डिग्री धारकों को विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण देकर कल्याण ने दी थी खास पहचान

डिग्री धारकों को विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण देकर कल्याण ने दी थी खास पहचान

लखनऊ/ जौनपुर। उत्तर प्रदेश के दिवंगत पूर्व मुख्यमन्त्री कल्याण सिंह ने अपने मुख्यमंत्री काल में पारदर्शिता के चलते विशिष्ट बीटीसी के जरिए ऐसे ऐसे लोगों को शिक्षक बना दिया ,जिनके खानदान में कोई भी शिक्षक नहीं था , साथ ही साथ विश्व की सबसे बड़ी परीक्षा कराने वाली संस्थाओं में से यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में नकल अध्यादेश लाकर बोर्ड को खास पहचान दी थी। श्री सिंह के सामने 1999 में प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति का मामला जब उनके सामने आया तो उन्होंने कहा था कि प्रदेश में जितने भी बीएड डिग्री धारक हैं, उन्हें छह माह का प्रशिक्षण देकर विशिष्ट बीटीसी बना दिया जाए ताकि वे प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने के योग्य हो जाएं । उस समय उन्होंने नियुक्ति का पैमाना बीएड के अंक को योग्यता मांगते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि इसी के मुताबिक मेरिट बनाई जाए और उन्हें तैनाती दी जाए।

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों को अधिक फायदा

उनके निर्देश का जौनपुर के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों को अधिक फायदा मिला क्योंकि वहां से बीएड करने वाला छात्र अधिकांश प्रथम श्रेणी में पास हुआ था और अन्य विश्वविद्यालयों से बीएड पास हुआ छात्र प्रथम श्रेणी में कम द्वितीय द्वितीय श्रेणी में ज्यादा पास हुए थे । उस समय उनके मंत्रिमंडल में बेसिक शिक्षा मंत्री रहे रविंद्र शुक्ला पर यह आरोप लगने लगा कि नियुक्ति में इनके रहते पारदर्शिता उतना नहीं रहेगी ,जितना कि आप चाहते हैं , इस पर कल्याण सिंह ने रविंद्र शुक्ला को बेसिक शिक्षा मंत्री से हटाकर बालेश्वर त्यागी को बेसिक शिक्षा मंत्री बनाया और श्री त्यागी ने पूरी पारदर्शिता के साथ प्रदेश में 25 हजार से अधिक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती करने में सफलता हासिल की । इसके साथ ही साथ श्री सिंह ने नकल अध्याधेश को लागू करके यूपी बोर्ड की खास पहचान दिलाई थी। अध्यादेश लागू होने के बाद छात्र-छात्राएं बहुत ही परिश्रम से पढते थे। सन् 1992 मे हाईस्कूल और इटंर मीडिएट की परीक्षा में सफल हुए परीक्षार्थियों की एक अलग पहचान होती थी। बहुत स्कूल ऐसे भी रहे थे जहां पर एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ था।