नौकरी छोड़ अगरबत्ती का बिजनेस स्टार्ट कर रोहित कुमार ने दी अपने सपनों को एक नई उड़ान

क्वालिटी कंट्रोलर की नौकरी छोड़ बासी फूलों की अगरबत्ती बना कर ऋषिकेश के बाद अब उत्तराखंड में अपना बिजनेस फैला रहे है रोहित। जानते है उनकी सक्सेस स्टोरी इस आर्टिकल के जरिए….

नौकरी छोड़ अगरबत्ती का बिजनेस स्टार्ट कर रोहित कुमार ने दी अपने सपनों को एक नई उड़ान

फीचर्स डेस्क। इंसान के अंदर जब तक कुछ कर दिखाने का जुनून होता है तब तक वो चैन से नहीं बैठता। ऐसे ही है रोहित प्रताप। बीटेक के बाद रोहित क्वालिटी कंट्रोल की जॉब कर रहे थे पर वह सेटिस्फाइड नहीं थे। रोहित ने अपने सपनों की सुनी और खुद का बिजनेस स्टार्ट किया। उनका बिजनेस स्टार्ट करने का क्या मोटिव था और उन्होंने बासी फूलों से अगरबत्ती बनाने का क्यों सोचा जानेंगे आर्टिकल के जरिए।

कैसे आया ये आइडिया

रोहित का शुरू से ऋषिकेश आना जाना था। जब उन्होंने गंगा किनारे भरी मात्रा में फूलों को देखा जो कि गंगा नदी में भी फेंके जा रहे थे। तब उन्होंने सोचा कि ऐसे तो रोज कितने फूल चढ़ाए जाते है फिर यूं ही फेंक दिए जाते है। तो क्यों न इनके उपयोग से कुछ किया जाए। और उन्होंने इनसे अगरबत्ती बनाने जा सोचा। इसके लिए रोहित ने बकायदा ट्रेनिंग भी ली। रोहित के इस बिजनेस से कई महिलाओं को रोजगार मिला है।

नगर निगम ने की हेल्प

रोहित के इस आइडिया की सराहना करते हुए ऋषिकेश नगर निगम ने उनकी मदद करते हुए उन्हें बासी फूलों को एकत्र करने के लिए वाहन उपलब्ध करवाया। ऐसे बसी फूलों को रीसाइकल किया जाता है और फिर इनसे अगरबत्ती बनाई जाती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए रोहित ने बजट का इंतजाम किया और एक किराए के मकान में ओडिनी प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से बिजनेस स्टार्ट किया।

फूलों का होता है पूरा यूज

लगभग दो सौ किलो फूल रोज फैक्ट्री में कच्चे माल के रूप में जमा होते है। उन सभी फूलों को महिलाएं चुनती है और साफ करती है। फिर उनको धोकर सुखा कर उनका पाउडर बनाया जाता है फिर परफ्यूमिंग की जाती है। फिर नभ धूप और नभ अगरबत्ती के नाम से उनका प्रोडक्ट उन्ही तीर्थ स्थलों की दुकानों में बेचा जाता है। इससे काफी हद तक नदी को प्रदूषण से राहत मिली है। और जो फूलों का अवशेष बचता है वो भी खाद के रूप में जैविक खेती में काम आता है।

ऐसे ही आप भी रोहित से प्रेरणा ले और दीजिए अपने सपनों को एक खुला आकाश और अपने अंदर के जूनून को दबाइए मत। हो सकता है उसे पूरा करने में मुश्किलें आए या आपको कुछ खोना भी पड़ें। पर कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है ये याद रखें।