जानिए क्या है अमावस्या दोष और इसके निवारण के उपाय

इस दोष को सर्वाधिक अशुभ दोषों में से एक माना जाता है, क्योंकि अमावस्या को चन्द्रमा दिखाई नहीं देता मतलब अन्धकार में चन्द्रमा का प्रभाव क्षीर हो जाता है। क्योंकि चन्द्रमा को ज्योतिष में कुंडली का प्राण माना जाता है,और जब चन्द्रमा ही अंधकारमय हो जाये तो फिर आप लोग समझ सकते हो कि इंसान के मन की क्या स्थिति होगी। आइए जानते है क्या है ये दोष और इसके निवारण के उपाय….

जानिए क्या है अमावस्या दोष और इसके निवारण के उपाय

फीचर्स डेस्क। जब भी सूर्य और चन्द्रमा कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ होते हैं तो वहां पर अमावस्या दोष बन जाता है, या अमावस का जन्म होता है। सूर्य आग है और चन्द्रमा पानी दोनों के तत्व अलग है, और मानव शारीर में अधिकतर जल ही तो होता है। सूर्य के साथ एक ही घर में होने से चन्द्रमा अधिकतर अस्त हो जाता है और इसकी अपनी कोई शक्ति नहीं रह जाती।

चंद्रमा का हम पर असर

चन्द्रमा हमारे मन और मस्तिष्क पर अपना पूर्ण प्रभाव होता है, और नियंत्रण भी यही करता है और जब चन्द्रमा ही कमजोर हो जाये तो फिर इंसान को कुछ समझ नहीं आता और वह अधिकतर मन के रोग से पीड़ित हो जाता है या फिर उसे कुछ समझ नहीं आता की आखिर ये हो क्या रहा है।

इंसान के शारीर और मस्तिष्क में या तो जल तत्व बढ़ जाता है या फिर बहुत कम हो जाता है और दोनों ही स्थितियां ख़राब होती हैं।

सोच पर भी पड़ता है प्रभाव

मन अधिकतर भटकता ही रहता है, दिमाग में अच्छे विचार कम और बुरे ज्यादा आने लगते हैं। दिमाग में भरम, वहम, गन्दी और हिंसक सोच, नकारात्मक विचार, जैसे यदि आप सफ़र कर रहे हैं तो अचानक सोच बन जायेगी कि कहीं एक्सीडेंट न हो जाये  मतलब जातक हमेशा नकारात्मक बातें अपने लिए सोचता रहता है । आदि आदि बुरे विचार, इन विचारों में मनुष्य इतना उलझ जाता है कि फिर इनसे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।

ऐसे नकारात्मक विचार चंद्र के दूषित होने से आते हैं। बहुत से लोग बीमार तो नहीं होते लेकिन खुद के विचार उन्हें बीमार कर देते हैं।

यह सबसे अधिक प्रभाव मन पर ही डालता है  क्योंकि तन एक बार बीमार हो जाये तो वह तो ठीक हो जाता है लेकिन मन बीमार हो जाये तो फिर इससे निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। क्योंकि मन के जीते जीत और मन के हारे हार होती है।

अमावस्या दोष के उपाय

ग्रह दोष तो सभी को एक सामान रूप से ही परेशान करते हैं। मान सम्मान गिर जाता है, मन अधिकतर उदासीन और बिना बात के परेशान रहता है। आत्मविश्वास की अधिकतर कमी हो जाया करती है। और अधिकतर जातक आलसी और वहमी हो जाता है॥ आप ये उपाय करें अगर किसी की कुंडली में ये दोष है तो..

  • सर्वप्रथम सुबह उठकर सुद्ध होकर सूर्य देव को अर्घ देना चाहिए।
  • दूसरा- सूर्य और चंद्र से सम्बंधित दान करने चाहिए जैसे कि गेहूं, लाल और सफ़ेद कपडा, दूध, चावल, खीर, आदि जो भी इनसे सम्बंधित सामग्री हो।
  • तीसरा- शिव आराधना करें और शिवलिंग में कच्चा दूध और पानी में गंगाजल मिलाकर अभिषेक करें और पूर्णिमा का व्रत करें।
  • चौथा- सूर्य एवम चंद्र की शांति कराएं और रोज एक माला चन्द्रमा की जपें।ऐसे करने से धीरे-धीरे दोष में कमी आने लगती है।

इनपुट सोर्स: शक्ति उपासक आचार्य पटवाल