केतु नष्ट कर सकता है आपका जीवन तुरंत करें ये उपाय

केतु नष्ट कर सकता है आपका जीवन तुरंत करें ये उपाय

फीचर्स डेस्क। नक्षत्रमंडल में राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं जो शनि से भी ज्यादा लोगों को डराते हैं। वास्तव में ये ग्रह हैं भी नहीं और क्षुद्र ग्रह माने जाते हैं। शनि के साथ एक चीज यह जुड़ी होती है कि ये न्याय के देवता माने जाते हैं और कभी भी किसी निरपराध को नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन राहु-केतु के साथ ऐसा नहीं है। राहु और केतु की दशाएं क्षुद्र ग्रह होने के कारण केतु व्यक्ति को अक्सर भ्रम का शिकार बनाता है और उनके जीवन को पूर्णतया नष्ट कर सकता है। कुंडली में राहु और केतु की दशाएं जानकर इनके उपाय किए जा सकते हैं। किंतु राहु से भी अधिक नुकसानदेह केतु के माने जाने के कारण कुंडली में इसकी उच्च और नीच दशाओं पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

 नीच केतु

नीच केतु व्यक्ति को मतिभ्रम का शिकार बनाता है और अपराध के गर्त में धकेलता है। ऐसे व्यक्ति सच्चाई की राह छोड़कर हमेशा गलत रास्ता अपनाते हैं। अच्छी बातें और अच्छे लोग उन्हें भाते नहीं इसलिए कभी भी सच्चाई से अवगत नहीं हो पाते।

 मीन राशि का स्वामी

 केतु को मीन राशि का स्वामी ग्रह माना जाता है। इसलिए इस राशिवालों के लिए कुंडली में राहु की स्थिति मायने रखती है। इसके अलावा यह धनु राशि में उच्च अवस्था में और मिथुन में नीच स्थिति में होता है। इसलिए इन तीन राशियों के जातकों पर केतु का प्रभाव अधिक होता है।

 केतु से प्रभावित लोगों के लक्षण देखकर तो समझा जा सकता है लेकिन जरूरी नहीं कि कुंडली में इसकी उच्च या नीच दशाएं होने पर लक्षण तुरंत नजर आएं। इससे अधिक प्रभावित लोग भी कई वर्षों तक सामान्य जीवन जी सकते हैं लेकिन एक उम्र के बाद उनमें इसका असर दिखता है, वह स्थिति उनके लिए और भी अधिक खरतनाक होती है। #मीन, धनु और मिथुन राशि के जातकों की कुंडली में अगर केतु की उच्च दशा हो तो इसका असर अमूमन 48 से 54 वर्ष की उम्र में नजर आता है। कुंडली के तीन विशेष भाव - लग्न, षष्ठी और एकादश भाव में केतु का होना हर हाल में अशुभ माना जाता है।

 प्रभाव

इसलिए अगर इनमें किसी भी भाव में यह बैठा हो तो तुरंत उपचार करें वरना व्यक्ति को भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यहां तक कि वह अपराध के दलदल में धंस सकता है और उसे जेल भी जानी पड़ सकती है।

 लाल चंदन की माला का उपचार ज्योतिष शस्त्र में केतु के उपचार के कई तरीके बताए गए हैं, लेकिन आगे बताया जा रहा यह तरीका कुछ सबसे आसान उपायों में एक है। 108 मनकों की लाल चंदन की एक माला लें। उसे किसी जानकार ज्योतिषी से अभिमंत्रित करा लें और हर मंगलवार को इसे धारण करें।

 लाल चंदन की माला का उपचार धारण करने से पूर्ण इस केतु मंत्र का 108 बार जाप करें: “ पलाश पुष्प संकाशं, तारका ग्रह मस्तकं। रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तम के तुम प्रण माम्य्हम।“

 रत्न उपचार

केतु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए इसका रत्न लहसुनिया धारण करें। लेकिन ध्यान रखें कि यह नकली ना हो और अपनी कुंडली के अनुसार सही रत्ती का लहसुनिया ही धारण करें, वरना फायदे की बजाय नुकसान हो सकता है।

 केतु यंत्र

 परिवार के सभी सदस्यों को इसके कुप्रभावों से बचाने के लिए केतु यंत्र का सहारा लिया जा सकता है। लोहे या मिश्रित धातु का यह यंत्र बनवाएं और केतु मंत्र “ ॐ प्रां प्रीं प्रूं सह केतवे नम:” का 10008 बार जाप करते हुए इसे अभिमंत्रित कर लें। केतु यंत्र अब इसे घर के पूजास्थल या किसी ऐसी जगह रखें जहां परिवार के सभी सदस्यों की नजर इसपर पड़े। आपके घर पर केतु की बुरी नजर कभी नहीं पड़ेगी।

 सरस्वती की अराधना

केतु को बुद्धि भ्रष्ट करने वाला माना जाता है। इसलिए इसके दुष्प्रभावों से बचने का सबसे बेहतर तरीका है कि मां सरस्वती और गणपति की अराधना करें। साथ ही मां लक्ष्मी की भी नियमित पूजा करें। आपको धन-समृद्धि और सम्मान की कभी कमी नहीं होगी।

 दान

 जिस भी वस्तु का दान शनिदेव की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है, वह केतु के दुष्प्रभाओं से मुक्त करने में भी कारगर है। इसलिए इससे बचने के लिए शनिदेव की पूजा और दान भी आपके लिए लाभदायक होगा।

 इनपुट सोर्स : ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी।