जप संख्या 19000

इन सभी तरीकों से आज मनाएं मकर संक्रांति का पर्व। घर में आयेगी खुशहाली और समृद्धि।