Inspirational Story: शादी के कई सालों बाद पूरा किया अपना सपना, रेखा मित्तल बनी कई ग्रहिणियों के लिए मिसाल

सपने देखना तो आसान है पर सपनों को साकार करना मुश्किल। एक सपना देखा था रेखा मित्तल ने भी पर शादी के बाद गृहस्थी के काम में ऐसी उलझी कि सपना भूल गई। पर कोरोना काल ने उनके दबे सपने को फिर से जीने का मौका दिया और वो बन गई लेखिका। कैसे उन्होंने अपने सपने को पूरा किया जानते है…..

Inspirational Story: शादी के कई सालों बाद पूरा किया अपना सपना, रेखा मित्तल बनी कई ग्रहिणियों के लिए मिसाल

फीचर्स डेस्क। आपको पता है कि एक गृहिणी को होम मेकर क्यों कहा जाता है। क्योंकि वो तिनका तिनका बटोर कर सजाती है अपना घर। एक गृहिणी अपने सपनों को भूलकर पूरा करती है अपने परिवार का सपना। एक गृहिणी बनाती है मकान को घर, वही घर जहां आप सुकून अनुभव करते है। ऐसी ही एक गृहिणी है रेखा मित्तल जो अपने सपनों को भूल कर व्यस्त रही अपनी गृहस्थी में। एक अच्छी बहू बनी, एक अच्छी पत्नी बनी, एक अच्छी मां बनी। सारे किरदार उन्होंने बखूबी निभाए। पर एक गृहिणी के अंदर हमेशा से एक लेखिका दबी हुई थी, क्योंकि रेखा को शुरू से ही लिखने जा शौक था। पर घर की जिम्मेदारियों के चलते रेखा अपना ये शौक भूल चुकी थी। और आज उनकी पहली पुस्तक छप चुकी है। तो कैसे तय किया उन्होंने एक हाउस वाइफ से लेखिका तक का सफर जानते है एक साक्षात्कार के जरिए।

फोकस 24 न्यूज : आपकी पहले काव्य संग्रह का क्या नाम है? इसमें कितनी कविताओं को सम्मलित किया गया है ?

रेखा मित्तल : मेरी पहली पुस्तक काव्य रचना का नाम दूज का चांद है जिसमे 100 कविताएं है।

फोकस 24 न्यूज : शादी के इतने सालों बाद फिर से लेखन शुरू करने में क्या परेशानी आई ?

रेखा मित्तल : शादी से पहले जब मैं दूसरे लेखकों की किताबें पढ़ती थी तो सोचती थी कि एक दिन मेरी भी किताब छपेगी। फिर 1990 में शादी हुई। चंडीगढ़ से हरिद्वार चली गई। घर परिवार में व्यस्त हो गई। और सपना कहीं दब गया। फिर जब वापस चंडीगढ़ आई और कोरोना काल में मैं अपने भूले बिसरे सपने को फिर से मौका दिया। पहले बीच बीच में लिखती थी पर जब मैं खुद अपनी कविताएं पढ़ती तो संतुष्ट नहीं होती थी। मुझे लगता था जब मैं संतुष्ट नहीं हूं तो पाठक कैसे संतुष्ट होंगे। फिर दुबारा उन कविताओं पर वर्क करती फिर जाकर उनको फाइनल करती।

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फोकस 24 न्यूज : इस किताब में हमें क्या क्या पढ़ने को मिलेगा, क्या क्या आकर्षण होंगे दूज का चांद रचना के?

रेखा मित्तल : इस किताब में 100 कविताएं है। इसमें मैंने अपने परिवार की, खुद की बात की है। एक ओर जहां समाज के बारे में बात की है तो वहीं मौसम के रंग में रंगी कविता भी है। आपको पढ़ कर अच्छा लगेगा।

फोकस 24 न्यूज : आपको कौन कौन सी विधा या शैली पसंद है?

रेखा मित्तल : लेखन की दो शैलियां कविता और लघु कथा मुझे अच्छी लगती है। हिंदी में लिखना मुझे पसंद है। मेरी अगली किताब लघु कहानियों की ही होगी।

फोकस 24 न्यूज : करीब 30 साल के बाद आपने लेखन शुरू किया, आपको प्रेरणा कहां से मिली? परिवार ,दोस्तों का कितना सहयोग मिला?

रेखा मित्तल : कोरोना काल में मैं बहुत साहित्यिक ग्रुप से जुड़ी क्योंकि लेखन तो मेरा पहला प्यार रहा है। कलम फिर से चलने लगी। अपने मन के भावों को दिया शब्द रूप।मेरे पति, बच्चों ने हमेशा मुझे लिखने के लिए प्रेरित किया और कदम कदम पर मेरा साथ दिया। मेरी प्रिय सखी सुनीता रमन का नाम मैं यहां जरूर लेना चाहूंगी क्योंकि उनके ही सानिध्य में मैने वापस लिखना शुरू किया। हमेशा सुनीता जी ने मेरा हौसला बढ़ाया।

फोकस 24 न्यूज :सुना है आप साइक्लिकिंग भी करती है, ये शौक कैसे हुआ ?

रेखा मित्तल : खेलकूद में रुचि होने के कारण आजकल मैं खूब साइक्लिंग करती हूं। चंडीगढ़ में साइकलिंग के लिए सभी सड़कों पर अलग से ट्रैक बने हुए है। चंडीगढ़ में साइकिल गिरी नाम से ग्रुप है उससे मैं महिला दिवस से जुड़ी थी। वहां हर सप्ताह तीन चार राइड होती है। अच्छा लगता है उनके साथ जुड़ कर।

फोकस 24 न्यूज : एक हाउस वाइफ के लिए आप क्या कहना चाहेंगी, वो अपने सपने कैसे पूरे करें?

रेखा मित्तल : एक हाउसवाइफ को अपने सपने जीने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। उसके लिए चीजें इतनी आसान नहीं होती। मेरे भी बच्चे जब बड़े हो गए ,जीवन में सेटल हो गए तब मैंने अपने बारे में सोचना शुरू किया। मैंने लिखना शुरू किया। एक बात जरूर है यदि आपको अपने लिए कुछ करना है तो उसके लिए राह भी खुद ही बनानी पड़ती है। मतलब की शादी से पहले यदि आप कुछ करते हो तो आपके माता-पिता आपके साथ देते हैं परंतु गृहस्थी  के साथ-साथ अपने लिए कुछ भी करना शुरू में थोड़ा कठिन होता है उसके बाद अपने सपने जीने है तो उड़ान खुद ही भरनी पड़ेगी।

फोकस 24 न्यूज : अंत में अपने बारे में कुछ पंक्तियों के माध्यम से बताइए?

रेखा मित्तल :"क्या लिखूं अपने बारे में

खुली किताब है मेरा जीवन

दोस्तों के संग खुशियां ढूंढती

फूल पौधों के संग समय बिताती

कागज़ कलम से है पुराना नाता

पुस्तकें पढ़ना मुझे है भाता"।

जिंदादिली से जीवन जीना इसे ही कहते है। रेखा मित्तल आपका बहुत बहुत आभार आपने अपनी उपलब्धि के बारे में हमसे चर्चा की। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते है।